मूसेवाला इस दुनिया में नहीं है फिर भी ‘खालिस्तानी प्रोपेगेंडा’ से भरे उसके वीडियो क्यों रिलीज़ हो रहे हैं?

​'SYL' गाना नहीं, कोरा एजेंडा है!

Siddhu Moosewala

Source- TFIPOST.in

सब कुछ बदल सकता है पर भारत के एक गुट का खालिस्तान बनाने का सपना और खालिस्तानी प्रेम कभी नहीं बदल सकता। यूँ तो भारत में अलग ही रीत रही है कि इंसान की मृत्यु के बाद उसकी गलत बातों को नज़रअंदाज़ किया जाने लगता है, यह नहीं होता कि उन गलतियों को प्रदर्शित कुछ इस प्रकार किया जाए कि आगामी भविष्य में ऐसा दोहराया न जा सके। भारत को सबसे बड़ा खतरा उसके घर के भेदियों से रहा है, उन्हीं के चलते कभी पाकिस्तान का निर्माण हुआ तो कभी बांग्लादेश बना। अब हाल ही में रैपर सिद्धू मूसेवाला की मृत्यु पर बड़े बवाल में खालिस्तान एंगल निकला तो उसके बाद उन्हीं के गाने ने खालिस्तान से जुड़ाव की तस्दीक कर दी। मृत्यु के एक महीने पूर्ण होने से पहले ही उनके एक गाने ‘SYL’ को रिलीज़ कर दिया गया और गाने के रिलीज़ होते ही बवाल खड़ा हो गया।

दरअसल, मूसेवाला की मृत्यु के बाद जारी किया गया पहला गीत सतलुज-यमुना लिंक नहर (‘SYL’) के निर्माण के चार दशक से अधिक पुराने राजनीतिक रूप से जटिल मुद्दे पर केंद्रित है। बंदूक संस्कृति का महिमामंडन करने वाले अपने पिछले गीतों के विपरीत, यह गीत उन घटनाओं के बारे में बात करता है जो पंजाब ने 1947 के बाद से देखी है। एक संवेदनशील मुद्दे पर हड़ताल करते हुए, पड़ोसी हरियाणा के साथ ‘SYL’ के अलावा, गायक ने स्वतंत्रता के बाद के अविभाजित पंजाब, संप्रभुता, 1984 के बारे में बात की है। किसान आंदोलन के दौरान दंगे, सिख कैदियों की रिहाई और लाल किले पर खालसा के झंडे की घटना से लेकर गीत बड़े विवादस्पद बोल के साथ खत्म हुआ।

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गाने में खुलेआम खालिस्तान आतंकवादी का समर्थन

इस गाने ‘SYL’ में सिख आतंकवादी बलविंदर सिंह जट्टाना की तस्वीर है, जिसने 1990 में चंडीगढ़ में ‘SYL’ के प्रधान कार्यालय में दो इंजीनियरों की हत्या कर दी थी। वीडियो में आतंकवादी नेता जरनैल सिंह भिंडरावाले और ऑपरेशन ब्लूस्टार के दौरान सेना के आंदोलन के दृश्य हैं। खालिस्तान समर्थक संगठन बब्बर खालसा से जुड़े जट्टाना ने नहर के निर्माण पर चर्चा कर रहे अधिकारियों की कथित तौर पर हत्या कर दी थी। उनकी कार्रवाई ने नहर के निर्माण को रोक दिया और आज तक वह पूर्ण भी नहीं हुआ है।

जट्टाना पर अगस्त 1991 में पंजाब के पूर्व डीजीपी सुमेध सिंह सैनी पर हुए बम हमले में भी शामिल होने का संदेह था। 29 अगस्त, 1991 को जट्टाना के परिवार के चार सदस्यों को पंजाब पुलिस की बिल्ली अजीत सिंह पुहला ने कथित रूप से मार डाला था। और जट्टाना पंजाब पुलिस द्वारा उस वर्ष 7 सितंबर को खुद एक पुलिस मुठभेड़ में मारा गया था। इस गाने में किसान आंदोलन में लाल किले पर हुए हंगामे के बाद निशान साहिब फहराया गया उसका ज़िक्र किया गया, मेघालय के राज्‍यपाल सत्‍यपाल मलिक के उस बयान को भी लिया गया है, जिसमें उन्‍होंने पीएम मोदी को कृषि कानून वापस लेने को लेकर हिदायत दी थी। सत्‍यपाल मलिक ने कहा था कि, “ये कौम तो 600 साल भी बात भूलती नहीं है। इंदिरा गांधी भी कहती थीं कि ये मुझे मार देंगे और इन्‍होंने उनको मार दिया। वहीं इन्‍होंने जरनल डायर को लंदन में जाकर मारा। इसलिए पीएम मोदी से मैं कह रहा हूं कि इनके सब्र का इम्तिहान मत लो।”

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‘SYL’ गाने में खालिस्तानी चित्रण

सिद्धू मूसेवाला के इस गाने में सारे कर्मों को सराहा गया, खालिस्तान के आतंक को न्यायोचित करार कर दिया गया। खालिस्तानी कैदियों की रिहाई की मांग वाले गीतों के साथ पूरे गाने में उनको लाचार दर्शाने के साथ ही उनका महिमामंडन किया गया। वीडियो में बलवंत सिंह राजोआना, जगतार सिंह हवारा, लखविंदर सिंह और शमशेर सिंह, गुरदीप सिंह और जगतार सिंह तारा, सभी पूर्व सीएम बेअंत सिंह और दविंदर पाल सिंह की हत्या के लिए दोषी पाए गए हैं। भुल्लर को टाडा अदालत ने 1993 के दिल्ली बम विस्फोट मामले में दोषी ठहराया था, जिसमें नौ लोग मारे गए थे और 31 घायल हो गए थे। 1984 में हथियारों के साथ सिख कट्टरपंथियों के दृश्य और ऑपरेशन ब्लूस्टार का बदला लेने के लिए जनरल वैद्य की हत्या करने वाले हरजिंदर सिंह जिंदा और सुखदेव सिंह सुखा के चित्र भी चित्रित किए गए हैं।

सारगर्भित चित्र यही है कि, खालिस्तानी चित्रण और महिमामंडन पंजाबी गायकी का एक अभिन्न हिस्सा बन गया है और सिद्धू मूसेवाला के इस गाने ने सभी अटकलों और शंकाओं को निस्तेनाबूत कर दिया है। मूसेवाला की मृत्यु भले ही हो चुकी है लेकिन खालिस्तानी प्रचार गानों और वीडियो के साथ आज भी जीवंत हैं।

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