कथित पत्रकार रवीश कुमार ‘पांडे’ को ‘ब्राह्मण बस्ती’ से क्या समस्या है?

बंगाली कॉलोनी, पंजाबी कॉलोनी, सिन्धी कॉलोनी, हरिजन बस्ती, औरंगज़ेब रोड पर पांडे ने कभी अपना मुंह नहीं खोला।

Source: TFI

एक होते हैं बौड़म, फिर आते हैं ढपोरसंख और इसके बाद आते हैं रवीश कुमार पाण्डे जैसे वामपंथी पत्रकार, जिन्हे संसार में हर चीज़ से समस्या है। मोदी सरकार जीते तो समस्या, भारत ओलंपिक में गोल्ड जीते तो समस्या, सनातन संस्कृति की जय हो तो समस्या और वो सब तो छोड़िए, अगर आप को बिरयानी के स्थान पर गलती से खिचड़ी पसंद आए तो उसमें भी समस्या।

जी हाँ, आपने बिल्कुल ठीक पढ़ा। कथित पत्रकार रवीश कुमार अब इस बात से समस्या है कि दिल्ली में फलानी बस्ती का नाम ‘ब्राह्मण बस्ती’ क्यों है? अपनी ‘व्यंग्यात्मक’ शैली में मियां रवीश कुमार पांडे ने फ़ेसबुक पर पोस्ट किया, “दक्षिण दिल्ली की एक बस्ती। इस बस्ती का नाम कैसे पड़ा, कैसे बसी, इसका अध्ययन करना चाहिए”

रवीश कुमार की फेसबुक पोस्ट।

भई रवीश, जीवन में कोई समस्या हो- कोई दुख दर्द हो तो बाँट लो, कुछ नहीं होगा। दीपिका पादुकोण को देखो, दुख बांट-बांटकर कितना पैसा बटोर रही है, और एक आप हो, दिन रात-हर जगह ‘रोते-रोते’ एजेंडा परोसते रहते हो।

अग्निपथ योजना पर फैलाया हुआ तुम्हारा गुड़ गोबर छोड़ दें, तो भी तुम्हारी अलग ही दिक्कतें हैं। आलिया भट्ट और रणबीर कपूर के ब्याह पर जनाब को निमंत्रण नहीं मिला, तो ये बौखलाए ही नहीं, इन्होंने सीधे-सीधे नरेंद्र मोदी को ही इसके लिए दोषी ठहरा दिया। मुफ्त का अच्छा भोजन खाने को नहीं मिला इसलिए रवीश का हृदय संतप्त हो उठा और धीरे-धीरे उनका मानसिक संतुलन बिगड़ने लगा है! उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी से अपील की कि वह शादी वाले समारोह के बीच में मन की बात शुरू करें।

लेकिन रवीश की इस नौटंकी को जनता ने जमकर अपना प्यार दिया, कमेन्ट सेक्शन में। एक यूजर ने लिखा,

“क्यों ब्राह्मण बस्ती के नाम पर आपत्ति है क्या?

बंगाली कॉलोनी, पंजाबी कॉलोनी, सिन्धी कॉलोनी, हरिजन बस्ती, औरंगज़ेब रोड, ये सब क्या है?”

एक अन्य यूजर ने तो यहाँ तक लिख दिया,
“दर महराज, बिहार के हर गाँव में एगो पासवान टोला, अहीरी टोल सब होवे करता है, का अध्ययन करके जनता का समय वेस्ट करिएगा। तीस्ता अरेस्ट हुई है, उसपे कुछ बनाइये, टीआरपी भी मिलेगा।”

रवीश कुमार की फ़ेसबुक पर यूज़र के कमेंट।

सच बताएँ तो रवीश कुमार अब पूर्णतया सठिया गए हैं। इनके पास अब कुछ नहीं बचा है और इसलिए अब अपनी कुंठा व्यक्त करने के लिए कभी वे NDTV के माध्यम से तो कभी अपनी फ़ेसबुक के माध्यम से बदलते भारत के प्रति अपनी कुंठा ज़ाहिर करते हैं, क्योंकि अब उपद्रवियों की टोली को छोड़ दें, तो भारत ने इनकी सुनना बंद कर दिया है।

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