आप सभी ने सुना ही होगा इस फ़िल्मी डायलॉग “हाथ मत लगाना, बाप हैं हमारे” को जिसकी तर्ज़ पर झारखण्ड सरकार ने रांची पुलिस को दंडित कर दिया, वजह दंगाइयों की तस्वीर राज्य में चस्पा कर देना। इसी को लेकर राज्य की हेमंत सोरेन सरकार ने तुरंत दंगाइयों की तस्वीर लगे हुए पोस्टर हटवाने के निर्देश दे दिए। दंगे और हिंसा में हाल ही में कुछ राज्यों में से एक राज्य झारखण्ड भी था। अन्य राज्यों में कार्रवाई भी हुई पर जब झारखण्ड में भी योगी मॉडल की भांति दंगाइयों की तस्वीरें सरेआम कर उनके पोस्टर चस्पा कर दिए गए तो सोरेन सरकार की जड़ें हिल गईं। इसके बाद सवाल उठने लगे कि क्या झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन भी यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ की राह पर निकल पड़े हैं। सोरेन सरकार ने त्वरित दंगाइयों की तस्वीरें दिखाने वाले पोस्टरों को हटाने के निर्देश जारी कर दिए।
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सोरेन सरकार ने पोस्टर हटाने के निर्देश दिए
दरअसल, बीते शुक्रवार को रांची में एक हनुमान मंदिर पर दंगा और हमला करने के आरोपी दंगाइयों की तस्वीरें पोस्टर के माध्यम से राज्यभर में चस्पा की गई थीं। इसपर कथित रूप से “सेक्युलर” होने का रोना लेकर राज्य की सत्ताधारी पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) और कांग्रेस जैसे उसके घटक दल आलोचना पर उतर आए। इसके बाद राज्य की सोरेन सरकार ने त्वरित रूप से शांतिदूतों की तस्वीर हटाने के लिए निर्देश जारी कर दिए।
ज्ञात हो कि, रांची पुलिस ने शुक्रवार को ही आगजनी, दंगा, गैरकानूनी रूप से इकट्ठा होने, सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने, पुलिस पर हमला करने और सांप्रदायिक विद्वेष पैदा करने के आरोप में 25 प्राथमिकी में 22 लोगों और सैकड़ों अज्ञात लोगों को नामजद किया था। पुलिस ने सोशल मीडिया पर दंगाइयों की तस्वीरों वाला एक पोस्टर भी प्रसारित किया, जिसमें लोगों से उनकी पहचान करने और पुलिस को उनके ठिकाने की सूचना देने की अपील की गई।
कई बार ऐसे निर्णय राजनीतिक रूप से अक्षम नेतृत्वकर्ताओं की भेंट चढ़ जाते हैं। यहाँ भी स्थिति वही थी। इस हरकत पर राज्य के प्रमुख विपक्षी दल भाजपा और अन्य पार्टियों द्वारा विरोध उठना तय था क्योंकि मामला दंगाई और राज्य में हो रहे तांडव से जुड़ा था। हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली सरकार पर तुष्टीकरण की राजनीति करने का आरोप लगाते हुए, पूर्व मुख्यमंत्री रघुबर दास ने आरोप लगाया है कि राज्य की मशीनरी ने सांप्रदायिक ताकतों के सामने घुटने टेक दिए हैं, साथ ही सत्ताधारी पार्टी के वोट बैंक को सुरक्षित करने के लिए उनकी रक्षा भी कर रहे हैं।
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किसके दबाव में उतारा गया पोस्टर
यह टिप्पणी पुलिस द्वारा रांची में लगाए गए दंगाइयों की तस्वीरें दिखाने वाले पोस्टरों को तत्काल हटाने के बाद आई है, जिसमें लोगों से उनकी पहचान करने और उनके ठिकाने के बारे में पुलिस को सूचित करने की अपील की गई है। दास ने कहा कि, ‘किसके दबाव में पोस्टर हटाए गए, यह जांच का विषय होना चाहिए। दास के अनुसार, एसआईटी जांच एक दिखावा है और मामले को निष्पक्ष जांच के लिए केंद्रीय एजेंसियों को भेजा जाना चाहिए। हेमंत सोरेन सरकार पर निशाना साधते हुए भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने कहा, “रांची पुलिस ने झामुमो के दबाव में पोस्टर हटा दिए; यह बिल्कुल स्पष्ट है कि सत्ता में बैठे लोग अभी भी जोड़-तोड़ की राजनीति में लगे हुए हैं।”
यह सर्वविदित है कि जितना उपद्रवी से सत्ता डरेगी उतना वो डराएंगे। सोरेन सरकार की अक्षमता का इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि वो पुलिस द्वारा लिए गए सही निर्णय को इसलिए पलट देती है क्योंकि उसको उस तत्व से नाराज़गी न मोल लेनी पड़े इसकी चिंता थी। यदि यह तत्व इतने ही ताकतवर होते तो देश के अन्य कई राज्यों जिनमें उत्तर प्रदेश प्रमुख है वहां पोस्टर लगने पर माहौल शांत न बना रहा होता। वहां पोस्टर लगने के बाद आरोपी सामने से आकर सरेंडर करते हैं। यदि ऐसी कार्यशैली और काम करने और ठोस निर्णय लेने की शक्ति हेमंत सोरेन की होती तो उन्हें पुलिस द्वारा लिए गए निर्णयों को पलटना न पड़ता। सौ बात की एक बात यह है जब राजा ही रण छोड़ दे तो कौन ही लड़ेगा, झारखण्ड में भी हेमंत सोरेन “रणछोड़दास” ही साबित हुए हैं।
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