आसमान में उड़ते पंछी जितने सुन्दर लगते हैं उतना ही रोमांचित आकाश की ऊंचाइयों में उड़ते हवाई जहाज़ करते हैं. लेकिन इस उड़न खटोले और आसमान के पंछियों के बीच हमेशा से ही मानो एक लड़ाई रही है हालाँकि इसमें दोष पंछियों का नहीं क्योंकि आकाश तो उनका घर है. 19 जून को आई एक रिपोर्ट के अनुसार, रविवार को दो अलग-अलग उड़ानें, एक पटना-दिल्ली स्पाइसजेट की उड़ान और दूसरी इंडिगो विमान जो गुवाहाटी-दिल्ली से उड़ान भर रही थी, उन्हें अपने मूल हवाई अड्डों पर वापस लौटना पड़ा। कारण था कि इन दोनों विमानों से एक पक्षी टकरा गया. बर्ड स्ट्राइक की इन दोनों घटनाओं के बाद नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) अब इसकी जांच करने की तैयारी मैं है।
DGCA द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट में कहा गया है कि हर साल लगभग 1,400 विमान पक्षियों की चपेट में आते हैं. अंतर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन द्वारा 91 देशों में किये सर्वे के आंकड़ों के अनुसार, एयरलाइंस को एक दिन में औसतन 34 ऐसी बर्ड स्ट्राइक का सामना करना पड़ता है, जिससे सालाना लगभग 1 बिलियन डॉलर का नुकसान होता है।
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बर्ड स्ट्राइक क्या हैं और वे उड़ानों को कैसे प्रभावित कर सकती हैं
जब कोई हवाई जानवर (पक्षी या चमगादड़) एक विमान से टकराता है तो इसे बर्ड स्ट्राइक कहते हैं. यह काफी खतरनाक साबित हो सकता है क्योंकि यह विमान के टरबाइन को नुकसान पहुंचा सकता है और अगर पक्षी इंजन में फंस जाता है तो आग भी लग सकती है। इसमें अधिकतर मामलों में पक्षी मर जाता है. वन्यजीवों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए डीजीसीए ने सभी हवाई अड्डों के लिए एक एडवाइजरी जारी की जिसमें निर्देश दिए गए थे कि सभी हवाई अड्डे अपनी वन्यजीव जोखिम प्रबंधन योजना की समीक्षा करें और हवाई क्षेत्र के भीतर और बाहर भी वन्यजीव जोखिम प्रबंधन के लिए रणनीतियों का सख्त कार्यान्वयन सुनिश्चित करें।
बर्ड स्ट्राइक आमतौर पर तब होती है जब कोई हवाई जहाज कम ऊंचाई पर उड़ रहा होता है। इसलिए बर्ड स्ट्राइक होने के सबसे अधिक आसार हवाई जहाज के टेक-ऑफ या लैंडिंग (या अन्य संबंधित चरणों) के दौरान होती हैं। बर्ड स्ट्राइक लगभग हर दिन होते हैं, लेकिन कुछ बर्ड स्ट्राइक तब खतरनाक रूप ले लेते हैं जब एक पक्षी को विमान के इंजन में फंस जाता है. ऐसी बर्ड स्ट्राइक के मामले वन्यजीवों को भी नुक्सान पहुंचाते हैं और विमान और यात्रियों के लिए भी खतरा साबित होते हैं. इन मामलों को ध्यान मैं रखते हुए पक्षियों को विमान की चपेट में आने से रोकने के लिए अब विश्वभर के हवाई अड्डे कुछ उपाए अपनाते हैं. जिनमें से कुछ हैं:-
पक्षियों को पीछे हटाना
कई हवाई अड्डे पक्षियों को विचलित करने के लिए ध्वनियों का उपयोग करते हैं जैसे कि तेज आवाज़ वाले यन्त्र और लाउडस्पीकर। सिंगापुर हवाई अड्डा प्लेन के रास्ते से पक्षियों को दूर रखने के लिए गन शॉट और ऐसे लाउडस्पीकर का उपयोग करता है जिससे 20 विभिन्न प्रकार की आवाजें निकलती हैं।
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पक्षियों के आवास को संशोधित करें
हवाई अड्डों के पास से पक्षियों के लिए भोजन के स्रोत को हटाकर, हवाई जहाज के रास्ते से पक्षियों के झुंड से बचा जा सकता है।
लेजर बंदूकें
लेजर बंदूकें प्रकाश और ध्वनि उत्पन्न करती हैं जो पक्षियों को विमान के रास्ते से दूर करती हैं। सूरत एयरपोर्ट ऐसी ही बंदूकों का इस्तेमाल करता है। पहली बार बर्ड स्ट्राइक का मामला 7 सितंबर, 1905 में देखने को मिला था जिसका जिक्र ऑरविल राइट ने अपनी डायरी में किया था। ऑरविल राइट उन्हीं दो राइट ब्रदर्स में से एक हैं जिन्होंने हवाई जहाज़ का निर्माण किया. जब ऑरविल एक मकई के खेत के ऊपर से उड़ रहे थे तो उनका विमान एक पक्षी से टकरा गया।
15 जनवरी, 2009 अमेरिका में बर्ड स्ट्राइक के एक मामले ने दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा जब न्यूयॉर्क शहर के ऊपर से उड़ान भरने वाली यूएस एयरवेज की उड़ान 1549 पक्षियों के झुंड (कनाडा गीज़) से टकरा गयी. पक्षियों का झुण्ड इतना बड़ा था कि पाइलट का विंडस्क्रीन भी उनसे ढँक गया और उन्हें कुछ दिखाई नहीं दे रहा था. विमान के इंजन में आग लग गई। पायलट कैप्टन चेसली सुलेनबर्गर-जिसे प्यार से सुली के नाम से जाना जाता है, उन्हें हडसन झील में आपातकालीन लैंडिंग करनी पड़ी जिससे जानमाल का नुकसान नहीं हुआ। इस घटना को तब टॉम हैंक्स अभिनीत प्रसिद्ध फिल्म सुली में बनाया गया था.
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