आप सभी को ज्ञात होगा कि अपराधी कोई भी हो एक अपराधी ही होता है चाहे वो किसी जाती ,धर्म या संप्रदाय का हो वो सजा का पात्र होता है लेकिन हमारे देश में ऐसे भी लोग मौजूद है जो अपराधियों की भी महिमामंडन करने से नहीं बाज आते। ऐसा ही भयावह दृश्य तब देखने को मिला जब दिल्ली दंगे के मुख्य आरोपी शाहरुख पठान को पैरोल मिलने के बाद जब वो घर पहुंचा तो उसका स्वागत हुआ जिससे तथाकथित शांतिदूतों का मानवता उजागर हो गई और यह घटना प्रश्नचिन्ह भी उठाती है की समाज में एक अपराधियों की ‘घर वापसी’ का जश्न मनाने लगे तो यह पूरे समाज के पतन को दर्शाता है। यह अधिनियम न केवल अपराध की सीमा को मान्य करने का प्रयास करता है बल्कि लोगों को ऐसे अपराध करने के लिए प्रेरित करता है और संभावित कानून तोड़ने वालों को जन्म देता है।
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नारो के साथ अपराधी का हुआ स्वागत
दरअसल इस मामले को लेकर तब बवाल मचा जब हाल ही में उत्तर पूर्वी दिल्ली दंगों के मुख्य आरोपी शाहरुख पठान को मानवीय आधार पर चार घंटे की कस्टडी पैरोल दी गई थी। पैरोल आदेश में अदालत ने कहा कि “उसके माता-पिता वृद्ध हैं और बीमार हैं”। लेकिन जब वह अपने मुहल्ले में पहुंचा तो उसे एक हीरो जैसा स्वागत किया गया। 23 फरवरी 2020 ,नागरिकता संशोधन अधिनियम और CAA समर्थक प्रदर्शनकारियों के बीच पूर्वोत्तर दिल्ली में दंगे भड़क उठे। हिंसा ने सांप्रदायिक रूप ले लिया और अगले 10 दिनों के दौरान 53 से अधिक लोगों की मौत हो गई। 200 से अधिक घायल हो गए थे।
दुकानों और घरों को जला दिया गया और पूजा स्थलों पर भी हमला किया गया। दिल्ली दंगों के आरोपी शाहरुख पठान, जिन्होंने पुलिसकर्मी दीपक दहिया पर गोलियां चलाई थीं, हाल ही में चार घंटे के पैरोल पर अपने परिवार के आवास पर पहुंचे। स्थानीय मुस्लिम समुदाय द्वारा अपराधी का ‘वीर’ स्वागत किया गया, जो उसके आने पर जय-जयकार करता, चिल्लाता और सीटी भी बजाते रहे।
दिल्ली दंगों में पुलिस पर बंदूक़ तानने वाले शाहरुख़ पठान का पैरोल पर हुआ हीरों जैसा स्वागत!
एक दंगाई का ऐसा स्वागत होना क्या सही है?#DelhiRiots pic.twitter.com/jSPlSBdMRK— Krishna Prasad (@PrasadKrishnaWB) May 28, 2022
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रिपोर्टों के अनुसार
अदालत ने मानवीय दृष्टिकोण अपनाया और पठान को उसके पिता से मिलने के लिए चार घंटे की पैरोल दी, जिनकी स्वास्थ्य की स्थिति अनिश्चित है। अदालत को बताया गया कि पिता लगातार कम से कम कुछ घंटों से अपने बेटे से मिलने की जिद कर रहे थे । उनके पिता, 65 वर्ष की आयु, विभिन्न बीमारियों से पीड़ित हैं और मार्च 2022 में उनकी सर्जरी हुई है।
हालाँकि, कोर्ट ने सख्ती से उल्लेख किया था कि पठान को केवल अपने वृद्ध माता-पिता से मिलने की अनुमति दी गई थी और उसे किसी और से नहीं मिलना चाहिए। लेकिन सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो में उनके समुदाय के कई लोगों को पठान के लिए इकट्ठा होते और चीयर करते देखा जा सकता है। विशेष रूप से, शाहरुख पठान को अपने बीमार पिता से उनके आवास पर मिलने के लिए चार घंटे की पैरोल मिली। उन्हें पहले फरवरी 2020 में हेड कांस्टेबल दीपक दहिया और कई अन्य लोगों पर कथित रूप से गोली चलाने के बाद सीएए के विरोध प्रदर्शन के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था।
जाफराबाद-मौजपुर इलाके के वीडियो भी दंगों के दौरान सामने आए थे, जिसमें पठान पुलिस को गोली मारने की कोशिश में पिस्तौल पकड़े हुए दिखाई दे रहे हैं। उसके खिलाफ एक मामला दर्ज किया गया था जिसके बाद उसे उत्तर प्रदेश के शामली जिले में गिरफ्तार किया गया था।अपराधी शाहरुख पठान का नायकों वाला स्वागत समुदाय विशेष की सामान्य चेतना को दर्शाता है। उत्सव और भव्य स्वागत विशेष समुदाय की सामान्य समझ यह दर्शाता है कि उसकी आपराधिक गतिविधि में उसके समुदाय की मान्यता है।
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किसी भी सभ्य समाज के लिए अपराधियों का महिमामंडन करना और उनके आपराधिक कृत्यों की सामान्य सामाजिक मान्यता देना एक बहुत ही खतरनाक प्रवृत्ति है। इसने आने वाली पीढ़ी के लिए एक बुरी मिसाल कायम की और युवा आबादी ऐसे लोगों को आदर्श मानती है जो आगे चलकर आम कानून तोड़ने वालों का एक समूह बनाते हैं। ऐसी घटनाओं की सभी को आलोचना और निंदा करनी चाहिए। शाहरुख़ पठान वाले मामले में भी यही होना चाहिए लेकिन अफ़सोस है की समुदाय विशेष अपराधियों के महिमामंडन से नहीं चूका।