द्रौपदी मुर्मू के नाम पर मुहर लगने के बाद TFI के एक और आंकलन पर बीते रविवार मुहर लग गई। समाजवादी पार्टी के दोनों गढ़ों में भाजपा ने अप्रत्याशित जीत हासिल की। भाजपा ने यह जता दिया कि कैसे उसकी नीतियां जनता के लिए कितनी हितैषी है उसकी स्वीकृति स्वयं जनता ने दे दी। यह चुनाव अस्तित्व की लड़ाई से लेकर सांत्वना प्रदान करने तक के लिए महत्वपूर्ण था। सपा के लिए दोनों सीटें अभेद्य किला हुआ करती थीं, पर इस बार के नतीजों ने प्रदर्शित कर दिया कि समय कभी एक सा नहीं रहा है। और यह समय ही है जिसने आज सपा को उसकी हालत का अंदाज़ा लगवा दिया कि अब सब बदल गया है।
दरअसल, रविवार को उत्तर प्रदेश लोकसभा उपचुनाव के नतीजों ने सर्वप्रथम TFI की खबर पर मुहर लगा दी है तो वहीं यह पुष्टि भी कर दी है कि जनता के मन में जो है उसी का परिणाम है यह नतीजे। चाहे 2016 की नोटबंदी हो जिसके ठीक बाद 2017 में राज्य में विधानसभा चुनाव हुए भाजपा ने सपा का किला ध्वस्त कर दिया। ठीक उसी प्रकार यह चुनाव भी अग्निपथ योजना के विरुद्ध गढ़े गए वातावरण के बीच हुआ, देश की सबसे बड़ी आबादी वाले इसी उत्तर प्रदेश से स्वभावित सी बात है सेना के आकांक्षी भी सर्वाधिक यहीं से होंगे। एक बड़े प्रपंच के बावजूद, जनता ने दोनों सीटों पर भाजपा प्रत्याशियों को जिताकर यह सिद्ध कर दिया कि “अग्निपथ योजना” के लिए कितना समर्थन है और कितना नहीं।
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आज़मगढ़ और रामपुर सीट
यह दो सीटें इसलिए और महत्वपूर्ण हो जाती हैं क्योंकि अकेली समाजवादी एक ऐसी पार्टी है जो एक लंबे समय से इन सीटों को अपना गढ़ बताती आई हैं। चूंकि आज़मगढ़ से राज्य के दोनों पूर्व मुख्यमंत्री, सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव और उनके पुत्र वर्तमान में सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव चुनकर आते रहे हैं ऐसे में सपा के लिए इस सीट को जीतना बड़ा लक्ष्य था। ठीक उसी प्रकार रामपुर समाजवादी पार्टी के एक समय पर नंबर 2 वाले नेता आज़म खान का गढ़ कहा जाता है, तो उनके जेल से बाहर आने पर उनके समर्थकों ने यह अनुमान लगाया था कि “अब तो जीत ही जाएंगे।” समाजवादी पार्टी के कथित तौर पर यह दोनों गढ़ इसी अति आत्मविश्वास की भेंट चढ़ गए।
एक ओर जहाँ आज़मगढ़ से 2019 में भाजपा प्रत्याशी रहे और भोजपुरी सिनेस्टार दिनेश लाल यादव उर्फ़ ‘निरहुआ’ को पार्टी ने पुनः मौका दिया तो उनके विरुद्ध सपा के परिवार पोषित एक और नेता मुलायाम सिंह यादव के भतीजे धर्मेंद्र यादव को उतारा गया। रविवार को मतगणना वाले दिन स्वयं को हारते देख धर्मेद्र के तल्ख़ तेवर चरम पर थे, पुलिस से भिड़ते दिखे और How can you रोक? जैसे वाकया भी उसी जज़्बात में आकर धर्मेंद्र ने आवेश में बोल दिए। ज्ञात हो कि, आजमगढ़ से भाजपा उम्मीदवार दिनेश लाल यादव ‘निरहुआ’ ने सपा के धर्मेंद्र यादव को 8,679 मतों के अंतर से हराया है।
हाए, मेरे राजा भैया! काश अखिलेश भैया की तरह आपको भी सिडनी यूनिवर्सिटी में भेजा होता। ख़ैर….ला ला, ल ल ला!😌😂 https://t.co/MDEishf7q8
— Utkarsh Upadhyay (@Utkars_Upadhyay) June 26, 2022
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हार मिलने पर
हार न हज़म होने का सबसे बड़ा उदाहरण तो स्वयं सपा सुप्रीमो अखिलेश ने ट्वीट कर दे दिया। अखिलेश ने ट्वीट कर लिखा कि, “भाजपा के राज में लोकतंत्र की हत्या की क्रॉनॉलॉजी:
-नामांकन के समय चीरहरण
-नामांकन निरस्त कराने का षड्यंत्र
-प्रत्याशियों का दमन
-मतदान से रोकने के लिए दल-बल का दुरुपयोग
-काउंटिंग में गड़बड़ी
-जन प्रतिनिधियों पर दबाव
-चुनी सरकारों को तोड़ना
ये है आज़ादी के अमृतकाल का कड़वा सच!”
भाजपा के राज में लोकतंत्र की हत्या की क्रॉनॉलॉजी:
-नामांकन के समय चीरहरण
-नामांकन निरस्त कराने का षड्यंत्र
-प्रत्याशियों का दमन
-मतदान से रोकने के लिए दल-बल का दुरुपयोग
-काउंटिंग में गड़बड़ी
-जन प्रतिनिधियों पर दबाव
-चुनी सरकारों को तोड़नाये है आज़ादी के अमृतकाल का कड़वा सच!
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) June 26, 2022
दूसरे हज़म न करने वाले नेता आज़म खान स्वयं ही निकले जो अपने ही गढ़ रामपुर में अपने रहते हुए, चुनाव प्रचार करने के बाद हार गए। रामपुर में भाजपा प्रत्याशी घनश्याम सिंह लोधी ने आज़म खान के चहीते, सपा के मोहम्मद आसिम राजा को 42,192 मतों के अंतर से हराया। रामपुर सीट सपा नेता आजम खान ने खाली की थी, जिन्होंने विधानसभा चुनाव में भी जीत हासिल की थी। इस हार को पचाने में असमर्थ रहे आज़म ने कहा कि, “चुनावी नतीजे कहां हैं, ये चुनाव था ही कहां। इसे आप न चुनाव कह सकते हैं और न ही चुनावी नतीजे कह सकते हैं। 900 वोट का पोलिंग स्टेशन और 6 वोट पड़ते हैं। मुसलमानों का मुहल्ला है, जहां 2200 की पोलिंग है वहां 1 वोट पड़ता है।”
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आगे हार की वजह पूछने पर भड़के आज़म ने कहा कि, “अरे भाई अब और कैसे वजह बताएं और क्या वजह बताएं। अब आप बिल्कुल नादान बन जाओ, मासूम बन जाओ तब आपको कुछ नजर ही नहीं आए। जब आपको कुछ दिखे ही नहीं और आप कुछ कहना ही नहीं चाहते हों या बताना ही नहीं चाहो। केवल सरकार की ढपली बजाओ और केवल उनके पैसों पर मौज-मस्ती करो तो क्या बताएं आपको। हम आपको क्या बताएं? आप हमें बताओगे या हम आपको बताएं। भाई लोकतंत्र का स्तंभ आप हैं या हम कमजोर लोग हैं, आप हमें बताएंगे !”
#WATCH | Samajwadi Party leader Azam Khan's angry response when asked about his party’s loss in the Rampur Lok Sabha by-poll pic.twitter.com/eKaNEIR7q4
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) June 26, 2022
पूरे चुनाव में यह अवश्य सिद्ध कर दिया है कि “अग्निपथ योजना” को युवा विरोधी बताने वाले उत्तर प्रदेश में और कोई नहीं सपा समर्थक और सरकार के विरुद्ध एजेंडा चलाने वाला वही तबका है जो “कुछ भी हो जाए, कितनी भी जनहितैषी योजना ही क्यों न हो, विरोध तो करना ही है” वाले मोड़ में रहती है। सपा के इसी राग के चक्कर में आज वो न घर की रही न घाट की।
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