Kanpur clashes: इस्लामिस्टों के नवनिर्मित ‘प्रोटेस्ट टूलकिट’ के बारे में आपका जानना जरूरी है

पूरी दुनिया सुधर जाएगी लेकिन ये नहीं सुधरने वाले!

कानपुर

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भारत से जिसे सरोकार नहीं, वे हैं देश के भेदी और इन्हीं देश के भेदियों का दंश देश दशकों से झेलता आ रहा है। इन घटिया, विकृत, बेवकूफ, देश विरोधी इस्लामिस्टों ने कानपुर में जो जहर फैलाया है और जो आग लगाई है, वो इतनी आसानी से ठंडी होने वाली नहीं है। टीवी पर एक बहस के दौरान पैगंबर मुहम्मद के कथित ‘अपमान’ को लेकर एक बार फिर से ‘टूलकिट एक्टिवेट’ हो गई है। कानपुर में हुई इस झड़प में एक दर्जन लोग कथित रूप से घायल हो गए। ऐसे में अब इस्लामवादियों के नए डिजाइन किए गए ‘विरोध के फार्मूले’ को समझना बहुत ज़रूरी है कि कब, कहां और कैसे इनके नकारेपन की पराकाष्ठा पार हो जाती है और ये अपने 72 हूरों वाली सोच के साथ पत्थरबाजी करना आरंभ कर देते हैं!

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यहां समझिए क्या है पूरा मामला?

दरअसल, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और पीएम नरेंद्र मोदी शुक्रवार को कानपुर में थे और राष्ट्रपति के गांव के दौरे के दौरान ही कानपुर के एक इलाके में हिंसा भड़क जाती है। ध्यान देने वाली बात है कि पैगम्बर को लेकर भाजपा प्रवक्ता नूपुर शर्मा द्वारा दिए गए बयान को एजेंडे का नया शस्त्र बनाकर इस्लामवादी संगठन शर्मा के विरुद्ध उग्र हुए पड़े हैं। बताया जा रहा है कि हिंसा भड़कने से पहले मस्जिदों से नूपुर शर्मा के बयान को लेकर विरोध करने का आह्वान भी किया गया था, जिसके बाद कट्टरपंथियों ने बवाल मचाया और पथराव किए। कानपुर पुलिस ने कहा कि शुक्रवार की नमाज के बाद शहर के नई सड़क और यतीमखाना इलाकों में लोगों के समूहों द्वारा दुकानदारों को शटर बंद करने की कोशिश करने के बाद भीड़ ने बम फेंके और एक-दूसरे पर पथराव किया।

यूं तो नूपुर शर्मा द्वारा यह बयान दिए हुए काफी समय हो गया है पर ये उग्रता इतनी देरी से सामने आई वो थोड़ा आशंकित करने वाला है। यदि पूर्व में हुई घटनाओं को याद करें, तो तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप फरवरी 2020 में भारत आए थे तब दिल्ली में CAA विरोधी आंदोलन चल रहे थे और तब भी भारत की छवि खराब करने के पुख्ता इंतज़ाम किये गए थे। ऐसे में इस्लामवादियों का यूं अचानक ऐसे मुद्दे पर नौटंकी करना, जिसे शुरू हुए एक अरसा हो गया है, कई सवाल खड़े कर रहा है। कानपुर घटना ऐसे समय पर हुई है जब राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री वहां उपस्थिति थे, ऐसे में इस्लामिस्टों द्वारा ऐसी प्रायोजित घटना को अंजाम देना एक बहुत बड़े टूलकिट का हिस्सा है जो भारत की छवि को वैश्विक स्तर पर तार-तार करने के लिए उपयोग में लाई जाती है।

साजिश के तहत भड़काया गया दंगा

बताते चलें कि शुक्रवार को जुमे की नमाज़ के दौरान नूपुर शर्मा के बयान के विरुद्ध तकरीरें जारी करने के बाद दंगा करने के आदी हो चुके इस्लामवादियों ने जैसा तय किया था, वैसा ही प्रदर्शन किया। एक सोची समझी साजिश की तरह जुलूस के नाम पर दंगा भड़काने की राह में कानपुर ने कल इस्लामिस्टों का असली चेहरा देखा है। षड्यंत्रकारी तत्वों ने पहले से ही ठेलों पर बम और पत्थर इकट्ठे किये थे और उसके बाद माहौल को बिगाड़ते हुए शाम तक इन दुष्टों ने हालात ऐसे कर दिए कि पुलिस को आंसू गैस और न जाने किस-किस चीज़ का प्रयोग करना पड़ा।

यह बात सत्य है कि यह अराजक तत्व हर उस समय अटैक मोड़ में आते हैं जब इन्हें लगता है कि भारत की छवि खराब की जा सकती है। ऐसे में अब राष्ट्रपति कोविंद और पीएम मोदी के कानपुर में होने के बावजूद ऐसे दंगे की साजिश को रचने वालों को सीएम योगी ठोक बजाकर सही करने वाले हैं। ऐसे अराजक तत्वों पर रासूका लगाने के साथ ही उनकी संपत्तियों पर बुलडोज़र शीघ्र ही हावी होने की ओर अग्रसर है। हालांकि, कानपुर हिंसा ने यह सिद्ध कर दिया है कि इस्लामवादियों का नवनिर्मित ‘प्रोटेस्ट फार्मूला’ यही है कि जब भी कोई संवैधानिक रूप से मजबूत व्यक्ति आस-पास हो, अपनी असली नीचता दिखाना शुरू कर दो, क्योंकि उनके लिए कुछ भी हो भारत की छवि बिगड़नी चाहिए!

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