चीन का दोमुंहापन और झूठ कई बार दुनिया के सामने आया चुका है। चाहे वह कोरोना जैसी महामारी को जन्म देने का सच छुपाना हो या फिर कोरोना से मरने वाले लोगों की असल संख्या को छुपाना हो या कर्ज की आड़ में दूसरे देशों की संप्रभुता में दखल देना हो। चीन की करतूतें दुनिया से छिपी नहीं हैं।
ऐसा ही मामला है गलवान घाटी में भारत-चीनी सैनिकों के बीच हुई हिंसा का। लद्दाख में जब चीन ने भारत की जमीन की ओर कुदृष्टि डाली तो भारत ने उसका मुंहतोड़ जवाब दिया। इस दौरान भारत और चीनी सैनिकों के बीच झड़प भी हुई थी। भारत ने इस दौरान स्वीकार किया था कि उनके सैनिक शहीद हुए हैं, जबकि चीन ने इसे स्वीकार नहीं किया।
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इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्ट्रैटेजिक स्टडीज के 19वें शांगरी-ला डायलॉग में चीन के रक्षा मंत्री जनरल वेई फेंघे (General Wei Fenghe) अपनी बात रख रहे थे। इस दौरान भारत-चीन मुद्दे पर बोलते हुए उन्होंने दावा किया कि भारत ने अपनी सेना चीनी सीमा के पार भेजी थी। उन्होंने कहा कि भारत और चीन पड़ोसी हैं। अच्छे संबंध बनाए रखना दोनों देशों के हित में है।
Just in: China's defence minister General Wei Fenghe speaks on India China border issues; At Shangri-La Dialogue claims, "we have found lot of weapons owned by the Indian side. They (Indians) have also sent people to the Chinese side of the territory" pic.twitter.com/efB64VxPZ0
— Sidhant Sibal (@sidhant) June 12, 2022
हम इसी पर काम कर रहे हैं। रक्षा मंत्री के तौर पर सीमा पर जो संघर्ष शुरू हुआ और जब ख़त्म हुआ- उसका मैंने स्वयं अनुभव किया। इसके साथ ही उन्होंने कहा, “हमें ऐसे बहुत से हथियार मिले हैं, जोकि भारत के थे। उन्होंने अपने लोगों को भी चीनी सीमा में भेजा था। हमने 15 दौर की बातचीत की है, और शांति के लिए साथ में काम कर रहे हैं।”
चीन के रक्षा मंत्री का बयान चीन की उस पुरानी आदत को दिखाता है जिसमें वो प्रतिवादी देश को ही इसके लिए जिम्मेदार बताता है। चीन के रक्षा मंत्री का बयान कि ‘भारतीय हथियार और भारतीय लोग चीनी सीमा में मिले थे’, पूरी तरह से भ्रामक है और उस कहानी के आधे सच को बताता है।
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भारतीय सेना ने उस वक्त जो भी कार्रवाई की वो भारत की संप्रभुता को बचाने के लिए की। भारत ने आजतक किसी भी देश की सीमा का अतिक्रमण नहीं किया है, और भारतीय सेना विश्व की चुनिंदा पेशेवर सेनाओं में से एक है। यह चीनी सेना के सैनिक ही थे जिन्होंने पूर्वी लद्दाख में भारतीय सीमा का अतिक्रमण करने की कोशिश की थी। इसी दौरान भारतीय सेना ने घुसपैठियों के विरुद्ध कार्रवाई की थी।
भयानक लड़ाई में चीन के 45 से ज्यादा सैनिकों के मारे जाने की ख़बर थी। इतने ज्यादा चीनी सैनिकों की मौत हुई थी कि सबसे पहले तो चीन ने एक भी मौत स्वीकारने से इनकार कर दिया। इसके बाद 4 मौतों को आधिकारिक तौर पर स्वीकार किया, लेकिन स्वतंत्र मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक चीन के करीब 45 सैनिकों की मृत्यु हुई थी।
ऐसे में, चीन के रक्षा मंत्री का बयान कि भारतीय लोग चीनी सीमा में थे- उनके अपने देश के लोगों के लिए है। चीन के विरुद्ध भारतीय सेना की कार्रवाई क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा करने की उनकी ‘प्रतिज्ञा’ के अनुरूप की गई और लगभग 20 भारतीय सैनिकों ने भी पवित्र उद्देश्य के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया।
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ऐसे में एक सवाल और खड़ा होता है- यह सवाल उन कांग्रेसियों, वामपंथियों और ईको-सिस्टम के लिए है जिन्होंने भारतीय सेना पर उस वक्त सवाल खड़े किए थे। यह सवाल उन सभी लोगों से है जिन्होंने भारतीय सेना की बहादुरी पर शक किया था। यह सवाल हर उस शख्स से है जिसने कहा था कि मोदी सरकार कमजोर है।
सवाल है कि अब तो आप स्वीकार करते हैं कि बड़ी संख्या में चीनी सैनिकों की मौत हुई थी? भले ही चीनी रक्षा मंत्री का बयान पूरी तरह से सत्य ना हो- भले ही उनका बयान अपने देश के लोगों को भ्रमित करने के लिए हो- लेकिन उन्होंने स्वीकार तो किया कि भारतीय सेना ने सख्त कार्रवाई की थी और अपनी संप्रभुता और अखंडता को बचाने के लिए चीनी सैनिकों को मुंहतोड़ जवाब दिया था।
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