देवेंद्र फडणवीस उद्धव ठाकरे को उनकी पीठ में छुरा घोंपने का दंड दे रहे हैं

कर्मों का फल तो एक दिन मिलना ही था!

Fadanvis and Uddhav

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देवेंद्र फडणवीस वो नेता हैं जो महाराष्ट्र की राजनीति का अर्जुन साबित हो रहे हैं। जैसे अर्जुन का मछली की आंख के अतिरिक्त कोई दूसरा लक्ष्य नहीं था उसी प्रकार फडणवीस का भी महाराष्ट्र में सरकार बनाने के अलावा कोई अन्य लक्ष्य नहीं है। संभवतः फ्लोर टेस्ट के बाद पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस राज्य के अगले मुख्यमंत्री के रूप में अपना कार्यभार संभाल पाएंगे। ऐसे में यह जानना आवश्यक है कि कैसे देवेंद्र फडणवीस ने उनकी पीठ में छुरा घोंपने का दंड उद्धव ठाकरे को दिया है।

जब छल करके सत्ता पर विराजमान हुए उद्धव ठाकरे

दरअसल, 2014 में स्वर्णिम अवसर हाथ लगने के बाद महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व में सरकार बन गयी। एक अच्छे कार्यकाल के बाद इस बार 2019 में भाजपा शिवसेना के साथ गठबंधन में रहते हुए चुनाव लड़ रही थी। फडणवीस को जीत का विश्वास था और चुनाव बाद नतीजों ने भी इसकी पुष्टि कर दी थी। इस चुनाव में भाजपा शिवसेना से बड़ी पार्टी बनकर उभरी। इसके बाद वैसे तो सरकार ही बननी थी पर शिवसेना ने उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में एनसीपी और कांग्रेस के साथ मिलकर महाविकास अघाड़ी की सरकार बना ली। इस तरह से हिंदुत्व की विचारधारा को पीछे छोड़कर और छल क्या होता है इसका उत्कृष्ट उदाहरण देते हुए उद्धव ठाकरे महाराष्ट्र की सत्ता पर विराजमान हो गए।

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इसके बाद उद्धव ठाकरे, पहले दिन से ही देवेंद्र फडणवीस की नज़र में चढ़ चुके थे। वर्तमान राजनीतिक उठापटक अचानक नहीं हुई है, इसके पीछे देवेंद्र फडणवीस का दिमाग रहा है। फिर चाहे एकनाथ शिंदे का एक नया गुट बना शिवसेना और उद्धव ठाकरे को ललकारना हो, बाद में उस ललकार के परिणामस्वरूप उद्धव की ढिलाई और याचना संदेश के साथ गिड़गिड़ाना हो या अंततः फ्लोर टेस्ट का अनुरोध लिए फडणवीस का सीधा राजभवन पहुंचना हो,  इन सभी बिंदुओं में एकमात्र सामने व्यक्ति जो रहा वो और कोई नहीं “देवेंद्र फडणवीस” ही थे।

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जून माह की शुरुआत में ही भाजपा ने राज्यसभा और एमएलसी चुनाव में अप्रत्याशित जीत हासिल की थी। राज्य की राजनीति समझने वाले कई नेताओं को इन नतीजों ने पानी पिलाया ही था कि राज्य सरकार में उठापटक शुरू हो गई। एकनाथ शिंदे के गुवाहाटी पहुंचने से लेकर बुधवार को सभी विधायकों के गोवा पहुंचने तक प्रत्येक घटनाक्रम में देवेंद्र फडणवीस की नीतियों ने ठप्पा लगाया।

इसके बाद यह सिद्ध हो गया कि उद्धव ठाकरे के एक कृत्य ने उन्हें फडणवीस का सबसे बड़ा राजनीतिक शत्रु बना दिया था। अंततः सत्य तो यह है कि फ्लोर टेस्ट के बाद निश्चित रूप से महाविकास अघाड़ी की सरकार गिरते ही देवेंद्र फडणवीस का 2019 से लंबित लक्ष्य पूर्ण हो जाएगा।

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