सत्ता में आने के बाद से ही मोदी सरकार का यह लक्ष्य रहा है कि वो भारत को हर मोर्चे पर सशक्त बनाए। 2014 के बाद से भारतीय सेना में अलग जोश और उत्साह देखने को मिला है। अपने 8 साल के कार्यकाल में मोदी सरकार ने सेनाओं को मजबूत बनाने के लिए कई ऐसे बड़े फैसले लिए जिनमें रणनीतिक मोर्चे पर तैयारी से लेकर चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ यानी CDS की नियुक्ति तक शामिल है।
मोदी सरकार ने CDS की नियुक्ति तीनों सेनाओं थलसेना, वायुसेना और नौसेना में तालमेल बैठाने हेतु की थी। जनरल बिपिन रावत तीनों सेनाओं के पहले ‘सेनापति’ बनाए गए थे। हालांकि इस बीच दिसंबर 2021 में हुए तमिलनाडु हेलीकॉप्टर हादसे में उनके निधन के बाद यह पद खाली हो गया था, जोकि अभी तक रिक्त है।
केंद्र सरकार अगले CDS के लिए योग्य उम्मीदवार की तलाश में है। केंद्र सरकार द्वारा CDS पद पर नियुक्ति के लिए नियमों में बड़ा बदलाव किया गया है। संशोधन के बाद तीनों सेनाओं के प्रमुखों के साथ ही थ्री स्टार अफसर को भी CDS के तौर पर नियुक्त करने का रास्ता साफ हो गया। अभी तक होता यह आ रहा था कि केवल 4 स्टार वाले यानी जनरल रैंक के सैन्य अधिकारी ही इस पद के हकदार होते थे।
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इस संबंध में सरकार ने एक गजट नोटिफिकेशन जारी किया है, जिसके अनुसार- “यदि जरूरी हो तो केंद्र सरकार जनहित में रक्षा अध्यक्ष प्रमुख के रूप में ऐसे अधिकारी को नियुक्त कर सकती है, जो आर्मी में लेफ्टिनेंट जनरल, एयरफोर्स में एयर मार्शल या नेवी में वाइस एडमिरल के तौर पर सेवा कर रहे हैं या सेवानिवृत्त हो चुके हैं।”
हालांकि इसके लिए उम्र सीमा 62 साल निर्धारित की गई है। यानी इस पद पर नियुक्ति के दौरान अधिकारी की उम्र 62 साल से अधिक नहीं होनी चाहिए। अधिसूचना में कहा गया कि रक्षा अध्यक्ष प्रमुख की सेवा की अवधि को सरकार जितना आवश्यक समझे (अधिकतर 65 साल तक) बढ़ा सकती है।
हालांकि नोटिफिकेशन में उम्र सीमा तय किए जाने की वजह से सभी रिटायर्ड आर्मी, नेवी और एयरफोर्स चीफ CDS बनने की दौड़ से बाहर हो गए हैं, क्योंकि तीनों सेना प्रमुख 62 साल की उम्र में ही रिटायर होते हैं। वहीं, थ्री स्टार वाले सैन्य अधिकारी यानी लेफ्टिनेंट जनरल, एयर मार्शल और वाइस एडमिरल 60 साल की उम्र में रिटायर होते हैं। इसके चलते थ्री स्टार जनरल जिनको रिटायर हुए 2 साल से कम का समय हुआ है, वो CDS बनने की रेस का हिस्सा बन सकते हैं।
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क्यों, कब और कैसे बनाया गया CDS का पद?
मोदी सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल में CDS की नियुक्ति का फैसला किया। दिवंगत जनरल बिपिन रावत को 31 दिसंबर 2019 को देश का पहला CDS बनाया गया था। दरअसल, 1999 कारिगल युद्ध के दौरान तीनों सेनाओं में समन्वय की कमी खली थी। अगर तीनों सेनाओं में अच्छे से तालमेल होता तो नुकसान काफी हद तक कम हो सकता था।
युद्ध के बाद 2001 में तत्कालीन उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी की अध्यक्षता में गठित ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स (GOM) की समीक्षा में यह बातें निकलकर सामने आईं। इसके बाद CDS पद की मांग ने जोर पकड़ा था। हालांकि इसके बाद CDS की नियुक्ति कई वर्षों तक अटकी रही। अंत में 2019 में मोदी सरकार ने CDS की नियुक्ति का निर्णय लिया।
CDS की भूमिका की बात करें तो वे रक्षा मंत्री के प्रमुख सलाहकार के तौर पर कार्य करते हैं। इसके अलावा युद्ध की स्थिति में तीनों सेनाओं के बीच बेहतर ढंग से समन्वय करने से लेकर न्यूक्लियर कमांड अथॉरिटी के लिए सैन्य सलाहकार के तौर पर भी काम करने का दायित्व CDS के जिम्मे ही होता है। साथ ही CDS के पास साइबर वारफेयर डिविजन का चार्ज होता है।
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दिवंगत जनरल बिपिन रावत को CDS के कार्यकाल के दौरान भारतीय सेना में दूरगामी सुधार करने से लेकर सैन्य उपकरणों में स्वदेशीकरण को बढ़ावा देने का श्रेय दिया जाता है। वे जनरल बिपिन रावत ही थे, जिन्होंने भारत के संयुक्त थिएटर कमांड की नींव रखने का सपना देखा था।
CDS के तौर पर जनरल रावत का कार्यकाल 2022 में समाप्त होना था, लेकिन दुर्भाग्यवश इससे पहले 8 दिसंबर 2021 का हेलीकॉप्टर हादसे में उनका निधन हो गया। ऐसे में अब मोदी सरकार ने CDS की नियुक्ति में जो बदलाव किए हैं, वो अपने आप में बहुत महत्वपूर्ण हो जाते हैं।
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