नरेंद्र मोदी को ही सर्वदा पीएम के रूप में देखना चाहता है हर एक वामपंथी

हर वामपंथी का यही सपना, हमेशा जीते मोदी अपना!

वामपंथी मोदी

पता है पीएम मोदी के सबसे बड़े समर्थक कौन हैं?

शाखा वाले? नहीं।

कैडर वाले? बिल्कुल नहीं!

इनके सबसे बड़े समर्थक तो हर वो वामपंथी हैं, जो दिन रात मोदी का नाम जपता है, जिनके बिना इनका भोजन तक न पचे! इस आर्टिकल में हम विस्तार से जानेंगे कि कैसे भारत के वामपंथी हृदय से एक ही चीज़ चाहते हैं कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही रहें और कोई नहीं!

आप भी सोच रहे होंगे, जो व्यक्ति वामपंथियों के लिए प्रलयंकारी हो, वो भला वामपंथियों का प्रथम विकल्प कैसे हुआ? ठहरिए बंधु, आपके सभी शंकाओं का समाधान है हमारे पास। अगर पीएम मोदी नहीं होंगे, तो किसको दोष देंगे, किसको फासीवाद का प्रतीक ठहराएंगे, किसको ‘मौत का सौदागर’ बताएंगे? असल में विगत कुछ दिनों में वामपंथी जितना विलाप करते दिख रहे हैं, उससे यही प्रतीत होता है कि पीएम मोदी जो करेंगे, वो उनके लिए टॉनिक समान होगा। ये बात आज की नहीं, पिछले आठ वर्षों का सटीक विश्लेषण है, जबसे मोदी सरकार ने सत्ता संभाली है। जब जब नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार महत्वपूर्ण निर्णय लेती है, तब तब वामपंथियों को भरपूर मसाला मिलता है। कल्पना कीजिए, उनकी सरकार न होती तो? मनमोहन सिंह के सरकार में इतना मनोरंजन, इतना रोजगार मिलता?

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जब लड़ने के लिए कोई मुद्दा न मिल रहा हो तो इंसान ढूंढ़-ढूंढ़ कर पुराने मुर्दे उखाड़ लाता है। बेरोजगारी भी ऐसे ही मुद्दों में से एक है जिसे हर लड़ाई और दोषारोपण के राजनीतिक खेल के आखिर में तब निकाला जाता है जब बाकी के सभी मुद्दे या तो खत्म हो चुके हों या फिर कुछ नया न मिल रहा हो। परंतु मोदी सरकार यहां भी स्मार्ट निकली, एक ही दांव में विरोधियों को भी निरुत्तर किया और विरोधियों को बढ़ावा दे रहे वरुण गांधी जैसे महानुभावों को भी स्पष्ट संदेश दे दिया कि बच्चे, तुम इस खेल में अभी बहुत कच्चे हो!

परंतु ये तो कुछ भी नहीं है बंधु। नूपुर शर्मा वाले प्रकरण से वामपंथियों ने स्पष्ट कर दिया कि पीएम मोदी को और कोई समर्थन दे न दे, ये तो कतई कहीं नहीं जाने देंगे, क्योंकि जितना प्रचार ये करते हैं, उसे देखकर स्वयं पीएम मोदी भी सोचते होंगे कि कहां से पा लिए ऐसे फ्री के समर्थक? आदित्य ठाकरे को प्रोटोकॉल को तोड़ने के लिए SPG ने भगाया तो पीएम मोदी दोषी, प्रयागराज में उपद्रव के पीछे एक उपद्रवी के घर बुलडोजर चला तो पीएम मोदी दोषी, राहुल गांधी को ED ने पूछताछ के लिए बुलाया, तो विरोध कर रहे कांग्रेसी उपद्रवियों पर पुलिस की कार्रवाई के लिए पीएम मोदी दोषी। कल को अरविन्द केजरीवाल छींक दे, तो उसका दोष भी ये लोग पीएम मोदी पर ही मढ़ दें!

परंतु इतनी लंबी चौड़ी बकैती का सार क्या हुआ? सार ये कि भई नूपुर शर्मा प्रकरण पर यदि आपको लगता है कि भाजपा ने घुटने टेक दिए, तो आप काफी कुछ सोच सकते हैं, सोचने में क्या जाता है। परंतु जिस प्रकार से वामपंथी एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं, उससे नूपुर शर्मा को समर्थन तो मिला ही और साथ ही साथ पीएम मोदी को भी ये वामपंथी पुनः सत्ता वापसी कराने में कोई कसर नहीं छोड़ने वाले, आखिर रोटी पानी का सवाल है!

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