अग्निपथ योजना का हाल कृषि कानून जैसा कतई नहीं होगा

अग्निपथ योजना: उपद्रवियों का षड्यंत्र नहीं होगा सफल!

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अग्निपथ योजना का हाल कृषि कानून जैसा कतई नहीं होगा

कुछ लोगों को ऐसा प्रतीत होता है कि यदि वे तनिक आगजनी करेंगे, उपद्रव मचाएंगे, और नौटंकी करेंगे, तो वे सरकार को डरा धमकाकर अपने इशारों पर नचवा पाएंगे। नागरिकता संशोधन एक्ट पर वे आंशिक रूप से सफल हुए, और कृषि कानून के विषय पर तो उन्होंने सरकार को किसानों के हितों में लाए गए कानूनों को वापस लेने पर विवश कर दिया था। परंतु अग्निपथ योजना पर उपद्रव के पश्चात केंद्र सरकार ने भी निर्णय कर लिया है, बस अब और नहीं।

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‘अग्निपथ’ योजना को सरकार ने लॉन्च किया है

हाल ही में केंद्र सरकार और भारतीय सेना के तीनों बलों ने भारतीय सेनाओं को अधिक सशक्त बनाने हेतु ‘अग्निपथ’ योजना को लॉन्च किया है। परंतु इस योजना पर चर्चा भी होती, इससे पूर्व ही हिंसक विरोध प्रदर्शनों ने देशभर को घेरना प्रारंभ कर दिया और लोगों को लगने लगा कि कहीं इसका हाल कृषि कानून जैसा न हो जाए।

परंतु रक्षा मंत्रालय और भारतीय सुरक्षाबलों ने स्पष्ट कर दिया है कि इसके बारे में उपद्रवी सोचे भी नहीं कि वे उन्हें अग्निपथ योजना को कृषि कानून की भांति वापस लेने पर विवश कर देंगे। इसकी ओर संकेत देते हुए भारतीय वायुसेना प्रमुख वी आर चौधरी ने स्पष्ट कर दिया कि अग्निपथ योजना के अंतर्गत देश के भावी ‘अग्निवीरों’ की भर्ती वायुसेना में 24 जून से ही प्रारंभ हो जाएगी, और अतिरिक्त सहायता के अन्तर्गत अपर एज लिमिट को सभी परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए 23 वर्ष तक भी बढ़ाया गया है –

इसका अनुमोदन करते हुए भारतीय नौसेना और भारतीय थलसेना ने भी अपने रिक्रूटमेंट कैलेंडर और अपनी योजना का ब्लूप्रिंट शीघ्र जारी करने का आश्वासन दिया है। थलसेना प्रमुख जनरल मनोज पाण्डे का स्पष्ट कहना है कि जिन्हें भी इस योजना से समस्या है वे इसका ध्यान से विश्लेषण करे और फिर बात करे, इसके बाद भी अगर कोई उपद्रव करता है तो फिर शायद उन्हें इस बारे में कोई ज्ञान नहीं है।

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इस नयी योजना में क्या है?

बता दें कि अग्निपथ योजना के तहत, लगभग 45,000 से 50,000 सैनिकों की सालाना भर्ती की जाएगी और अधिकांश केवल चार वर्षों में सेवा छोड़ देंगे। कुल वार्षिक भर्तियों में से केवल 25 प्रतिशत को ही स्थायी कमीशन के तहत अगले 15 वर्षों तक जारी रखने की अनुमति होगी। इस कदम से देश में 13 लाख से अधिक मजबूत सशस्त्र बलों के लिए स्थायी बल का स्तर काफी कम हो जाएगा। बदले में यह रक्षा पेंशन बिल को भी काफी कम कर देगा जो कई वर्षों से सरकारों के लिए एक प्रमुख चिंता का विषय रहा है।

परंतु विरोधी तरह तरह की अफवाहें फैला रहें हैं, विशेषकर यह कि इससे देश के करोड़ों युवाओं का रोजगार चला जाएगा, 4 वर्ष के बाद सब सड़क पर आ जाएंगे, कुछ भी नहीं बचेगा, इत्यादि इत्यादि। इस अंधविरोध के चलते भ्रमित प्रदर्शनकारी उपद्रव पे उतर आए और उन्होंने रेलवे पर धावा बोल दिया, जिसके कारण करोड़ों की संपत्ति को नुकसान पहुंचा।

परंतु जिस प्रकार से भारतीय सेना और रक्षा मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि भर्ती में कोई कमी नहीं रहेगी और अग्निपथ योजना बेरोकटोक जारी रहेगी, उससे स्पष्ट हो गया है कि अब चाहे कुछ भी हो जाए, गुंडई के सामने सरकार नतमस्तक नहीं होगी, और देश हित में लिए गए निर्णयों को लागू करके ही दम लेगी।

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