जब रूस यूक्रेन विवाद प्रारंभ हुआ था, तो अमेरिका ने रूस पर ताबड़तोड़ प्रतिबंध लगाते हुए सोचा था कि अब संसार हमारी मुट्ठी में है, परंतु वह एक महत्वपूर्ण बात भूल गया, कि कैसे अब रूसी तेल के पश्चात अब रूसी कोयले पर भी भारत धावा बोलने जा रहा है, और कैसे यूरोप को होने वाले हानि से भारत को भयंकर लाभ मिलेगा। रूस यूक्रेन विवाद के पश्चात रूस के सभी संसाधनों के क्रय विक्रय पर मानो ग्रहण सा लग गया है । परंतु आपदा में अवसर निकालना केवल भारत ने ही नहीं सीखा बल्कि रूस ने भी अपनी अनोखी नीति तैयार की है, जिससे उससे बेजोड़ लाभ मिल रहा है।
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लाइवमिन्ट के रिपोर्ट के अनुसार, रूस के कोयला को अब भारत को एक्सपोर्ट की तैयारियां ज़ोरों शोरों पे है, क्योंकि इसके खरीददार पिछले कुछ माह में काफी तेज़ी से बढ़े हैं। रिपोर्ट के अंश अनुसार, “जहां यूरोप ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका जैसे विकल्पों की ओर देखता है, वहीं रूस ने भारत को अपनी सेल्स बढ़ा दी है, जो प्रारंभ में उतना महत्वपूर्ण मार्केट कोयले के परिप्रेक्ष्य में नहीं था। तुर्की अब भी एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी है इस क्षेत्र में”। मतलब स्पष्ट है, जो रूस का कोयला पहले मूल रूप से यूरोप, जापान, दक्षिण कोरिया जैसे बड़े बड़े क्षेत्रों में जाता था, अब वो एकमुश्त रूप से अमेरिका की कृपा से भारत को पहुंचेगा, क्योंकि जितने ज्यादा सैंक्शन, उतने अधिक भारत को लाभ। परंतु आपको क्या प्रतीत होता है, ये ऐसा पहली बार हुआ है? क्या इससे पूर्व भारत ने ऐसा कोई पैंतरा रूस के साथ नहीं चलाया? Centre for Research on Energy and Clean Air, Moscow के अनुसार वर्तमान कालखंड यानी फरवरी से अब तक केवल तेल के निर्यात से रूस को 93 बिलियन यूरो की रिकॉर्ड कमाई हुई, जिसमें 97 बिलियन डॉलर की कमाई यानी लगभग दो तिहाई कमाई केवल तेल के निर्यात से सामने आई है।
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ये तेल खरीद कौन रहा है?
अमेरिका के भय से अधिकतम विकसित देशों ने रूस से क्रय विक्रय यानी किसी भी प्रकार के व्यापार पर प्रतिबंध लगाया है। परंतु दिवालियापन के भय से कई यूरोपीय देश महंगे दाम पर भी रूसी तेल खरीदने को तैयार हैं और जर्मनी जैसे देश चाहकर भी प्रतिबंध लगाने को तैयार नहीं। ऐसे में आगमन होता है भारत और चीन जैसे देशों का, जिन्हें रूस ने भर-भर के डिस्काउंट प्रदान किये, और मौके पर ताबड़तोड़ छक्के मारते हुए इन दोनों ही देशों ने भारी मात्रा में अमेरिका के कोपभाजन को ठेंगे पर रखते हुए पहले से कहीं अधिक रूसी तेल को खरीदना प्रारंभ किया।
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इसके अतिरिक्त अभी हाल ही में रूस ने INSTC कॉरिडोर के माध्यम से सेंट पीटर्सबर्ग से सीधा मुंबई तक ईरान के रास्ते से सामान पहुंचाने में सफलता पाई है। तो इसमें विशेष क्या है? यह एक ऐसा ट्रेड कॉरिडोर है, जिसके माध्यम से अब भारत को रूस तक सामान पहुंचाने में आसानी रहेगी। इससे न केवल स्वेज़ कैनाल के पुराने मार्ग पर निर्भरता खत्म होगी, अपितु चीन को भी ठेंगा दिखाने में सफलता प्राप्त होगी।
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