एक तरफ जहां उत्तर भारत गर्मी और लू से तप रहा है वहीं दूसरी तरफ पूर्वोत्तर भारत के कई राज्य भारी बारिश के कारण बाढ़ की चपेट में हैं. असम में लगातार बारिश के कारण बाढ़ की स्थिति बनी हुई है. असम में कई जगह भूस्खलन की ख़बरें भी सामने आ रही हैं. भारी बारिश के कारण यातायात पर भी बुरा असर पड़ा है.
भारतीय वायुसेना, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें राहत कार्यों में जुटी हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक असम के 2 लाख से ज्यादा लोग इससे प्रभावित हुए हैं. इसके साथ ही अभी तक पूर्वोत्तर भारत में बाढ़ की वज़ह से 8 लोगों की मौत की भी ख़बर है.
असम में बाढ़ से आफत
ऐसा नहीं है कि पहली बार पूर्वोत्तर भारत मुख्यत: असम में ऐसी बाढ़ आई हो. इससे पहले भी कई बार असम ऐसी बाढ़ का सामना कर चुका है. असम की जनता कई बार ऐसी बाढ़ की वज़ह से परेशानी झेल चुकी है. पिछले कुछ वर्षों में असम में आई कुछ बाढ़ों पर एक नज़र डालते हैं.
राज्य |
वर्ष |
मौत |
नुकसान |
असम | 2012 | 20 | 20 लाख जनख्या प्रभावित |
असम | 2014 | 10 | 25000 लोग प्रभावित |
असम | 2015 | 02 | 15 जिले, 3 लाख 11 हजार लोग प्रभावित |
पिछले कुछ वर्षों में असम में आई बाढ़ और उससे हुआ नुकसान
असम के साथ-साथ पूर्वोत्तर भारत के दूसरे राज्य भी बाढ़ की विभीषिका झेलते हैं. ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह है कि पिछले 8 वर्षों से केंद्र में पीएम मोदी की सरकार है. केंद्री की मोदी सरकार ने इस बाढ़ को रोकने के लिए क्या किया ? खोज-बीन करने पर हमें कुछ जानकारी हासिल हुई है.
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2018 में पीएम मोदी ने असम में बाढ़ प्रभावित इलाकों का जायजा लिया. 2020 में केंद्र की मोदी सरकार ने ‘बाढ़ नियंत्रण कार्यक्रम’ के अंतर्गत असम के लिए 346 करोड़ रुपये जारी किए. इसके साथ ही बाढ़ की समस्या के लिए केंद्र सरकार ने भूटान के साथ बातचीत की बात भी कही. जलशक्ति मंत्रालय के अधीन आने वाला ब्रह्मपुत्र बोर्ड भी असम में बाढ़ को नियंत्रित करने के लिए अलग-अलग नीतियां बनाता रहा है. ब्रह्मपुत्र बोर्ड की कई योजनाएं पूर्ण हो गई हैं, जबकि कई अभी भी चल रही हैं. लघु और दीर्घकालिक आधार पर बाढ़ के प्रभाव को कम करने की दिशा में काम करने वाले सभी पूर्वोत्तर राज्यों को 2,350 करोड़ रुपये की राशि प्रदान की गई. ब्रह्मपुत्र नदी के जलमार्ग और इसके विनाशकारी प्रभावों का अध्ययन करने के लिए 100 करोड़ रुपये की राशि प्रदान की गई.
केंद्र की मोदी सरकार असम में बाढ़ को नियंत्रित करने के लिए यह योजनाएं चला रही है लेकिन इसके बाद भी करीब-करीब प्रत्येक वर्ष बाढ़ असम में आफत लेकर आती है.
असम में क्यों आती है बाढ़?
इसलिए सबसे पहले हमें यह समझ लेना चाहिए कि असम में इतनी बाढ़ आती क्यों है ? इसके पीछे का मुख्य कारण असम की भौगोलिक स्थिति है. असम का उत्तरी हिस्सा भूटान और अरुणाचल प्रदेश से लगा हुआ है. दोनों ही पहाड़ी इलाके हैं. पूर्वी हिस्सा नागालैंड से मिलता है. पश्चिमी हिस्सा पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश से मिलता है. असम का दक्षिणी हिस्सा त्रिपुरा, मेघालय और मिजोरम से मिलता है. असम में तिब्बत से निकलने वाली कई नदियां अरुणाचल प्रदेश से आती हैं, जो बाढ़ लाती हैं.
राष्ट्रीय बाढ़ आयोग के मुताबिक असम का 31 हजार 500 वर्ग किमी हिस्सा बाढ़ प्रभावित है. यानी करीब 40 फीसदी हिस्सा बाढ़ की चपेट में है. असम पूरी तरह से नदी घाटी पर ही बसा हुआ है. इसका कुल क्षेत्रफल 78 हजार, 438 वर्ग किमी है. जिसमें से 56 हजार, 194 वर्ग किमी ब्रह्मपुत्र नदी घाटी में है और बाकी 22 हजार, 244 वर्ग किमी बराक नदी घाटी में है.
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असम में बाढ़ के लिए ब्रह्मपुत्र सबसे ज्यादा जिम्मेदार है. ब्रह्मपुत्र नदी की कुल 35 सहायक नदिया हैं. अरुणाचल प्रदेश से जब यह नदियां असम में आती हैं तो पहाड़ी इलाके से सीधे मैदानी इलाकों में आ जाती हैं. ब्रह्मपुत्र के कटान की वज़ह से हर साल भारी नुकसान होता है.
ब्रह्मपुत्र का उपाय क्या ?
अब जबकि हम जानते हैं कि ब्रह्मपुत्र नदी असम में बाढ़ का एक मुख्य कारण है. ऐसे में केंद्र की मोदी सरकार से यह सवाल ज़रूर पूछा जाना चाहिए कि पिछले 8 साल में सरकार ने इस बाढ़ को रोकने के लिए क्या बड़े कदम उठाए? केंद्र और राज्य सरकारें वक्त-वक्त पर ब्रह्मपुत्र नदी के लिए तटबंध बनाने की बात करते रही हैं लेकिन असल में ऐसा हो क्यों नहीं पा रहा है ?
सवाल सिर्फ असम का ही नहीं, बिहार का भी है. बिहार भी हर साल बाढ़ से जूझता है. कभी ज्यादा तो कभी थोड़ा कम. लेकिन बिहार के लिए भी कोई ठोस योजना बनती दिखाई नहीं देती. बिहार में पिछले कुछ वर्षों में आई बाढ़-
राज्य |
वर्ष |
कारण |
मौत |
नुकसान |
बिहार | 2016 | भारी बारिश | 17 | उपलब्ध नहीं |
बिहार | 2017 | भारी बारिश | 253 | 180,000 लोग प्रभावित |
बिहार | 2019 | भारी बारिश | 116 | 1 करोड़ लोग प्रभावित |
पिछले कुछ वर्षों में बिहार में आई बाढ़ और उससे हुआ नुकसान।
पूर्वोत्तर से लेकर बिहार तक बाढ़ को रोकने के लिए सरकार को कुछ बड़े कदम उठाने चाहिए, क्योंकि छोटे-छोटे फैसले तो पुरानी सरकारें भी लेती थी- लोगों ने केंद्र में मोदी को प्रधानमंत्री बनाकर इसीलिए भेजा है जिससे कि सरकार उनके हित में बड़े फैसले ले. बाढ़ पर केंद्र सरकार को कड़े और बड़े कदम उठाना इसलिए भी जरूरी है क्योंकि यह बाढ़ हर साल देश का बड़ा नुकसान करती है.
केंद्र में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं तब तक यह उम्मीद की जा सकती है कि वो पूर्वोत्तर भारत और बिहार में बाढ़ को नियंत्रित करने के लिए कोई बड़े उठा सकते हैं. कुछ ठोस और निर्णायक फैसले कर सकते हैं, अगर यह अभी नहीं हुआ तो फिर कभी होगा, इसमें तो इस देश के लोगों को संशय है.
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