‘भुखमरी’ की कगार पर पहुंचे मिस्र को 1,80,000 टन गेहूं देगा भारत

वैश्विक मानचित्र पर अपनी गहरी छाप छोड़ रहा है भारत

India and Egypt

Source- TFIPOST

यूक्रेन और रूस मिलकर दुनिया का 33% गेहूं निर्यात करते हैं लेकिन जब से दोनों देशों के बीच युद्ध छिड़ा है तब से ही विश्व में खाद्य संकट दिनों दिन बढ़ता जा रहा है. ऐसे में पूरी दुनिया की नजरें भारत पर टिकी हुई है. भारत पूरी दुनिया का पेट भर सकता है, लेकिन रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद एकाएक बढ़ी गेहूं की मांग के बीच भारत ने गेहूं के निर्यात पर बैन लगा दिया था, जिस पर तमाम देशों ने कई तरह के सवाल उठाए थे. हालांकि, भारत के गेहूं निर्यात पर बैन लगाने के पीछे का मुख्य कारण बड़े देशों द्वारा गेहूं की जमाखोरी थी. इसी को ध्यान में रखते हुए भारत ने गेहूं के निर्यात पर बैन लगाया लेकिन यह सुनिश्चित किया कि भारत जरूरतमंद देशों की मदद करेगा. मौजूदा समय में दुनिया के कई देश गेहूं के लिए भारत का दरवाजा खटखटा रहे हैं और मिस्र भी उन्हीं में से एक है.

और पढे़ं: भारत द्वारा गेहूं निर्यात पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाने का असली कारण यहां है

भारत की शरण में मिस्र

ध्यान देने वाली बात है कि यह वही मिस्र है जिसने जून माह में तुर्की द्वारा ठुकराई गई 55,000 टन गेहूं खरीदा था लेकिन फिर गेहूं की खेप को तट पर ही रोक दिया. अब उसी मिस्र ने भारत से 1,80,000 टन गेहूं खरीदने का अनुबंध किया है. मिस्र दुनिया के सबसे बड़े गेहूं आयातकों में से एक है और अपनी गेहूं की ज़रूरतें रूस और यूक्रेन से पूरी करता है. हालांकि, अब यूक्रेन संकट ने मिस्र के लिए आयात लागत भी बढ़ा दी है, जो अपनी 70 मिलियन आबादी के लिए रोटी पर भारी सब्सिडी देता है. रूस के यूक्रेन पर आक्रमण के कारण मिस्र में अनाज विशेषकर गेहूं की कमी हो चली है और अब देश के पास केवल इतना ही गेहूं बचा है कि वह 5-7 महीने तक ही अपनी जनता को ब्रेड खिला सकता है.

इसी स्थिति को देखते हुए मिस्र एक बार फिर भारत के पास दौड़ा चला आया है. जून माह की शुरुआत में भारत की गेहूं की खेप को तट पर ही रोकने वाले आपूर्ति मंत्री अली एल मोसेल्ही ने बयान जारी किया कि “मिस्र भारत से 5,00,000 टन गेहूं खरीदने के लिए सहमत हो गया था, लेकिन अनुबंध पर हस्ताक्षर नहीं किया गया था. आपूर्तिकर्ता ने कहा कि जैसे ही गेहूं बंदरगाहों पर होगा, तब मिस्र को उपलब्ध कर दिया जायेगा.”

रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध के कारण पूरी दुनिया को अन्न संकट की स्थिति पैदा हो गई है. भारत ने कम घरेलू उत्पादन के कारण मई माह में चावल, चीनी और गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया लेकिन अपने देश की खाद्य सुरक्षा को बनाए रखने के अलावा सरकार ने यह निश्चित किया कि वे देश जिन्हें इस अनाज की अत्यधिक आवश्यकता है उन्हें प्रतिबंध के बावजूद गेहूं दिया जायेगा, ताकि कोई भी देश भुखमरी के संकट से ग्रसित न हो. मिस्र भी उन्हीं देशों में से एक है जिसके लिए भारत ने अपने अन्न के भण्डार खोले हैं.

हिमालय सा ऊंचा हो गया है भारत का कद

मिस्र के आपूर्ति मंत्री मोसेल्ही ने रविवार को कहा, “हम 5,00,000 टन पर सहमत हुए थे, लेकिन फिर पता चला कि (आपूर्तिकर्ता के पास) बंदरगाह में 1,80,000 टन गेहूं हैं और हम वह पूरा गेहूं खरीदना चाहते हैं.” मोसेल्ही ने अपने एक बयान में बताया कि मिस्र गेहूं खरीद समझौते के लिए रूसी आपूर्तिकर्ताओं के साथ भी बातचीत कर रहा है. फिलहाल मिस्र अपने अनाज से अधिक आटा निकालने के तरीकों पर भी विचार कर रहा है. मोसेल्ही ने कहा है कि रोटी के लिए इस्तेमाल होने वाले आटे के निष्कर्षण प्रतिशत को 82% से 87.5% तक बढ़ाने की कोशिश की जा रही है.

पिछले कुछ वर्षों में वैश्विक मंच पर भारत का कद काफी तेजी से बढ़ा है. चाहे वह अन्य देशों के साथ कूटनीतिक संबंध हो, कोविड संकट से निपटने हो, सफल टीकाकरण अभियान हो या भारत के प्रतिभाशाली नेताओं या खिलाड़ियों का दमदार प्रदर्शन, सभी ने देश को गौरवान्वित किया है. मौजूदा समय में दुनिया के विकासशील देश भारत के पीछे-पीछे कदम से कदम मिलाकर चल रहे हैं और भारत अपने पड़ोसियों के साथ-साथ हर उन देशों की मदद के लिए आगे आ रहा है जिन्हें भोजन की जरूरत है और जो खाद्य संकट से जूझ रहे हैं. मोदी सरकार के नेतृत्व में भारत का कद हिमालय सा ऊंचा हो गया है और यह भी कहना गलत नहीं होगा कि भारत अब विश्व के मानचित्र पर अपनी गहरी छाप छोड़ रहा है.

और पढे़ं: ‘रोटी-युद्ध’ रोकने के लिए भारत को गेहूं दान करना चाहिए, लेकिन सिर्फ बचा हुआ

TFI का समर्थन करें:

सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की ‘राइट’ विचारधारा को मजबूती देने के लिए TFI-STORE.COM से बेहतरीन गुणवत्ता के वस्त्र क्रय कर हमारा समर्थन करें।

Exit mobile version