राहुल की ‘चापलूसी’ में लगे रहे पायलट, फिर भी बैनर-होर्डिंग में नहीं मिली जगह

सचिन पायलट अभी भी ‘उड़ना’ नहीं सीख पाए !

Sachin Pilot

Source- TFIPOST।in

आप में से बहुत से लोगों ने ‛अंदाज अपना अपना’ फिल्म देखी होगी। कुछ दृश्य आमिर खान और सलमान खान परेशरावल को गुंडों से छुड़ाने जाते हैं। आमिर खान और सलमान खान परेशरावल को लूना पर बैठने को कहते हैं। आमिर और सलमान ‛आगे बैठिए, पीछे बैठिये, आगे बैठिये’ कहते रहते हैं और परेशरावल लूना लेकर निकल जाते हैं। सचिन पायलट भी उस फिल्म के आमिर खान और सलमान खान के जैसे हैं। कभी कांग्रेस से बगावत करते हैं, कभी गुणगान, फिर बगावत, फिर गुणगान, इसी चक्कर में गहलोत CM पद लेकर निकल गए और पायलट खड़े रह गए।

कुछ दिनों पूर्व कांग्रेस के विरुद्ध बगावत का बिगुल फूंकने वाले सचिन पायलट की गाड़ी का तेल फिर से खत्म हो गया है। अर्थात उन्होंने कांग्रेस नेतृत्व के समक्ष सरेंडर कर दिया है और इन दिनों प्रियंका गांधी को अध्यक्ष बनाने के लिए जी तोड़ मेहनत कर रहे हैं। वहीं गहलोत राहुल गांधी के लिए बैटिंग कर रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार “गहलोत ने बृहस्पतिवार और शुक्रवार दो दिन में आधा दर्जन वरिष्ठ नेताओं से बात की है। यह सभी पार्टी की पहली पंक्ति के नेता है। गहलोत ने एक बातचीत में कहा, राहुल को अध्यक्ष बनाने की मांग लम्बे समय से हो रही है। हर वर्ग और कार्यकर्ता चाहता है कि राहुल कांग्रेस अध्यक्ष का पद संभाले”

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बैनर पोस्टर से गायब रहे पायलट

वहीं उनके जवाब में सचिन पायलट प्रियंका के पक्ष में जा मिले हैं। हालांकि उन्होंने न तो प्रियंका को अध्यक्ष बनाने की मांग उठाई है और न ही उनमें क्षमता है कि वह ऐसी कोई बात कर सके। उल्टे उन्हें तो राहुल गांधी की आवभगत का कार्य सौंपा गया है। एक ओर सचिन पायलट पूरे मनोभाव से कांग्रेस सांसद राहुल गांधी की आवभगत में लगे हुए थे, दूसरी ओर उसी समय कांग्रेस शिविर के बाहर लगे उनके बैनर पोस्टर हटा दिए गए। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार “चिंतन शिविर जिस पांच सितारा होटल ताज अरावली में आयोजित किया जा रहा है, उसके बाहर एक बड़ा पोस्टर लगा है जिसमें राहुल गांधी और सोनिया गांधी की तस्वीर के अलावा राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत है और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा नजर आ रहे हैं, लेकिन पायलट नहीं हैं.”

किंतु कुछ रिपोर्ट यह बताती है कि कांग्रेस के राजकुमार की आवभगत करने के पारिश्रमिक रूप में सचिन पायलट को चिंतन शिविर के बाद प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बनाया जा सकता है। खुद के राजनीतिक भविष्य का अता-पता नहीं है किंतु सचिन पायलट 2024 में भाजपा को हराने के तरीकों को सुझाते नजर आ रहे हैं। उन्होंने मीडिया को बताया कि किस प्रकार कांग्रेसी 2024 में भाजपा को पराजित कर सकती है। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि साल 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए का मुकाबला करने के लिए यूपीए प्लस का गठन सबसे बेहतर विकल्प है। स्वामी भक्त कांग्रेसी की तरह उन्होंने यह राग अलापा की किस प्रकार भाजपा असल मुद्दों से ध्यान भटकाना चाहती है।

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पायलट का राजनीति भविष्य डूबता हुआ

कांग्रेसी और सचिन पायलट जैसे नेताओं के भाग्य को देखकर दुख होता है। यद्यपि सचिन पायलट भाजपा विरोधी खेमे में है किंतु उनकी नियति को देखकर कोई भी व्यक्ति मानवीय आधार पर उनके प्रति सहानुभूति व्यक्त करेगा। सचिन पायलट कांग्रेस की युवा पीढ़ी के सबसे योग्य नेता हुआ करते थे। उनके सफल नेतृत्व के कारण ही मोदी लहर के बाद भी राजस्थान में कांग्रेस ने भाजपा को पराजित किया था। उन्होंने 5 वर्ष तक जी तोड़ मेहनत की थी और जब कांग्रेस सत्ता में वापस आए उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। मुख्यमंत्री बनने के योग्य होते हुए भी उन्हें अशोक गहलोत के अधीन कर दिया गया।

कांग्रेस नेतृत्व ने यह निर्णय उनके बढ़ते कद को रोकने के लिए लिया था। पायलट ने कई बार हिम्मत जुटाकर कांग्रेस नेतृत्व के विरुद्ध जाने का प्रयास किया किंतु हर बार उनके हवाई जहाज के टायर पंचर हो जा रहे हैं। अच्छी प्रतिभाओं और युवा नेताओं को राजनीतिक मृत्यु देने का रिकॉर्ड बनाने वाली कांग्रेसी अगले 20 वर्षों तक के लिए अपनी पराजय सुनिश्चित कर ली है। सचिन पायलट एक अच्छे स्वामी भक्त की तरह डूबती नाव के साथ डूबना स्वीकार कर चुके हैं।

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