आज के समय में जहां स्वयं को शक्तिशाली मानने वाले देशों में एक-दूसरे से आगे निकलने की होड़ मची हुई है। तब भी भारत अपनी सभ्यता, संस्कृति से जुड़कर हर प्राणी के कल्याण के लिए काम कर रहा है। कोरोना महामारी के दौर में हमें देखने को मिला कि कैसे वैक्सीन बनाने के लिए सभी देशों में प्रतिस्पर्धा छिड़ी हुई थीं। परंतु इस दौरान भी भारत ने इंसानियत को सबसे ऊपर रखकर जीवित प्राणियों को लाभ पहुंचाने के तरीके ढूंढता रहा। इस दिशा में अब एक और कदम आगे बढ़ाते हुए भारत इंसानों के बाद जानवरों को कोरोना से बचाने के लिए वैक्सीन (एनोकोवैक्स) लेकर आया है।
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एनोकोवैक्स
कोरोना संक्रमण फैलने का डर इंसानों के साथ ही जानवरों में भी हैं। जानवरों में कोरोना के कई मामले देखने को मिल चुके हैं। जिसके चलते जानवरों के लिए भी कोरोना वैक्सीन का टीका तैयार किया गया। बीते दिनों केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने जानवरों के लिए विकसित किए गए देश के पहले कोविड रोधी टीके एनोकोवैक्स (Anocovax) को लॉन्च किया। हरियाणा स्थित ICAR- नेशनल रिसर्च सेंटर ऑन इक्विन्स (NRC) ने इस टीके को विकसित किया। यह वैक्सीन कोरोना के दोनों वेरिएंट डेल्टा और ओमीक्रोन के प्रति प्रभावी बताई जा रही है। एनोकोवैक्स वैक्सीन में निष्क्रिय SARS-CoV-2 (डेल्टा) एंटीजन होता है जिसमें हाइड्रोजेल एक सहायक के तौर पर डाला गया। यह टीका कुत्तों, शेरों, तेंदुओं, चूहों और खरगोशों के लिए सुरक्षित हैं।
Union Min Narendra Singh Tomar launched Anocovax, a Covid-19 vaccine for animals y'day, June 9
It's developed by the ICAR-NRC Equines. It neutralizes both Delta and Omicron Variants. It is safe for dogs, lions, leopards, mice & rabbits: Ministry of Agriculture & Farmers Welfare pic.twitter.com/gIQmf4pj6h
— ANI (@ANI) June 10, 2022
एक ओर जहां दुनिया के विकासशील देश केवल जानवरों को लेकर केवल ज्ञान ही देते रहते है । दूसरी ओर एनोकोवैक्स वैक्सीन का टीका लाकर भारत ने साबित कर दिया कि वो हर प्राणी के संरक्षण के लिए काम करता है। वैसे, भारतीय संस्कृति ही रही हैं कि हम इंसानों के साथ ही पशु-पक्षियों के प्रति हमेशा ही प्रेम की भावना रखते हैं। यहां तक कि भारत में तो जानवरों की पूजा करने की भी परंपरा रही है। हिंदू धर्म के लगभग सभी भगवान के वाहन पशु को ही माना गया हैं।
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पशुओं के लिए समग्र स्वास्थ्य देखभाल
एनोकोवैक्स वैक्सीन के अलावा जानवरों में कोरोना के खिलाफ एंटीबॉडी का पता लगाने के लिए एक डिटेक्शन किट को भी लॉन्च किया गया। CAN-CoV-2 ELISA नाम से लॉन्च हुई यह एक विशिष्ट न्यूक्लियो कैप्सिड प्रोटीन आधारित अप्रत्यक्ष एलिसा किट है, जिसे भारत में ही बनाया गया। ICAR का दावा है कि बाजार में अब तक ऐसी कोई भी एंटीबॉडी डिटेक्शन किट उपलब्ध नहीं है। किट के लिए एक पेंटेट भी दायर किया गया है। किट लॉन्च करते हुए कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने भारतीय वैज्ञानिकों के अद्वितीय योगदान की सराहना की। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिकों के अथक योगदान के कारण ही देश आयात करने के बजाए अपने स्वयं के टीकों को विकसित करने में आत्मनिर्भर है। यह वास्तव में एक बड़ी उपलब्धि है।
जानवरों के लिए कोरोना वैक्सीन लाना बेहद जरूरी हो गया था। क्योंकि कोरोना, जानवरों को भी प्रभावित कर रहा था। पिछले कुछ समय में कुत्ते, बल्ली जैसे जानवरों में कोरोना के मामले देखने के लिए मिले थे। 2021 में चेन्नई स्थित चिड़ियाघर में कई शेरों में कोरोना का संक्रमण पाया गया था। एनोकोवैक्स वैक्सीन का उद्देश्य जानवरों की कोरोना से रक्षा करने के साथ जानवरों से मनुष्यों में संचरण को रोकना भी हैं। इससे लुप्तप्राय जानवरों को बचाने में भी मदद मिलेगी।
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कोरोना महामारी पूरी दुनिया पर छाया एक सबसे बहुत बड़ा संकट साबित हुआ। परंतु इस दौरान भी कुछ स्वार्थी देश मदद करने के बजाए वैक्सीन की जमाखोरी करते नजर आए थे। अमीर देशों की इस जमाखोरी के वजह से गरीब देशों के लोग वैक्सीन से वंचित रह गए। दूसरी तरफ कोरोना काल के दौरान भारत दुनियाभर में मानवता की मिसाल पेश करता रहा। वैक्सीन से लेकर दवाईयां पहुंचाने तक भारत ने तमाम देशों की हर संभव मदद की। अब एनोकोवैक्स वैक्सीन निर्मित कर भारत ने बेजुबानों को महामारी से बचाने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है, जो पूरी दुनिया के लिए फायदेमंद साबित होगा।
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