“सर्वधर्म संभाव” भारत का मूलमंत्र है! यहां हर धर्म, भाषा और संस्कृति को मानने वाले लोग रहते हैं। सबकी अपनी अलग सोच है, अलग मान्यताएं हैं और अलग विचारधारा है, लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं जो धार्मिक मान्यताओं की आड़ में जहर उगलने से बाज नहीं आते। जी हां, आप बिल्कुल सही समझ रहे हैं, हम कट्टरपंथियों की ही बात कर रहे हैं। भारत की एकता और संप्रभुता को लेकर खतरा उत्पन्न करने वाले ये कट्टरपंथी आये दिन देश में अपनी विकृत सोच को आगे बढ़ाने हेतु अशांति फैलाने की कोशिशों में लिप्त पाए जाते हैं। भारत वैश्विक स्तर पर चीन और पाकिस्तान से दो-दो हाथ करने में सक्षम है पर देश में छिपे इन गद्दारों से भारत को बचना होगा। इनमें खालिस्तानी, कश्मीर में रहने वाले दहशतगर्द, नक्सली आदि शामिल हैं, जो देश को आर्थिक और मानवता के पैमाने पर चोट पहुंचाते हैं।
भारत में अलगाववादी और अलगाववादी आंदोलनों का हालिया उदय पहले से ही एक चिंता का विषय है। यह सत्य है कि भारतीय समाज में धर्म, भाषा और क्षेत्र के आधार पर लोग विभाजित हैं और ऐसे समूह भारत को तोड़ने के लिए तैयार रहते हैं। साथ ही अपने नापाक एजेंडे को पूरा करने की कोशिश में वे दुनिया भर में भारत विरोधी कार्य करने को तैयार रहते हैं। एक तरफ, खालिस्तानी अपने अलगाववादी एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए विस्थापित सिखों के साथ समन्वय कर रहे हैं, तो दूसरी ओर इस्लामवादियों को दुनिया भर के इस्लामी देशों द्वारा समर्थित किया गया है। इसके अलावा एक अंतरराष्ट्रीय भारत विरोधी टूलकिट, इस्लामवादी, खालिस्तानी और अन्य अलगाववादी समूहों दोनों के साथ समन्वय कर रहा है।
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ध्यान देने वाली बात है कि खालिस्तानी संगठन सिख फॉर जस्टिस (SFJ) एक ISI (इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस) समर्थित अलगाववादी समूह है, जो भारत में खालिस्तानी आंदोलन का आर्थिक, तार्किक और नैतिक रूप से समर्थन करता है। ज्ञात हो कि CAA (नागरिकता संशोधन अधिनियम), NRC (नागरिकों के लिए राष्ट्रीय रजिस्टर) और किसानों के विरोध के दौरान ऐसी अंतरराष्ट्रीय ताकतों द्वारा भारत को बदनाम करने के लिए एक समन्वित टूलकिट शुरू की गई थी और भारत तथा देश में राष्ट्रवादी सरकार के खिलाफ एक समन्वित अभियान चलाया गया जिसका भांडा बाद में फूट गया। इस टूलकिट गैंग ने भारत को बदनाम करने की अपनी पूरी कोशिश की थी, लेकिन विफल रहे। गौर करने वाली बात है कि देश की कई राजनीतिक पार्टियां भी इन खालिस्तानी और अलगाववादी संगठनों का समर्थन करते हुए दिख जाती हैं।
आम आदमी पार्टी को ही देख लीजिए! पंजाब चुनाव से ठीक पहले खालिस्तानियों के साथ AAP के गंठजोड़ की कई खबरें सामने आई थी। केजरीवाल की खालिस्तान के प्रथम पीएम बनने के साथ-साथ उनकी कई महत्वाकांक्षाओं का भी खुलासा हुआ था। यहां तक कि गुरपतवंत सिंह पन्नू ने पंजाबी में एक पत्र भी जारी किया था, जिसमें कहा गया था कि “हम सिख फॉर जस्टिस के सभी सदस्य पंजाब विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी के भगवंत मान को अपने समर्थन की घोषणा करते हैं। यह चुनाव बेहद अहम हैं। अगर आम आदमी पार्टी की सरकार पंजाब में बनती है तो हमें हमारे खालिस्तान के लक्ष्य को पाने में आसानी होगी। हमने 2017 के चुनावों में भी आम आदमी पार्टी का समर्थन किया था। सिर्फ आम आदमी पार्टी है जो हमारे टारगेट को पूरा करवा सकती है। उन्हें वोट दे कर हमें मजबूत करें।”
अब पंजाब में AAP की सरकार बनने के 1 महीने के भीतर ही राज्य में कई तरह की खालिस्तानी घटनाएं देखने को मिल चुकी है। पटियाला हिंसा इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है, जहां काली मंदिर को तोड़ते हुए खालिस्तानियों ने अपने झंडे लहराए थे। अब हिमाचल में भी खालिस्तानी अपना जड़ जमाना आरंभ कर चुके हैं। ध्यान देने वाली बात है कि आम आदमी पार्टी हिमाचल प्रदेश में भी अपने पैर फैला रही है, राज्य में कुछ ही महीनें में चुनाव होने वाले हैं लेकिन उससे ठीक पहले हिमाचल प्रदेश के विधानसभा के मेन गेट पर खालिस्तानी झंडा देखने को मिला। आपको बता दें कि सोमवार को मोहाली में पंजाब पुलिस की खुफिया शाखा के मुख्यालय की तीसरी मंजिल पर रॉकेट चालित ग्रेनेड दागे जाने के बाद पंजाब में अलर्ट जारी किया गया है। ऐसे में यह कहा जा सकता है कि विदेशी ताकतों द्वारा समर्थित देश विरोधी ताकते, देश की एकता और संप्रभुता पर चोट करने की अपनी कोशिशों में लगी हुई है और देश युद्ध की स्थिति में पहुंच चुका है।