जब दुनिया एक खानाबदोश जीवन शैली जी रही थी तब भारत संपन्नता के शिखर पर था

इतिहास धरा को चीरकर एक दिन दुनिया के सामने आ ही जाता है !

haddaappa

Source- TFI

सभ्यता की सबसे बड़ी श्रेष्ठता क्या है? उसकी सत्यता सार्वभौमिकता और सर्वे भवंतू सुखिन: का सिद्धांत। परंतु शायद आपको यह जानकर आश्चर्य हो कि जिस धर्म ने मानवीय मूल्यों और प्राकृतिक सिद्धांतों को सबसे सर्वोपरि माना उसी को सबसे ज्यादा छला गया। इस छलावे के सबसे मुख्य कारण बने उसकी सत्यता सार्वभौमिकता और प्राणी मात्र के लिए सद्भावना के गुण और इसका भुक्तभोगी था हिंदू धर्म। इस धर्म ने मानव मात्र पर जितने उपकार की उसे उतना ही तिरस्कार मिला। यहां तक की इस धर्म को अपने सामाजिक, वैज्ञानिक, सांस्कृतिक, प्रौद्योगिक, तकनीकी और कला विस्तार के श्रेय से भी वंचित कर दिया गया।

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने राखीगढ़ी, हरियाणा में 7000 साल पुराने नियोजित हड़प्पा शहर और उसके आसपास नई खुदाई कर रहा है, जो मई के अंत तक पूरा हो जाएगा। राखीगढ़ी में खुदाई और अध्ययन से अब तक पता चला है कि इस जगह पर कभी बेहतर इंजीनियरिंग से बना एक सुनियोजित शहर और 5000 साल पुरानी एक फैक्ट्री थी।

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प्राचीन भारत की हड़प्पा सभ्यता

ये तो हम सभी जानते हैं की सिन्धु घाटी और हड़प्पा सभ्यता दुनिया की सबसे पुरानी, सबसे व्यवस्थित और दुनिया की प्रथम नगरीय सभ्यता है। उत्खनन के दौरान, अधिकारियों ने हड़प्पा संस्कृति के अवशेषों का अध्ययन किया और नगर नियोजन के साक्ष्य प्राप्त किए, जिसमें सड़कें, पक्की दीवारें और बहुमंजिला घर होने के प्रमाण मिले हैं। परन्तु, जो सबसे चौकानेवाली चीज़ मिली है वो है-5000 साल पुरानी फैक्ट्री। इस खुदाई में करीब 5000 साल पुरानी फैक्ट्री के अवशेष भी मिले हैं, जिसमें ज्वैलरी बनाई जाती थी, जिससे पता चलता है कि ट्रेडिंग भी इसी शहर से होती थी। इसके साथ साथ खुदाई के दौरान जेवरात के साथ दो महिलाओं के कंकाल मिले। कंकालों के साथ-साथ मृतक द्वारा इस्तेमाल किए गए बर्तन भी दफना दिए गए।

राखीगढ़ी हड़प्पा सभ्यता का सबसे बड़ा पुरातात्विक स्थल है जो दो आधुनिक गांवों राखी-शाहपुर और राखीगढ़ी-खास के अंतर्गत आता है।राखीगढ़ी को हड़प्पा संस्कृति के प्रमुख महानगरीय केंद्र के रूप में वर्गीकृत किया गया है। राखीगढ़ी साइट केंद्रीय बजट 2020-21 के अनुसार केंद्र सरकार द्वारा घोषित “पांच प्रतिष्ठित स्थलों” में से एक है।

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विश्व में भारत सिक्कों का जारीकर्ता

इस फैक्ट्री के मिलने से एक बात तो सिद्ध हो गयी की चीनी और लिडियन (मध्य पूर्व) से पहले भारतीय दुनिया में सिक्कों के शुरुआती जारीकर्ता थे। प्राचीन भारत के महाजनपदों (गणतंत्र राज्यों) द्वारा 6 वीं शताब्दी ईसा पूर्व में पहले भारतीय सिक्के-पुराण, करशापान या पाना नामक पंच चिह्नित सिक्के बनाए गए थे। इनमें गांधार, कुंतला, कुरु, पांचाल, शाक्य, सुरसेन और सौराष्ट्र शामिल थे।

प्राचीन भारतीय सिक्के सिल्क रोड के साथ बाजारों को, पूर्व और पश्चिम को जोड़ने वाले व्यापार मार्ग, विजेता और उनकी यात्राएं, टकसाल, युद्ध और खोए राज्यों के इतिहास की झलकी देता है। भारतीय सिक्के शायद दुनिया में सबसे आकर्षक है। प्राचीन ग्रीस, रोम, फारस और चीन के सभी बाहरी प्रभाव हैं और 2,500 वर्षों के स्वदेशी विकास भी इसमें शामिल हैं।

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राखीगढ़ी में मिले उनात शहर से ज्यादा ये सिक्के और उसकी फैक्ट्री ज्यादा आश्चर्यचकित करते हैं। यह इस बात का स्पष्ट प्रमाण है की भारत में आभूषण का एक बहुत बिकसित बाज़ार था। इसके साथ-साथ दुनिया को यह भी समझाना होगा की भारत ही वो देश था जो दुनिया को बार्टर व्यवस्था से एक विकसित और राज्य आधारित मौद्रिक व्यवस्था पर ले आया।

 

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