मूर्ख, जिहादी, वामपंथी, कट्टरपंथी और लिबरलों में कुछ ज्यादा फर्क नहीं होता। इनके गुण, लक्षण और स्वभाव लगभग समान ही होते हैं। इन्हें अक्ल का अंधा कहा जाए, तो इसमें कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। जिस तरह से मूर्खों की पहचान करना सरल है, उससे भी ज्यादा आसान है इन विकृत मानसिकता वाले लोगों की पहचान करना। मूर्खों के समान ही, ये भी अपने आप को बहुत बड़ा तोप समझते हैं, जिन्हें सब कुछ पता होता है। अपना उल्लू सीधा रहे, इन सभी का सदा से ही यही मूल मंत्र रहा है। अब हाल ही के दिनों में यूपी से लेकर विभिन्न राज्यों में भड़की हिंसा को ही देख लिया जाए तो पता चलता है कि यह वर्ग कट्टरता को “कथित तौर पर अभिव्यक्ति की आज़ादी” का टैग देता है और इसी कट्टरता पर हुई जायज कार्रवाई को नाजायज ठहराता है। हिन्दू-मुस्लिम करने के लिए कौन सबसे आतुर होता है वो इन सभी के बयानों से जगजाहिर हो चुका है। इन जिहादी-वामपंथी और कट्टरपंथी तत्वों की टूलकिट ऐसे एक्टिव होती है जैसे प्रलय आ गई हो। अब यही लोग जुम्मे की नमाज के बाद हुई हिंसा के लिए पीएम मोदी को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।
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लिब्रांडुओं की खुल गई पोल पट्टी
दरअसल, हाल ही के दिनों में कानपुर से भड़की हिंसा अब देश में चहुओर फ़ैल गई है। पत्थर, असलाह और बम तो मानों जिहादियों के लिए गुब्बारे हो गए हैं जिन्हें फेंकने और फोड़ने में उन्हें एक अलग ही आनंद की अनुभूति हो रही है। अब जब इन्हीं तत्वों को उपहार सहित सरकारी ससुराल में “पुलिसिया खातिरदारी” मिली तो एक बार पुनः वो गुट विधवा-विलाप करने लगा कि यह तो अभिव्यक्ति की आज़ादी पर चोट है। सारा किया धरा तो राज्य की योगी और देश की मोदी सरकार का है। इसी को लेकर जब उत्तर प्रदेश के देवरिया से भाजपा विधायक शलभमणि त्रिपाठी ने पुलिसिया खातिरदारी का एक वीडियो ट्वीट किया और उसमें लिखा कि- “बलवाइयों को “रिटर्न गिफ़्ट”!!” इसके बाद तो यह वर्ग रुके न रुक सका और फूट-फूट कर रोने लगा। इनमें वे भी शामिल थे जिन्होंने पहले दंगों को जायज़ ठहराया था और कार्रवाई होने पर अपनी चूड़ी तोड़ने लगे।
https://twitter.com/shalabhmani/status/1535532117173542912
इन विलापकर्ताओं में वो मैडम प्रमुख हैं जिन्होंने अपने विवेकानुसार भारत और उसके तंत्र के प्रति अपनी कुंठा निकालने के लिए AL-JAZEERA पर बहुत कुछ कहा और उसे बाद में बेशर्मों की भांति ट्वीट भी किया। स्वघोषित पत्रकार और कट्टरता के लिए जानी जाने वाली आरफा खानुम शेरवानी ने 10 जून को ट्वीट करते हुए लिखा था कि “अल-जज़ीरा पर मैंने कहा- विरोध एक मौलिक अधिकार है लेकिन हिंसा को उचित नहीं ठहराया जा सकता है। सड़कों पर फैल रहे इस गुस्से का स्रोत मुसलमानों के साथ हुए 8 साल के अन्याय की हताशा है। पीएम को मुसलमानों को आश्वस्त करना चाहिए कि उनके अधिकारों की रक्षा की जाएगी।”
On Al-Jazeera,I said-
While protest is a fundamental right but violence can’t be justified.
Source of this anger spilling onto streets is the accumulation of the frustration of 8 yrs of injustices that Muslims suffered
PM must reassure Muslims that their rights will be protected. pic.twitter.com/qpPdENK5Jy— Arfa Khanum Sherwani (@khanumarfa) June 10, 2022
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इस मैडम ने पहले इसे जायज़ ठहराया और जैसे ही कार्रवाई हुई तो मैडम के सुर ही बदल गए। मैडम ने इन कट्टरपंथियों पर हुई कार्रवाई पर लिखा कि “हम एक ऐसे बिंदु पर हैं जहां एक बेजान फांसी का पुतला आपको परेशान कर रहा है, विरोध करने पर दो से अधिक युवकों की गोली मारकर हत्या कर दी गई। यह 2022 के भारत में मुस्लिम जीवन की कीमत है।” ऐसे में यह तो जाहिर है कि इसमें केवल धर्म का एंगल घुसाकर सरकार को घेरने की नाकामयाब कोशिश हो रही है बल्कि दंगों को भी जायज़ ठहराया जा रहा है, इसके नाम पर कि यह 8 साल से मोदी सरकार के खिलाफ भरी हताशा है जिसे मुस्लिम अब जाहिर कर रहे हैं।
We are at a point where a lifeless hanging effigy disturbs you more than two young men being shot dead for protesting.
This is the worth of Muslim lives in India of 2022.— Arfa Khanum Sherwani (@khanumarfa) June 11, 2022
इसके बाद नूपुर शर्मा को फांसी देने की मांग करने वाले AIMIM के इम्तियाज जलील की टिप्पणियों का हवाला देते हुए एक ट्वीट में AIMIM के ट्विटर हैंडल से आधिकारिक रूप से कहा गया कि “हम देश के कानून के अनुसार नूपुर शर्मा की गिरफ्तारी और उनके समय पर परीक्षण और दोषसिद्धि की मांग करते हैं।” इन सभी तत्वों ने हिंसा को गलत ठहराना तो दूर उसके विरुद्ध हुई कार्रवाई को ही द्वेष से की गई कार्रवाई ठहरा दिया और एक बयान को लेकर स्वयं ही जज बने गए और नूपुर शर्मा को फांसी देने की बात कह डाली।
We demand the arrest of Nupur Sharma and her timely trial and conviction in accordance with the law of the countryhttps://t.co/Bq6ViA77GD
— AIMIM (@aimim_national) June 11, 2022
गजब का दोहराचरित्र है इनका
यह है कट्टरपंथियों और वामपंथियों की वो दोहरी मानसिकता, जिससे आज देश पीड़ित है। इन्हीं तत्वों के रहते देश में अराजकता, कट्टरता और वैमनस्य का माहौल है। इस वर्ग का कोई भी नुमाइंदा, कट्टरपंथी और न्याय व्यवस्था के लिए नहीं बोला। बोला तो सिर्फ यह कि जुम्मे की नमाज के बाद हुई हिंसा के लिए पीएम मोदी जिम्मेदार हैं, सरकारें ज़िम्मेदार हैं, जैसे मानों स्वयं पीएम मोदी और सीएम योगी इन तत्वों के हाथ में पत्थर और बम थमा कर गए थे कि लड़ो जिहाद के लिए और करो जिहाद! इन सभी दोगले चेहरों का पर्दाफाश हो रहा है और समाज में संदेश जा रहा है कि कौन वास्तव में देश के विरुद्ध जा रहा है और कौन देश को बचाने के लिए प्रयासरत है।
इन तमाम पत्रकारों को देखिए.! कल जब नमाज़ के बाद मुस्लिम भीड़ दंगा कर रही थी तो उन्हें बड़ा मज़ा आ रहा था तब उन्हें न तो लोकतंत्र याद आया था न सविंधान
लेकिन आज जैसे ही युपी में दंगाइयों की कुटाई और बुल्डोज़र चलने लगे इनका मुस्लिम प्रेम लोकतंत्र प्रेम सविधान प्रेम सब जाग गया pic.twitter.com/UEXHCY5PFy
— Shashi Kumar (Modi Ka Parivar) (@iShashiShekhar) June 11, 2022
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