चीन बड़ी ही बेशर्मी से पाकिस्तान पोषित आतंकवाद के समर्थन में लगा है

भारत की कुशल रणनीति के आगे सभी षड्यंत्र हो जाएंगे ध्वस्त!

पाकिस्तान आतंकवाद

Source- TFIPOST.in

पड़ोसी देश पाकिस्तान भारत के लिए सदैव ही आतंकवाद के लिहाज से एक मुसीबत ही रहा है वो तो भारत है जो इस धूर्त पड़ोसी के सामने हिम्मत के साथ डटा हुआ है और उसकी हवाइयां उड़ा रहा है। वहीं दूसरी तरफ भारत को कमजोर करने की नीति के तहत दुनिया के कुछ देश आतंकवाद के इस सर्वविदित आका पाकिस्तान का बचाव करते नहीं थकते। ऐसा करने में सबसे आगे है चीन। इस लेख में हम जानेंगे कि कैसे बड़ी ही बेशर्मी के साथ चीन खुलेआम संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान पोषित आतंकवाद को समर्थन देने में लग गया।

हिंदू आतंकवाद का खोखला एजेंडा हो गया फेल 

दरअसल, एक रिपोर्ट पर ध्यान दें तो पाकिस्तान ने हाल ही में चीन की सहायता लेकर एक पकड़े गए भारतीय हिंदू नागरिक को संयुक्त राष्ट्र द्वारा नामित आतंकवादी घोषित करवाने का प्रयास किया है। पाकिस्तान की ये चाल थी कि किस तरह से यह कदम भारत में बहुसंख्यकों के विरुद्ध “हिंदू आतंकवाद” प्रचार को आगे बढ़ाता लेकिन प्रस्ताव को जब खारिज कर दिया गया तो पाकिस्तान की चाल नाकाम हो गयी। इस बारे में भारत के प्रतिनिधि टीएस मूर्ति ने कहा कि आतंकवाद पर 1267 विशेष प्रक्रिया को धार्मिक और राजनीतिक रंग देने की पाकिस्तान की जबरदस्त प्रयास को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने नाकाम कर दिया है। हम उन सभी परिषद सदस्यों को धन्यवाद देते हैं जिन्होंने पाकिस्तान के मंसूबों को अवरूद्ध किया है।

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बुरा है चीन का इतिहास

महत्वपूर्ण बात यह है कि इस प्रस्ताव पर चीन ने पाकिस्तान का ही समर्थन किया था। वहीं चीन ने लश्कर-ए-तैयबा के शीर्ष आतंकवादी अब्दुल मक्की पर प्रतिबंध लगाने के लिए संयुक्त राष्ट्र की प्रक्रिया पर “तकनीकी रोक” लगाकर पाकिस्तान की मदद की और 26/11 हमले को अंजाम देने वाले आतंकी को सांकेतिक संरक्षण दिया है। मक्की “जम्मू-कश्मीर में धन जुटाने, भर्ती करने, हिंसा के लिए युवाओं को कट्टरपंथी बनाने और हमलों की योजना बनाने में भी शामिल है।

पाकिस्तान ने भी इस खूंखार दरिंदे आतंकवादी को जेल में बंद किया था जिसका मकसद यह दिखाना था कि वो आतंकियों पर कार्रवाई कर रहा है। इसके पीछे पाकिस्तान का डर था कि कहीं उसे  FATF की तरफ से ब्लैक लिस्ट में न डाल दिया जाए। यदि ऐसा होता है तो पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति बद से और बदतर हो जाएगी। अहम घटना यह भी है कि हाल ही में कुछ पाकिस्तानी न्यूज वेबसाइट ने यह हवा उड़ा दी थी कि पाकिस्तान को FATF की ग्रे लिस्ट से बाहर निकाला जा सकता है लेकिन इस खबर को थोड़ी ही देर में खारिज कर दिया गया।

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अमेरिका की कुटिल चाल

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी जम्मू-कश्मीर में भारत के साथ युद्ध छेड़ने और चरमपंथियों को उकसाने की अपनी महत्वाकांक्षा में पाकिस्तान का समर्थन करने को लेकर संयुक्त राज्य अमेरिका को भी निशाने पर लिया था। ऐतिहासिक रूप से अमेरिका ने हमेशा पाकिस्तान को सैन्य रूप से मदद की है और भारत के साथ युद्ध लड़ने के लिए सहायता प्रदान की है और संभवतः वही इतिहास अमेरिका पुनः दोहरा रहा है।

विदेश मंत्री का यह बयान ऐसे समय में आया जब दो दिन पहले अमेरिका के जो बाइडेन प्रशासन ने यह घोषणा की थी कि “वाशिंगटन इस्लामाबाद के साथ संबंधों को आगे बढ़ाने के तरीकों को इस तरह से देख रहा है जो दोनों देशों के पारस्परिक हितों को महत्व देता हो।” इतना ही नहीं अमेरिकी विदेश मंत्री ब्लिंकन ने पाक विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो को भी अमेरिका आमंत्रित किया था।

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आर्थिक मदद का तोहफा

अमेरिका की यह मदद पाकिस्तान के लिए यहीं तक सीमित नहीं है अपितु अमेरिका पाकिस्तान को आईएमएफ से फंड दिलाने में मदद करने पर सहमत हो गया है। पिछले वर्ष की तुलना में इमरान खान की सरकार के बाद पाकिस्तान में अमेरिकी निवेश में 97 फीसदी की बढ़ोतरी देखी जा रही है। जिससे यह स्पष्ट होता दिखता है कि अमेरिका अब खुलकर भारत के विरुद्ध पाकिस्तान को मोहरा बना रहा है।

इन घटनाओं से ऐसा प्रतीत हो रहा है मानों रूस-यूक्रेन युद्ध में भारत की स्वतंत्र विदेश नीति अमेरिका को बहुत अधिक चुभी है। संभवतः इसीलिए अब भारत के विरुद्ध पाकिस्तान को पुनः पोषित करने की तैयारी हो रही है। वहीं इस मोर्चे पर भारत के विरुद्ध चीन की नीति तो पहले से ही इसी तरह की दिखायी देती है क्योंकि दुनिया में आतंकवाद को बढ़ावा देने में वो भी पाकिस्तान का पूरा समर्थन कर रहा है लेकिन इन धूर्तपने और षड्यंत्रों के बीच एक बात तो तय है कि भारत की दृढ़ता और कुशल रणनीति के आगे पाकिस्तान, चीन और अमेरिका किसी की एक न चलेगी और अंततः सबको मुंह की खानी पड़ेगी।

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