नूपुर शर्मा को बाहर कर भाजपा किसे “तुष्ट” करने का प्रयास कर रही है?

सुधर जाओ भाजपा, कहीं तुम्हारा हाल भी 'सबसे पुरानी पार्टी' जैसा न हो जाए!

नूपुर शर्मा भाजपा

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सांप को कितना भी दूध पिला दो, वो अपनी मूल प्रवृत्ति को छोड़ ही नहीं सकता, सांप विष ही उगलता है और विष ही उगलेगा। इस बात को समझ पाना विश्व की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी भारतीय जनता पार्टी के लिए जटिल जान पड़ता है। जिस प्रकार भाजपा “सेक्युलर” शब्द को आत्मसात करने वाले काम कर रही है, कहीं ऐसा न हो कि उसका हाल भी उसी कांग्रेस जैसा हो जाए जो आज कार्यकर्ता तलाशती रह जाती है पर पार्टी का झंडा उठाने तो क्या पार्टी के सिम्बल पर चुनाव लड़ने के लिए कार्यकर्ता नहीं मानते हैं। भाजपा की राष्ट्रीय प्रवक्ता नूपुर शर्मा परअनुशासनहीनता के तहत पार्टी से निष्कासन वाली कार्रवाई से भाजपा में ही असहमति के स्वर गूंज रहे हैं, ऐसे में सवाल यही खड़ा होता है कि, प्रिय भाजपा नूपुर शर्मा को बाहर कर आप किसे “तुष्ट” करने का प्रयास कर रहे हैं? प्रश्न ये भी है कि क्यों अपने हालिया कृत्यों से भाजपा अपने विश्वसनीय कार्यकर्ताओं को खोने से भी नहीं डर रही है?

तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया

दरअसल, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने रविवार को एक टीवी बहस के दौरान पैगंबर मुहम्मद के विरुद्ध कथित विवादास्पद टिप्पणी करने को लेकर प्रवक्ता नूपुर शर्मा को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से निलंबित कर दिया है। भाजपा ने शर्मा को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया और साथ ही दिल्ली प्रदेश मीडिया प्रमुख नवीन कुमार जिंदल को भी भाजपा ने पार्टी से यह कहते हुए निष्कासित किया कि सोशल मीडिया पर उनके विचार सांप्रदायिक सद्भाव को बिगाड़ते हैं और इसकी मौलिक मान्यताओं का उल्लंघन करते हैं।

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नूपुर ने क्या कहा था?

भाजपा की केंद्रीय अनुशासन समिति के सदस्य सचिव ओम पाठक ने नूपुर शर्मा को लिखे पत्र में कहा, “आपने विभिन्न मामलों पर पार्टी की स्थिति के विपरीत विचार व्यक्त किए हैं, जो नियम 10 (ए) का स्पष्ट उल्लंघन है। भाजपा के संविधान के अनुसार मुझे आपको यह बताने का निर्देश दिया गया है कि आगे की जांच लंबित रहने तक, आपको तत्काल प्रभाव से पार्टी से और आपकी जिम्मेदारियों/कार्यों से निलंबित कर दिया जाता है।”

नुपुर शर्मा पर पैगंबर मुहम्मद के बारे में अपने शब्दों के साथ एक टेलीविजन समाचार बहस के दौरान धार्मिक संवेदनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप लगाया गया है। शर्मा को हाल ही में मुंबई पुलिस विभाग ने इसी तरह के एक मामले में आरोपित किया था।

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यह जानना आवश्यक है कि ऐसा भी नूपुर शर्मा ने क्या कह दिया था जिसके बाद पार्टी को देर सवेर उन्हें निष्कासित करना पड़ा। नूपुर शर्मा ने टीवी डिबेट के दौरान मोहम्मद के बारे में कुछ बोला और साथ में नूपुर ने ये भी कहा था कि, “उन्होंने सिर्फ वही कहा जो कुरान में लिखा है।” यदि यह कुरान में विदित है तो शंका कैसी? नहीं भी लिखा है तो यह निष्कासन तभी होना था जब यह बयान दिया गया था, यह क्या बात हुई कि समय बीत जाने और विरोध के डर के चलते यह निर्णय लगभग 10 दिन के बाद लिया गया। क्या भाजपा अब उस वर्ग को “तुष्ट” करने का प्रयास कर रही है जो हमेशा दंगा प्रिय लोग रहे हैं न कि अमन पसंद। इससे एक बात पर मुहर लगती है कि, गैरों को अपनाने के चक्कर में भाजपा अपने मूल काडर को खो रही है और नूपुर शर्मा के निष्कासन के बाद तो यह जगजाहिर होने लगा है।

https://twitter.com/sarthakvb_108/status/1533417266632486912

सोशल मीडिया पर जैसे ही नूपुर शर्मा के पार्टी से 6 साल के निष्कासन का फरमान प्रसारित हुआ उसके बाद पार्टी के कार्यकर्ताओं और भाजपा समर्थित मूल वोट बैंक का रोष भी आसमान चढ़ गया। पार्टी के दायित्ववान कायकर्ता एक के बाद एक करके नूपुर शर्मा के समर्थन में अपने सभी पदों से इस्तीफा देना शुरू कर चुके हैं। और तो और ट्विटर पर #IStandWithNupurSharma ट्रेंड कर रहा है। यूं तो भाजपा तुष्टिकरण वाले ढर्रे पर चलती कभी नहीं दिखी है पर यह निर्णय उसी बात की ओर सबका ध्यान आकर्षित कर रहा है।

https://twitter.com/panbrzee/status/1533437232282931200

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