#BJPGundoKiParty हिंदुस्तान टाइम्स की गलती नहीं बल्कि उनकी भावनाओं का सार्वजनिक प्रदर्शन है

ये सुधरने वाले नहीं हैं!

Hindustan Times

Source- Twitter

हाल ही में तजिन्दर पाल सिंह बग्गा प्रकरण से दो बातें सिद्ध हुई हैं – एक तो यह कि अपनी निरंकुशता में आम आदमी पार्टी निर्लज्जता की किस सीमा को लांघ सकती है और दूसरा यह कि भाजपा के नेतृत्व वाले केन्द्रीय प्रशासन को ऐसे लोगों से निपटना का तरीका भी आता है। परंतु इस प्रकरण से एक बात और भी सामने आई है, जिस पर चर्चा तो बहुत होती है पर समाधान निकालने का प्रयास कम ही होता है। जी हां, हम बात कर रहे हैं मोदी और हिंदू विरोध में अंधे हो चुके वामपंथी मीडिया पोर्टल्स की, जो आये दिन सोशल मीडिया पर अपनी कुंठा प्रदर्शित करते नजर आ जाते हैं। इस बार कुछ ऐसा ही कारनाम किया है हिंदुस्तान टाइम्स ने, जिसके बाद से ही सोशल मीडिया पर इनकी जमकर थू-थू हो रही है।

दरअसल, हाल ही में शनिवार को जब तजिन्दर पाल सिंह बग्गा के पंजाब पुलिस द्वारा गिरफ़्तारी/‘अपहरण’ का विवाद ज़ोर पकड़ रहा था, तो इस पर विभिन्न मीडिया पोर्टल्स ने इसे विभिन्न प्रकार से कवर किया। लेकिन जब तजिन्दर बग्गा के मुक्त होने की खबर सामने आई, तो जिस चीज ने सबसे ज्यादा तूल पकड़ा, वो था हिंदुस्तान टाइम्स का ट्वीट, जिसमें लिखा था कि “शुक्रवार को नाटकीय परिस्थितियों में ##BJPGundoKiParty के नेता तजिन्दर सिंह बग्गा को पंजाब पुलिस ने गिरफ्तार किया और कुछ ही घंटों बाद  दिल्ली लाया गया।”

यहां सभी को ज्ञात है कि तजिन्दर पाल सिंह बग्गा के साथ पंजाब पुलिस ने क्या किया और किस प्रकार के अत्याचार उनपर हुए। इसके बाद भी हिंदुस्तान टाइम्स द्वारा भाजपा को गुंडों की पार्टी के रूप में संबोधित करना केवल संयोग नहीं हो सकता। यह ट्वीट आग की भांति सोशल मीडिया पर फैल गया और कई सोशल मीडिया यूज़र्स ने इसकी जमकर आलोचना की। वरिष्ठ पत्रकार और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के वरिष्ठ सलाहकार कंचन गुप्ता ने ट्वीट किया, “सच में? यह हैशटैग एडिटोरियल स्क्रूटिनी से पास हो गया? या ये HT के एडिटोरियल नीति का हिस्सा है?” –

वहीं, भाजपा नेता तेजस्वी सूर्या ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि अगर मेनस्ट्रीम न्यूज पोर्टल इस तरह से आगे बढ़ रहा है फिर तो हमें मेनस्ट्रीम का मतलब ही बदलना होगा।

हालांकि, जब  विवाद हद से अधिक बढ़ने लगा, तब हिंदुस्तान टाइम्स ने क्षमायाचना से मामले को रफा दफा करने का प्रयास किया। एक बयान जारी करते हुए हिंदुस्तान टाइम्स ने कहा, “Tweetdeck पर ऑटोपुल फीचर के जरिए किसी की शरारत के कारण ये भूल हुई है। हम इसके लिए दुखी है और आशा करते हैं कि ये फिर से न हो” –

परंतु आपको क्या लगता है, ऐसा फिर नहीं होगा? न न न न।  जब इनके बयान में क्षमा ही उपस्थिति न हो, तो आप भूल जाइए कि ऐसी भूल फिर से नहीं होगी और फिर तो ये वामपंथी ठहरे, विश्वासघात स्वभाव है इनका! इसके अतिरिक्त अगर आप इनके बयान का भी विश्लेषण करें, तो उसमें भी अनेक कमियां देखने को मिलेंगी। हिंदुस्तान टाइम्स की प्रवृत्ति वही है जो लगभग हर वामपंथी पोर्टल की है – वकील भी हम, गवाह भी हम और जज तो हम हैं ही! ऑटो पुल फीचर के नाम पर उन्हें लगता है कि वह जनता को उल्लू बना देंगे, परंतु वास्तविकता तो यह है कि वह सिर्फ अपनी कुंठा को छिपाने का एक असफल प्रयास कर रहे हैं।

लेकिन ये समस्या क्या हिंदुस्तान टाइम्स के लिए आज की है? क्या ये समस्या पिछले कुछ दिनों में उत्पन्न हुई है? कदापि नहीं, ये बस इस बात को परिलक्षित करती है कि कैसे वामपंथियों का बना बनाया सिस्टम अब खतरे में है और रह रहकर इनकी कुंठा इन ट्वीट्स, पोस्ट और लेखों के जरिए बाहर निकल रही है। कहीं न कहीं इन जैसे लोगों के लिए ही द कश्मीर फाइल्स में बोला गया होगा, “सरकार इनकी हुई तो क्या, सिस्टम तो अब भी हम ही चलाते हैं!”

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