बिहार में नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) और भारतीय जनता पार्टी में सियासी उठापटक मची है. पिछले कुछ दिनों से अलग-अलग मुद्दों पर कई बार ऐसी राजनीतिक स्थितियां बनी हैं जिनमें दोनों पार्टियां अलग-अलग कोने पर खड़ी दिखाई देती हैं.
दोनों दलों के बीच कई मुद्दों पर मतभेद खुलकर सामने आए हैं. रमजान में दो बार नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव और आरजेडी नेताओं के साथ इफ्तार पार्टी कर चुके नीतीश कुमार की पार्टी ने समान नागरिक संहिता (यूसीसी) से लेकर लाउडस्पीकर विवाद तक पर भाजपा को आंखें दिखाई हैं. अब बीजेपी ने भी एक संकेत दे दिया है कि उन्हें नीतीश कुमार ज़रूरत नहीं है.
नीतीश कुमार ‘आउट’
शनिवार (14 मई) को भोजपुर जिले के कोइलवर में बने तीन लेन सड़क पुल का उद्घाटन होना है. केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी इसका उद्घाटन करेंगे. उद्घाटन कार्यक्रम के पोस्टर भोजपुर से लेकर पटना तक लगा हुए हैं. इस पोस्टर में सीएम नीतीश का चेहरा गायब है. ख़बरों की अगर मानें तो सिर्फ पोस्टर से ही नहीं बल्कि कार्यक्रम से ही नीतीश कुमार को ‘आउट’ कर दिया गया है.
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लोकार्पण कार्यक्रम में केंद्रीय उर्जा मंत्री आरके सिंह, सड़क परिवहन राज्य मंत्री वीके सिंह, केंद्रीय मंत्री अश्विनी कुमार चौबे शामिल होंगे. इनके अलावा बिहार विधान परिषद के सभापति अवधेश नारायण सिंह, बिहार के दोनों उप मुख्यमंत्री रेणु देवी और तारकिशोर प्रसाद मौजूद रहेंग. नीतीश सरकार में बीजेपी कोटे से पथ निर्माण मंत्री नितिन नवीन, कृषि मंत्री अमरेन्द्र प्रताप सिंह, बीजेपी सांसद राम कृपाल यादव, आरा विधायक राघवेन्द्र प्रताप सिंह, आरजेडी विधायक किरण देवी, भाई वीरेन्द्र भी मौजूद रहेंगे.
नीतीश कुमार को कार्यक्रम से ‘आउट’ करने को लेकर लगातार सियासी चर्चाओं का बाजार गर्म है. इसमें से एक बात जो निकलकर सामने आ रही है वो यह है कि बीजेपी अब और नीतीश कुमार को झेलने वाली नहीं है. बीजेपी का संदेश साफ है कि तुम्हें रहना तो रहो- नहीं तो जाइए, हम पर कोई फ़र्क़ नहीं पड़ेगा.
नीतीश कुमार पलटीमार
विधानसभा चुनावों में नीतीश कुमार की कम सीटें होने के बावजूद बीजेपी ने उदारता दिखाते हुए नीतीश कुमार को सीएम बनाया है, इसके बावजूद नीतीश कुमार वक्त-वक्त पर बीजेपी के विरुद्ध खड़े दिखते हैं. बीजेपी भी इस बात को अच्छे से समझती है कि नीतीश कुमार राजनीति के सबसे बड़े पलटीमार हैं.
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वो धारणा बनाने में माहिर हैं. इफ्तार पार्टी हो, लाउडस्पीकर का मुद्दा हो या फिर कोई और मुद्दे नीतीश कुमार ने बीजेपी को यही संदेश देने की कोशिश की है कि वो दूसरी पार्टी में भी जा सकते हैं. ऐसे में अब बीजेपी ने उन्हें कार्यक्रम में आमंत्रित ना करके अपना संदेश भी साफ कर दिया है.
महीन राजनीति करने वाले नीतीश कुमार बीजेपी पर प्रेशर बनाए रखना चाहते थे. इसलिए वो ‘इफ्तार-इफ्तार’ खेल रहे थे लेकिन बीजेपी ने अपने एक ही फैसले से उन्हें याद दिला कि अब बिहार में वो ‘छोटे भाई’ की भूमिका में हैं और उसी में उन्हें रहना चाहिए.
नीतीश कुमार को भूलना नहीं चाहिए की उनका राजनीतिक जीवन समाप्त हो चुका है. अब उनके पास वो जनाधार भी नहीं बचा जिसको दिखाकर वो मनमानी कर सकें.
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