आज हर कोई ताजमहल के उन 22 कमरों का रहस्य जानना चाहता है। हर कोई जानना चाहता है कि आख़िरकार उन कमरों को बंद क्यों किया गया है? ऐसा क्या है उन 22 कमरों में जो देश की जनता को नहीं बताया जा सकता? उन 22 कमरों में जो भी हो क्यों नहीं उसे देश को पता होना चाहिए? इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में जब इन्हीं 22 कमरों को खुलवाने के लिए याचिका दायर की गई तो कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी।
कोर्ट ने याचिका खारिज करने के साथ जो कहा वो बहुत महत्वपूर्ण है। कोर्ट ने इस दौरान कहा कि उन 22 कमरों में क्या है, क्या नहीं है- यह कोर्ट के जांचने का विषय नहीं है बल्कि इतिहासकारों की रिसर्च का विषय है। इस दौरान न्यायमूर्ति डीके उपाध्याय और न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की खंडपीठ ने कहा कि अदालत भारत के संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत ऐसा आदेश पारित नहीं कर सकती है।
न्यायालय ने कहा कि याचिका मे जो मांग की गई है उसे न्यायिक कार्यवाही में तय नहीं किया जा सकता। न्यायालय ने आगे कहा कि ताजमहल के संबंध में रिसर्च एक एकेडमिक काम है, न्यायिक कार्यवाही में इसका आदेश नहीं दिया जा सकता।
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टीएफ़आई मीडिया के फाउंडर और सीईओ अतुल मिश्रा ने भी इस मामले पर ट्वीट किया। अपने ट्वीट में उन्होंने लिखा, ‘यह एक अच्छा फैसला है। पीठ का साफ कहना है कि अध्ययन न्यायपालिका के दायरे से बाहर है। सरकार प्रख्यात इतिहासकारों, पुरातत्वविदों और साहित्यकारों की एक समिति गठित करके इस विवाद को हमेशा के लिए ख़त्म कर सकती है।’
It’s a good judgement. The bench clearly says that the study is outside the purview of the judiciary. The government can constitute a committee of eminent historians, archaeologists and litterateurs and put this controversy to end. https://t.co/fylljC2HcT
— Atul Kumar Mishra (@TheAtulMishra) May 12, 2022
इस तरह से अदालत ने अपने आदेश में साफ किया है कि वो इस मामले पर फैसला नहीं दे सकते क्योंकि यह काम तो इतिहासकारों का है। जब कोर्ट ने यह कह दिया है तो क्यों नहीं सरकार इस मामले में इतिहासकारों की, पुरातत्वविदों की एक कमेटी का गठन करके इस मामले को हमेशा के लिए बंद कर देती।
इस कमेटी के द्वारा सरकार पूरे देश को बता दे कि उन 22 कमरों में क्या है? सबसे पहले तो सवाल यही है कि उन कमरों को आखिरकार तालों से जड़ित क्यों किया गया है? इससे सुरक्षा में कौन-सी चूक हो सकती थी? इसी बात को आगे बढ़ाते हैं और मान लेते हैं कि उन कमरों में जो भी है वो बेशकीमती चीजें हैं। वो ऐतिहासिक चीजें हैं, अगर हैं तो फिर उन्हें तालों में क्या रखा गया है?
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इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के मामले पर निर्णय के बाद भारतीय पुरात्तव सर्वेक्षण (ASI) ने उन कमरों की तस्वीरें जारी की हैं, जिन पर विवाद छिड़ा है। एएसआई के अनुसार, ये तस्वीरें उस दौरान ली गई थीं जब साल 2022 में इनकी मरम्मत की गई थी।
भाजपा के अयोध्या मीडिया प्रभारी डॉ. रजनीश सिंह ने कोर्ट में उन 22 कमरों के दरवाजे खुलवाने के लिए याचिका दायर की थी। डॉ. रजनीश सिंह का कहना था कि उन 22 कमरों में बंद राज को दुनिया के सामने लाने के लिए उन्होंने ऐसा किया था।
ताजमहल से जुड़ा यह विवाद बहुत लंबे समय से चला आ रहा है। इस विवाद में दावा करते हुए कहा जाता है कि जहां ताजमहल बना हुआ है, वो पहले शिव मंदिर हुआ करता था। इसका नाम तेजोमहल होने का दावा किया जाता है। सरकार उन 22 कमरों का सच देश को बताकर इस पूरे मामले पर विराम लगा सकती है।
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