आज कल समय ही कुछ ऐसा चल रहा है की कुछ निर्णय को समय के साथ-साथ लिए जाए तो अच्छे भी लगते हैं, और जब यह निर्णय सरकार और जनता से जुड़े हों जिससे एक हितकारी फैसला आने की संभावना होती है तो उसकी महत्ता और अधिक बढ़ जाती है। इसी क्रम में उत्तर प्रदेश सरकार ने मदरसों और उसमें भी नाम के मदरसों पर नकेल कसने के लिए बड़ा फैसला लिया है। योगी आदित्यनाथ की उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य में नए मदरसों के लिए अनुदान रोक दिया है जिसके कारण सरकार के वित्तीय कोष पर अतिरिक्त भार नहीं बढ़ेगा। इसका अर्थ अब योगी आदित्यनाथ ने उन मदरसों का गला घोंटना शुरू किया है जो नाम के लिए स्थापित किए गए और सरकारी तंत्र से उगाही करने की ताक में रहते थे।
कैबिनेट में लगी मुहर
दरअसल, योगी आदित्यनाथ की उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य में नए मदरसों के लिए अनुदान रोक दिया है। 17 मई को कैबिनेट के फैसले में, राज्य सरकार ने नए मदरसों को अनुदान सूची से बाहर करने के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया। राज्य सरकार ने अपने बजट 2021-22 में मदरसा आधुनिकीकरण योजना के तहत 479 करोड़ रुपये आवंटित किए। रिपोर्टों के अनुसार, राज्य में 16,000 से अधिक पंजीकृत मदरसे हैं, जिनमें से 558 सरकारी सहायता प्राप्त हैं। अनुदान के तहत इन मदरसों के शिक्षकों, कर्मियों का भुगतान किया जाता है।
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दानिश आजाद अंसारी ने कहा
मदरसों को लेकर यह अकेला फैसला नहीं है जो अभी आया है। नए मदरसों को अनुदान सूची से बाहर करने का निर्णय राज्य सरकार द्वारा राष्ट्रगान के गायन को अनिवार्य किए जाने के लगभग एक सप्ताह बाद आया है। उत्तर प्रदेश के अल्पसंख्यक मामलों के राज्य मंत्री दानिश आजाद अंसारी ने कहा कि राज्य सरकार चाहती है कि मदरसों के छात्र ‘देशभक्ति से भरे’ हों। उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यकों के लिए मदरसो की शिक्षा महत्वपूर्ण है और जब राष्ट्रगान गाया जाएगा, तो छात्र समाज के मूल्यों को सीखेंगे।
अखिलेश सरकार के फैसले को पलटा
दरअसल, समाजवादी पार्टी की सरकार ने साल 2003 तक मान्यता प्राप्त 146 मदरसों को अनुदान सूची में शामिल करने का फैसला लिया था। उसके बाद इस सूची में 100 मदरसे शामिल कर लिए गए लेकिन फिर भी 46 बच गए। अनुदान न मिलने पर यही बाकी बचे 46 मदरसों ने अदालतों का दरवाजा खटखटाया। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर एक मदरसे को अनुदान सूची में शामिल भी किया गया, लेकिन साथ ही अब कैबिनेट ने पूर्ववर्ती अखिलेश सरकार के फैसले को पलट दिया। इसके बाद बाकी बचे मदरसों को अनुदान नहीं दिया जाएगा।
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ज्ञात हो कि, एक तो यह निर्णय किसी दुर्भावना के तहत नहीं बल्कि अव्यवस्था फ़ैलाने वाले मदरसों की रोकथाम के लिए उठाया गया है। यूँ तो समाजवादी पार्टी की अखिलेश सरकार ने साल 2003 तक के आलिया स्तर तक के 146 मदरसों में से 100 को अनुदान दिया जा रहा था। हालांकि साल 2017 में आई योगी सरकार ने जब जांच की तो कई मदरसे मानक पर खरे नहीं उतरे जिसकी वजह से यह फैसला लिया गया था। इससे पहले बीते महीने योगी आदित्यनाथ सरकार ने आधुनिक मदरसा योजना के तहत राज्य में मदरसों की जांच के निर्देश दिए थे जिसके बाद ये सभी निर्णय आने प्रारंभ हुए।