उत्तर प्रदेश में वर्ष 2017 के पहले जहां नेता या सत्ताधारी मुखिया अपने विरोधी को अनावश्यक रूप से घेरने के साथ ही विरोधी दल और उसके साथियों को हड़काया करते थे वहीं आज ऐसी स्थिति है कि सत्ताधीश उन तत्वों को प्रमाण सहित तमाचा मारने के लिए तत्पर रहते हैं। दरअसल बेरोजगारी उन्मूलन में सीएम योगी आदित्यनाथ का यूपी चार्ट में अव्वल आया है जिसने सबके मुंह पर ताले जड़ दिए हैं।
ये है यूपी सरकार की बड़ी उपलब्धि
दरअसल, जिस प्रकार बेरोजगारी की समस्या को लेकर विपक्ष सरकार को पानी पी पीकर कोसता है आज उसी बेरोजगारी के आंकड़ों ने सीएम योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार के कंधों पर एक उपलब्धि और ज़िम्मेदारी डाल दी है। इस आंकड़े को बरकरार रखने और बेहतर करते रहने का ज़िम्मा भी उसी शासन पर है जिसने यह सब हासिल किया है। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) द्वारा जारी नवीनतम सर्वेक्षण के अनुसार, एक बड़ी उपलब्धि में उत्तर प्रदेश ने 2.9% की बेरोजगारी दर दर्ज की है, जो मार्च में 4.4% थी।
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बता दें, यूपी ने दिल्ली, पंजाब, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, केरल और तमिलनाडु जैसे राज्यों को पीछे छोड़ दिया है। यूपी के बाद तमिलनाडु में 3.2% की बेरोजगारी दर, केरल और आंध्र प्रदेश (प्रत्येक में 5.8%), बंगाल (6.2%) और पंजाब (7.2%) है। देश में बेरोजगारी और व्यावसायिक गतिविधियों की निगरानी करने वाले संगठन सीएमआईई ने खुलासा किया है कि राजस्थान (28.8%), झारखंड (14.2%) और दिल्ली (11.2%) बेरोजगारी के मामले में सबसे ज्यादा प्रभावित राज्यों में से हैं। “सीएमआईई के मासिक आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल 2022 में यूपी में बेरोजगारी दर घटकर 2.9% हो गई, जो इस साल मार्च में 4.4% थी। विशेष रूप से, यूपी सरकार ने 2017 और 2022 के बीच अपने पिछले शासन में, युवाओं को पांच लाख से अधिक सरकारी नौकरियां प्रदान करने का रिकॉर्ड बनाया।
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सीएम योगी की दूरदर्शी नीतियों का है परिणाम
सीएम योगी आदित्यनाथ द्वारा शुरू की गई दूरदर्शी नीतियों और रोजगारोन्मुखी योजनाओं ने नए व्यवसायों को बढ़ावा देने और साथ ही साथ युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर पैदा करने में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। “उद्योग और व्यापार बढ़ने के कारण, यूपी में सबसे कम बेरोजगारी है।
राज्य में इतनी बड़ी आबादी होने के कारण राज्य सरकार पर युवाओं के रोज़गार का बड़ा हिस्सा राज्य सरकार के अधीन आता है। चूंकि, कोविड-19 के बाद भी राज्य सरकार ने युवाओं को रोजगार देने में कोई कसर नहीं छोड़ी है, पिछले पांच वर्षों में लगभग तीन करोड़ लोगों को रोजगार से जोड़ने के लिए योगी सरकार की स्वरोजगार की विभिन्न योजनाओं के तहत काम किया गया है।
सौ बात की एक बात यह है कि जिनके खुद के घर शीशे के होते हैं वो दूसरे के घर पर पत्थर नहीं फेंका करते। विपक्षी दलों को यूपी को बस इसलिए ठगा हुआ दिखाने का ढोंग रचना मात्र इसलिए क्योंकि राज्य का मुखिया भगवाधीरी महंत योगी आदित्यनाथ है यह विपक्ष के दोहरे चरित्र को दर्शाता है। एक बार ग़ैर भाजपा-शासित राज्यों की यथास्थिति आँकड़ों के माध्यम से देख ली होती तो शायद काफ़ी समय पहले विपक्ष की रोटी सिकनी बंद हो जातीं और फिर “बेरोजगारी” की असल मार झेलती “विपक्षी पार्टियाँ।”