इन दिनों केंद्र सरकार हर उस संस्थान के विरुद्ध ताबड़तोड़ कार्रवाई कर रही है, जो भारत के हितों के विरुद्ध जा रहे हैं, चाहे वह कोई भी हो, कैसा भी हो और ये बात चीनी प्रतिष्ठानों से बेहतर कोई नहीं जानता! चीन और चीनी कंपनियों के खिलाफ मोदी सरकार का एक्शन पूरी दुनिया देख रही है। क्योंकि चीन भारत से पैसा तो कमाना चाहता है, लेकिन कर नहीं चुकाना चाहता। वो भारत का सिर्फ आर्थिक दोहन करना चाहता है। चीनी कंपनियां आज के ईस्ट इंडिया की तरह व्यवहार कर रही है, लेकिन उन्हें समझना चाहिए कि ये 21वीं सदी का भारत है, जो उनके हर सवाल का माकूल जवाब दे सकता है। इसी कड़ी में अब चीनी कंपनी शाओमी पर ईडी की वर्तमान कार्रवाई न केवल दमदार है, अपितु शाओमी का बोरिया बिस्तर समेटने के लिए भी पर्याप्त है।
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शाओमी पर जबरदस्त कार्रवाई
दरअसल, एक बार फिर चीनी मोबाइल निर्माता कंपनी शाओमी की लंका लगी है और इस बार तगड़ी वाली लगी है। प्रवर्तन निदेशालय ने अपनी कार्रवाई में चीनी स्मार्टफोन निर्माता शाओमी (Xiaomi) के एक नहीं, दो नहीं, अपितु 5500 करोड़ की संपत्ति को जब्त करने का निर्णय लिया है। FEMA एक्ट यानी विदेशी मुद्रण अधिनियम का उल्लंघन करने के पीछे यह कदम उठाया गया है, क्योंकि शाओमी के काले धंधों से कोई भी अनभिज्ञ नहीं है और इसके कारण ईडी ने इस अप्रत्याशित कार्रवाई को अंजाम दिया है। ध्यान देने वाली बात है कि शाओमी ने वर्ष 2015 से लगभग 5500 करोड़ रुपये की अवैध कमाई चीन और अमेरिका में स्थित अपनी कंपनियों को भेजी है।
प्रवर्तन निदेशालय के बयान के अनुसार कंपनी ने रॉयल्टी के नाम पर इतना बड़ा भुगतान वास्तव में शाओमी से संबंधित इकाइयों को लाभ पहुंचाने के दृष्टिकोण से किया था। ED ने आगे ये भी बताया, “Xiaomi India भारत में पूर्णतया निर्मित मोबाइल सेट और अन्य उत्पाद अन्य उत्पादकों से प्राप्त तो करता है, परंतु इससे उत्पन्न होने वाले लाभ या फिर सेवा का कोई हिसाब किताब नहीं रखता। इसकी आड़ में शाओमी ने कई तरीकों से FEMA के सेक्शन 4 का उल्लंघन किया है। यही नहीं, कंपनी ने विदेश में पैसों का भुगतान करते समय भ्रामक जानकारी भी दी है।”
इस कंपनी पर पहले भी हो चुकी है कार्रवाई
इससे पूर्व में भी Xiaomi के विरुद्ध ईडी की ओर ताबड़तोड़ कार्रवाई की गई थी। जनवरी 2022 में यह खबर सामने आई थी कि आयकर विभाग द्वारा भारत में काम कर रही चीनी मोबाइल कंपनियों की तलाशी के बाद, राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई) ने पाया कि Xiaomi टेक्नोलॉजी इंडिया प्राइवेट लिमिटेड ने तीन वर्षों में 653 करोड़ रुपये की कस्टम ड्यूटी की चोरी की है। डीआरआई ने राशि की वसूली के लिए कंपनी को तीन कारण बताओ नोटिस जारी किए।
इसके अतिरिक्त भारतीय कर अधिकारियों ने सीमा शुल्क अधिनियम के कथित उल्लंघन के लिए Xiaomi Technology India Pvt को 653 करोड़ की मांग की थी। सीमा शुल्क अधिनियम, 1962 के प्रावधानों के तहत 1 अप्रैल 2017 से 30 जून 2020 की अवधि के बीच कंपनी को तीन कारण बताओ नोटिस भी जारी किए गए, क्योंकि कंपनी ने अपने आयात के मूल्य में रॉयल्टी और लाइसेंस शुल्क शामिल नहीं किया था। वित्त मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि लेनदेन मूल्य में “रॉयल्टी और लाइसेंस शुल्क” नहीं जोड़कर, Xiaomi India कथित तौर पर ऐसे आयातित मोबाइल फोन के सीमा शुल्क से बच रहा था।
बताते चलें कि यह चीनी कंपनी भारत में एमआई (MI) और रेडमी (Redmi) ब्रांड नाम के तहत मोबाइल फोन का कारोबार करती है। ईडी ने शनिवार को की गई कार्रवाई के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि शाओमी इंडिया चीन स्थित शाओमी ग्रुप की पूर्ण स्वामित्व वाली कंपनी है। एजेंसी ने कहा कि फरवरी 2022 में चीनी फर्म द्वारा विदेश भेजे गए कथित अवैध प्रेषण के संबंध में कंपनी के खिलाफ जांच शुरू की गई थी। इसके बाद विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (FEMA) की संबंधित धाराओं के तहत खातों में जमा राशि की जब्ती की गई है। ऐसे में जिस प्रकार से केंद्र सरकार ने Xiaomi के विरुद्ध हल्ला बोला है, उससे एक बात तो स्पष्ट होती है – इस बार वह किसी प्रकार की संधि या ढील देने के मूड में नहीं है। अब कार्रवाई ताबड़तोड़ होगी और तब तक होगी जब तक Xiaomi अपना बोरिया बिस्तर लपेट कर भारत से रास्ता न नाप ले।
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