POCSO अधिनियम के एक आरोपी को जमानत दे दी गयी और ये निर्णय सुनाया गया बॉम्बे हाईकोर्ट के द्वारा। जी हां, मीडिया रिपोर्ट्स की बात करें तो 15 मई को जमानत देते हुए बॉम्बे उच्च न्यायालय की तरफ से कहा गया कि होठों पर किस करना और शरीर के अंगों को प्यार से छूना अप्राकृतिक यौन अपराध नहीं है। बॉम्बे हाई कोर्ट ने इन कृत्यों को लेकर कहा कि भारतीय दंड संहिता यानी IPC की धारा 377 के तहत ये अप्राकृतिक अपराध नहीं है। दरअसल, ये मामला संबंधित है एक 14 साल के लड़के से जो कि पीड़ित है। इस लड़के का यौन शोषण करने का एक व्यक्ति पर आरोप लगाया गया है।
पूरी घटना को समझ लेते हैं
सबसे पहले पूरी घटना को समझ लेते हैं, तो हुआ ये कि पीड़ित के पिता ने एक मामला दर्ज करवाया जो कि बेटे के साथ यौन शोषण का था जिसमें पिता ने ये जानकारी दी कि “कुछ पैसे मेरी अलमारी से गायब थे। इस बारे में जब मैंने अपने बेटे से पूछा तो ये पता चला कि वो एक ऑनलाइन गेम खेलता है और इस गेम के लिए वो पड़ोस की एक दुकान पर रिचार्ज करवाने जाता है। वो रिचार्ज करवाने अलमारी से पैसे निकालकर जाता था। बेटे ने ये तक कहा है कि दुकानदार ने एक दिन उसका यौन शोषण किया।
पूछताछ में पीड़ित ने अपने पिता को और भी कई बातें बतायी हैं। जैसे कि गेम रिचार्ज के लिए एक दिन जब दुकान पर वो गया तो वहां दुकानदार ने उसके होठों पर किस किया और तो और उसके गुप्तांगों को भी छुआ। बात केस दर्ज करवाने तक पहुंच गयी। पुलिस थाने में पिता ने केस दर्ज करवाया और इस तरह से IPC के सेक्शन 377 और POCSO की धाराओं के अंतर्गत मामला दर्ज किया गया। हाथ के हाथ पुलिस ने आरोपी दुकानदार को गिरफ्तार कर लिया।
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कोर्ट में जब मामला पहुंचा तो क्या हुआ?
अब फिर से पहुंचते हैं हाईकोर्ट की कार्यवाही और उसके सुनाये गये निर्णय पर। आरोपी व्यक्ति जब गिरफ्तार हो गया तो उसने जमानत के लिए हाईकोर्ट में याचिका डाल दी। इस मामले की सुनवाई कर रही थी जस्टिस अनुजा प्रभुदेसाई जिन्होंने इसे अपराध न बताते हुए आरोपी व्यक्ति को जमानत दे दी है।
गौर करना होगा कि कोर्ट ने इस मामले में और क्या क्या कहा है। जस्टिस अनुजा प्रभुदेसाई की तरफ से इस मामले को लेकर कहा गया है कि पीड़ित के बयान और FIR से ऐसी जानकारी मिलती है कि पीड़ित के होठों पर याचिकाकर्ता ने किस किया साथ ही उसके प्राइवेट पार्ट्स को छुआ। जज ने कहा कि प्रथमदृष्टया ये ममाला धारा 377 के तहत अपराध नहीं है। कोर्ट की तरफ से ये भी कहा गया है कि पॉक्सो की धारा 8 और 12 के तहत अपराधी को अधिकतम 5 साल तक की जेल की सजा है। तो दूसरी तरह याचिकाकर्ता पहले ही एक साल से हिरासत में रखा गया था। यहां तक कि अभी तक उस पर आरोप भी तय नहीं हुए और हाल में इस मामले में केस शुरू हो पाने की संभावना नहीं है। इस तरह से उसे जमानत पाने का अधिकार है।
ध्यान देना होगा कि आरोपी को न्यायालय की तरफ से कई निर्देश दिए गए हैं। जमानत के साथ याचिकाकर्ता को 30 हजार रुपये के निजी बॉन्ड को जमा कराना होगा और हर 2 माह में उसे एक बार पुलिस थाने में रिपोर्ट करवानी होगी। न्यायालय की ओर से ये तक कहा गया कि शिकायतकर्ता या गवाहों पर आरोपी किसी भी तरह का दबाव नहीं डालेगा और न तो साक्ष्यों के साथ कोई छेड़छाड़ करेगा। मामले की कार्यवाही में आरोपी को सहयोग करना होगा और ट्रायल कोर्ट रूम में सभी तारीखों पर पेश होना होगा।
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कानून क्या कहता है?
यहां देखने वाली बात ये है कि हाईकोर्ट ने मामले में आरोपी को जमानत तो दी है लेकिन अगर POCSO कानून को थोड़ा सा विस्तार से समझा जाए तो कई बाते अनसुलझी रह जाती हैं! आइए POCSO कानून को जानते हैं और जानते हैं कि किस कानून के तहत बच्चे के प्राइवेट पार्ट छूना या किस करना अपराध है। दरअसल, नाबालिगों को यौन हिंसा से सुरक्षित रखा जा सके इसके लिए POCSO कानून लाया गया। पॉक्सो अधिनियम की धारा 7 बताती है कि कोई भी व्यक्ति किसी बच्चे के प्राइवेट पार्ट्स को पकड़ ले ये अपना प्राइवेट पार्ट पकड़वाए तो ये यौन हिंसा होगी। ये आरोप सिद्ध होने पर तीन से पांच साल की अपराधी को जेल की सजा होगी और जुर्माना भी भरना होगा। जहां तक POCSO कानून के संदर्भ में इस मौजूदा मामले की बात की जाए तो POCSO कानून के तहत किसी बच्चे को किस करना भी अपराध ही होता है। IPC सेक्शन 377 की बात करें तो कोई व्यक्ति किसी पुरुष, औरत या जानवर के साथ बलात संबंध बनाने का प्रयास करता है तो उसे आजीवन कारावास की सजा दी जाएगी।