सियासी संकट और सरकार बचाने के चक्कर में अब महाविकास अघाड़ी के पास क्या अवसर बचते हैं, क्या राजनीतिक परिवेश बदल जाएगा या सरकार बच जाएगी? इन सभी सवालों का जवाब तो आने वाले दिनों में मिल ही जाएगा पर सत्य तो यह है कि अघाड़ी सरकार ने अपने बहुमत को लगभग खो ही दिया है। ऐसे में ज़रूरी यह है कि अंक गणित आने वाले समय में किस करवट बैठेगा यह जानना ज़रूरी है। इस लेख में हम विस्तार से समझेंगे कि भविष्य में आखिर महाराष्ट्र की सियासत का ‘रंग’ क्या होगा और अगर आंकड़ों में देखें तो किसका धड़ा सबसे मजबूत है?
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दरअसल, अनौपचारिक रूप से बहुमत खो चुकी महा विकास अघाड़ी की पहली कड़ी शिवसेना के 40 से ज़्यादा विधायक इस समय शिंदे गुट में हैं। 56 विधायकों की दो-तिहाई संख्या इस समय एकनाथ शिंदे के हाथ में है। सरकार की नींव इसी वजह से हिल गई हैं क्योंकि वो लगभग-लगभग अल्पमत में पहुंच चुकी है। शिवसेना और महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ गठबंधन के ऊपर संकट के बादल छा गए हैं। राज्य की अघाड़ी सरकार के मंत्री और शिवसेना के विधायकों का नया गढ़ इन दिनों गुवाहाटी में रिज़ॉर्ट पोलिटिक्स का केंद्र बिंदु बन गया है।
शिवसेना के ‘विद्रोही’ विधायक और राज्य सरकार के कद्दावर मंत्री एकनाथ शिंदे द्वारा 40 से अधिक शिवसेना विधायकों और 7-8 निर्दलीय विधायकों के समर्थन के दावे के साथ, ऐसा प्रतीत होता है कि ठाकरे सरकार जल्द ही अपने आप अस्तित्व विहीन हो जाएगी। सरकार दो धड़ों में बंट चुकी है जहां एक कैंप उद्धव का तो दूसरा एकनाथ का हो चुका है। शिवसेना के कोटे से बने मंत्रियों में 8 अब एकनाथ शिंदे के साथ हैं तो वहीं उद्धव ठाकरे के साथ मात्र 3 मंत्री ही शेष बचे हैं। खबर तो यह भी है कि शिवसेना के अतिरिक्त एनसीपी के भी मंत्री अब शिंदे गुट के हमजोली बनने की ओर अग्रसर हैं। ऐसे में ताकत की बात करें तो अभी भाजपा और शिंदे गुट को मिलाकर संभावनाएं कुछ इस प्रकार बनती दिख रही हैं।
भाजपा- 106
अन्य- 13
मनसे- 1
दलबदलू – 40 + 7 या 8 = 47 या 48
कुल = 167/168, बहुमत चिह्न – 144
ऐसे में अघाड़ी गुट की स्थिति बहुत भयावह हो चली है। बगावती विधायकों के बाद अब सरकार का हाल कुछ इस प्रकार है कि-
राकांपा– 54
कांग्रेस– 44
शिवसेना– 55-40 = 15
बीवीए– 3
एसपी– 2
पीजेपी– 2
पीडब्ल्यूपीआई– 1
स्वतंत्र– 8 – 7 या 8 = 0 या 1
कुल = 120/121
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चूंकि एनसीपी के दो नेता अनिल देशमुख और नवाब मलिक जेल में हैं और इस वर्ष की शुरुआत में शिवसेना विधायक रमेश लटके की मृत्यु के साथ, सदन की ताकत घटकर 285 हो गई है। अगर जेल में बंद एनसीपी नेताओं को वोट देने की अनुमति दी जाती है, तो संख्या 287 पर है। ऐसे मामले में बहुमत का निशान 287/2 +1 होगा, जो 144 के बराबर है।
ज्ञात हो कि प्रिवेंशन इज़ बेटर देन क्योर को आत्मसात कर शिवसेना के 40 विधायकों के साथ एकनाथ शिंदे दल-बदल विरोधी कानून को दरकिनार करने के लिए भी तैयार हैं। इसके तहत शिंदे को शिवसेना के कम से कम 37 विधायकों के समर्थन की आवश्यकता होगी और उनके पास 40 से अधिक की संख्या है, ऐसी खबरें सामने आती रही हैं। इस स्थिति में शिंदे अब अपने गुट पर दावा करने की स्थिति में होंगे। वहीं, मौजूदा घटनाक्रम से इस बात की संभावना तेज हो चली है कि भाजपा शिंदे के गुट का समर्थन कर राज्य में सरकार बना सकती है।
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