एक बालक था, चुपचाप-सा, भीरु, जिसे कोई न पूछे। नाम था जय। फिर उसे गौतम नाम का एक साथी मिला। उस बालक और गौतम के बीच कृष्ण-सुदामा जैसी गहरी मित्रता हो जाती है। ऐसी मित्रता जिसे कोई नहीं तोड़ सकता, ऐसा मित्र जिसे कोई दूर नहीं कर सकता। परंतु स्कूल की छुट्टियां होने पर उस बालक को हॉस्टल से घर जाना पड़ता है। अपने परम मित्र से दूर होना पड़ता है। परम मित्र के बिना उस बालक के लिए अपना जीवन व्यतीत करना अकल्पनीय प्रतीत होता है और विभिन्न-विभिन्न परिस्थितियों में वो बालक अपने उस मित्र की कल्पना करने लगता है कि यदि वह होता, तो कैसा होता। परंतु ये विचार अब एक धारावाहिक तक सीमित नहीं रहा, अपितु वास्तविकता में परिवर्तित हो चुका है।
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वामपंथी और जस्ट मोहब्बत सिंड्रोम
वामपंथी और जस्ट मोहब्बत सिंड्रोम? कन्फ्यूज हो गए? ठहरिए, आपकी हर शंका का समाधान है हमारे पास। यदि आप मेरी तरह 90s के किड हैं, तो आप भली जानते होंगे कि सोनी टीवी पर 1990 के दशक के अंत में जस्ट मोहब्बत नामक एक शो आता था, जो काफी चर्चित था, और काफी समय तक चला। इस धारावाहिक में दिखाया जाता है कि कैसे हॉस्टल में रहने वाला जय नाम का लड़का एक काल्पनिक पात्र गौतम को अपना मित्र बना लेता है। जबकि गौतम वास्तविक दुनिया में कहीं था ही नहीं-इसके बाद भी जय प्रत्येक स्थिति में अपने उस काल्पनिक मित्र के साथ ही रहता और उससे बातचीत करता है । उससे अपनी समस्याओं का हल पूछता। यानी की वास्तव में कोई है नहीं लेकिन जय को यह लगता है कि गौतम उसके साथ है। इस स्थिति को ही कहते हैं ‘जस्ट मोहब्बत सिंड्रोम’।
इसी जस्ट मोहब्बत सिंड्रोम को हाल ही में एक स्वयंभू पत्रकार ने सत्य साबित किया है। जी हां, हम बात कर रहे हैं इस्मत आरा की।
अब आते हैं इस्मत आरा पे, जो एजेंडाधारी वामपंथी मीडिया के लिए लिखती हैं। हाल ही उन्होंने एक ट्वीट किया- जिसमें उन्होंने लिखा, “मैं एक चाय के दुकान पर रुकी और उसी समय मुझे स्मरण हुआ कि मेरे मासिक धर्म [पीरियड] की प्रक्रिया प्रारंभ होने वाली है। मैंने दुकानदार से पूछा कि क्या उसके पास सैनिटरी पैड है। वह अपने बाइक पर बैठा, मुझे बैठने को कहा और निकट की दुकान से पैड ले आया। उसने कहा कि आप मेरी बहन जैसी हैं। मैं मनफ जैसे पुरुषों की आभारी रहूँगी। बहुत बहुत धन्यवाद!”
Stopped at a tea stall and realised I had got my period. I asked the shopkeeper if he had any sanitary pads. So he sat on his bike, told me to sit down, and brought me pads from a nearby shop. You're like my sister, he said. I feel so grateful for men like Manaf. Thank you.
— Ismat Ara (@IsmatAraa) June 19, 2022
अप्रतिम, अतिउत्तम, बड़ा ही नेक कार्य किया है मनफ भाईजान ने, परंतु तनिक ठहरिए। आप जानते हैं ना कि मनफ भाईजान वास्तविक दुनिया में हैं ही नहीं बल्कि इन मैडम की कल्पना मात्र हैं। यह इनका जस्ट मोहब्बत सिंड्रोम है। और यह इकलौती घटना नहीं है। समय का चक्र घुमाइए और सोशल मीडिया पर अपनी दृष्टि दौड़ाइए, आपको पता चलेगा, ऐसे मनफ भाइयों की भरमार है बंधु। सच पूछिए, तो ये मनफ भाईजान अपने आप में एक व्यवसाय समान हैं एवं व्यवसाय के एक विशेषज्ञ भी हैं, जिनका नाम है कौशिक बसु। किसी समय ये भारत सरकार के सबसे विशेष नीति निर्माताओं में से एक थे। हो भी क्यों न, कॉर्नेल विश्वविद्यालय में प्रोफेसर एवं विश्व बैंक के प्रमुख अर्थशास्त्रियों में से एक जो ठहरे।
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परंतु कौशिक बसु भी बुरी तरह से जस्ट मोहब्बत सिंड्रोम से ग्रसित हैं। यह साहब जय के काल्पनिक मित्र गौतम की तरह काल्पनिक टैक्सी ड्राइवरों की कल्पना करते रहते हैं और उन काल्पनिक ट्रैक्सी ड्राइवरों के माध्यम से अपने एजेंडे को फैलाते रहते हैं। कुछ दिन पहले ही बसु साहब ने एक ऐसी ही एक काल्पनिक कहानी ट्विटर पर सुनाई कहानी कुछ यूं थी। “ला गार्जिया से एक टैक्सी ली। बड़ा ही योग्य बांग्लादेशी ड्राइवर। सदैव की भांति मैंने वार्तालाप प्रारंभ की। वह बांग्लादेश को लेकर एवं भ्रष्टाचार को लेकर काफी आलोचनात्मक था, एवं अन्य दक्षिण एशियाई नेताओं को लेकर भी उतना ही आलोचनात्मक था”। उसी समय, वह बोल पड़ा, “बस एक अपवाद थे, मनमोहन सिंह, जो विश्व स्तरीय नेता थे। क्या आपने उनको देखा है?”
Wonderful Sikh taxi driver in New York today—he spoke about the tragic treatment of farmers in India, & in detail about how the new farm laws hurt farmers. He got lost getting me home & when he refused to take money for the detour I realized the detour was to complete his speech.
— Kaushik Basu (@kaushikcbasu) October 10, 2021
परंतु ये तो कुछ भी नहीं है, उदाहरण के लिए इनका इस टैक्सी ड्राइवर से ये संवाद भी देख लें, “बड़ा ही उत्कृष्ट सिख टैक्सी ड्राइवर से न्यू यॉर्क में वार्तालाप हुई । उसने भारत में किसानों के दुर्दशा पर चर्चा की, और बताया कि कैसे नए कृषि कानून किसानों के अहित में हैं। मुझे घर पहुंचाते हुए वह अपना रास्ता भटक गया और उसके लिए उसने आवश्यक धन भी नहीं लिया”
I was waving at ppl sitting outside my sea-looking posh bungalow in SRK style but then my driver spoilt it "sir they ain't fans but on dharna as the queen of 'MTD' stories is missing in your thread".
Alrgt! here you go.. some iconic mojotweets by Barkha Dutt- pic.twitter.com/xcPDDQUdRp
— The Hawk Eye (@thehawkeyex) October 11, 2021
"My taxi driver" stories.
While Rajdeep trying hard; Basu da leads the show but badly lacks innovation. pic.twitter.com/w7wgGNL1Wn— The Hawk Eye (@thehawkeyex) October 10, 2021
Undisputedly, Ayyub can claim the best writer (fiction) award, anytime, anywhere. pic.twitter.com/8BYaEwIV3Z
— The Hawk Eye (@thehawkeyex) October 10, 2021
इनके ट्वीट और कहानियों से एक बात बिल्कुल साफ है कि बसु साहब जस्ट मोहब्बत सिंड्रोम के अगले वर्जन से ग्रसित हैं। अब जब गुरु ऐसे हों, तो फिर चेले कैसे-कैसे होंगे? राजदीप सरदेसाई, राणा अयूब, साक्षी जोशी, यहाँ तक कि बरखा दत्त ने भी इन्हीं से आशीर्वाद प्राप्त किया है। ऐसे में बरखा दत्त को भी वक्त-वक्त पर कोई मोईन, कोई अब्बास, कोई आसिम मिलता रहता है। और उनकी कहानियां मैडम ट्विटर पर डालती रहती हैं।
https://twitter.com/arpit971/status/1415377509785378816
लेकिन आपको सचेत हो जाना चाहिए- और तुरंत समझ जाना चाहिए कि यह कहानियां सच नहीं हैं बल्कि जस्ट मोहब्बत सिंड्रोम की पैदाइश हैं।
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वामपंथी जस्ट मोहब्बत सिंड्रोम से ग्रसित हो रहे हैं। दरअसल, इसमें इनका दोष भी नहीं है। जिस भी संस्थान पर इनका एकाधिकार था, वो सब इनके हाथ से फिसल रहा है। राजनीति पर वर्चस्व तो अब कल्पना मात्र रह चुकी है और शीघ्र ही अब शिक्षा और इतिहास पर भी इनका वर्चस्व समाप्त होने के क्षितिज पर है। परंतु वामपंथी वो जीव है, जो नौस्टेल्जिया के अंतिम कण से तब तक चिपके रहेंगे, जब तक उनका समूल विनाश न हो जाए। यूं ही थोड़ी न कोलकाता एक भव्य नगर से एक भुतहा खंडहर में परिवर्तित हुआ है। वामपंथी जिस जस्ट मोहब्बत सिंड्रोम से जूझ रहे हैं, वो आपको हास्यास्पद अवश्य प्रतीत हो सकता है, परंतु यह गंभीर विषय है, और इनका मानसिक उपचार आवश्यक है, अन्यथा इनकी कुंठा क्या रूप ले ले, कोई नहीं जानता।
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