आपको तो पता ही होगा कि उत्तर प्रदेश में साल 2019 के सीएए के खिलाफ भारी प्रदर्शन किया गया था और उस प्रदर्शन को आप भूले भी नहीं होंगे आपको जरूर याद होगा। अगर हां, तो आपको साल 2020 में उन्हें शर्मसार करने वाले यूपी के दंगाइयों के पोस्टर भी जरूर याद होंगे। अब यूपी के कानपुर में हुई हिंसा के बाद योगी बाबा एक बार फिर दंगाइयों के पोस्टर लेकर आए हैं और उनकी पैनी नजरें हर उस इंसान पर है जिसने उस दंगे में अपने हाथ में पत्थर या पेट्रोल उठाए थे।
पिछले शुक्रवार को नमाज के बाद हिंसा भड़क उठी जब इस्लामवादियों ने पैगंबर मोहम्मद पर भाजपा की नुपूर शर्मा द्वारा की गई एक टिप्पणी के जवाब में जबरन बंद का आह्वान किया। शुक्रवार को ही उत्तर प्रदेश में ग्राउंडब्रेकिंग सेरेमनी भी थी जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित देश के कई ऐसे बड़े बिजनेसमैन थे जो यूपी में कई परियोजनाओं में निवेश के मौके देखने आए थे। जिस समय एक तरफ प्रदेश को बेहतर बनाने और एक सफल भविष्य देने की कोशिश की जा रही थी, वहीं दूसरी तरफ इन दंगों से प्रदेश की छवि को धूमिल करने की हर मुमकिन कोशिश की गई। तो ऐसे में योगी जी भी कहां पीछे रहने वाले हैं। समारोह पूरा होते ही योगी जी एक्टिव फॉर्म में आ गए और अपनी पुलिस को काम पर लगा दिया।
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सोशल मीडिया पर विभिन्न वीडियो वायरल
सोशल मीडिया पर सामने आए विभिन्न वीडियो के माध्यम से आरोपियों की तस्वीरें ली गईं, जबकि उस इलाके के सीसीटीवी फुटेज को भी स्कैन किया गया जहां पर पथराव करने वाले एकत्र हुए और हिंसा में लिप्त थे। इन 40 आरोपियों के चेहरे दिखाने वाले होर्डिंग को कानपुर के 6 थानों में लटकाया जाएगा. पुलिस ने जनता से इन लोगों की तलाश में मदद करने की अपील की है। पुलिस ने आश्वासन दिया है कि सूचना देने वालों की पहचान गुप्त रखी जाएगी और उन्हें नकद इनाम भी दिया जाएगा।
इस वीडियो को ध्यान से देखें, कानपुर में दंगाइयों ने पुलिस और दुकानों पर बरसाने के लिए ठेले में पत्थर जमा कर रखे थे। pic.twitter.com/vZshpXD7gA
— Krishna Prasad (@PrasadKrishnaWB) June 4, 2022
उपद्रवियों पर नकेल कसने की दिशा में यूपी पुलिस द्वारा दंगाइयों के नामकरण और शर्मसार करने की रणनीति एक बड़ा कदम है। यूपी पुलिस ने शहर में हिंसा भड़काने और भड़काने के आरोप में 4 मास्टरमाइंड सहित लगभग 36 लोगों को गिरफ्तार किया है।
#40KanpurRioters | Kanpur violence: 38 accused arrested, poster of rioters released.
Watch here-https://t.co/93BssrNyRS pic.twitter.com/LrhGzc0jeb
— Republic (@republic) June 6, 2022
दंगों में उनकी कथित भूमिका और साजिश के लिए पुलिस द्वारा जांच की जा रही है। यूपी पुलिस इस बात की जांच कर रही है कि क्या ये किसी कट्टरपंथी समूह द्वारा जानबूझकर उकसाया गया था या फिर क्या यह सब प्रधानमंत्री के राज्य के दौरे पर अराजकता पैदा करने के लिए पहले से साजिश रची गई थी। सनसनीखेज खुलासे में एक बार फिर चरमपंथी समूह पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) की कड़ियां सामने आई हैं। पुलिस ने गिरफ्तार आरोपियों के पास से पीएफआई से जुड़े कागजात बरामद किए हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, पैगंबर मोहम्मद पर कथित ईशनिंदा टिप्पणी पर हिंसा भड़काने और अशांति पैदा करने के लिए कश्मीर के पुराने वीडियो एक निश्चित समुदाय के बीच प्रसारित किए गए थे। भाजपा नेता आरपी सिंह ने साजिशकर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए योगी सरकार की सराहना की और कहा कि ऐसी रणनीति समय की जरूरत है।
2020 में भी उत्तर प्रदेश में लगे थे पोस्टर
गौरतलब है कि 2020 में उत्तर प्रदेश में योगी सरकार ने सीएए विरोधी दंगाइयों को शर्मसार करते हुए इसी तरह की कार्रवाई की थी। उस समय भी राज्य की राजधानी लखनऊ में प्रमुख चौराहों पर सीएए विरोधी दंगाइयों के होर्डिंग लगाए थे, जिसमें 2019 दिसंबर में दंगों के दौरान हिंसा फैलाने और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के लिए उनके नाम, पते और फोटो शामिल थे। दंगाइयों, जिन पर सीएए के विरोध प्रदर्शनों के दौरान सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया गया था, उन्हें संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने के लिए वसूली का नोटिस दिया गया था। दंगाइयों को एक महीने के भीतर जुर्माना राशि का भुगतान करने के लिए भी कहा गया था।
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वैसे तो यह प्रदेश में योगी जी का दूसरा कार्यकाल चल रहा है। अब तक तो केवल प्रदेश वासी ही नहीं बल्कि देशवासी भी योगी जी किस तरह से कार्य करते हैं यह देख चुके हैं। लेकिन फिर भी इस तरह के दंगे करते समय क्या दंगाइयों ने एक बार भी नहीं सोचा की यह वही योगी जी हैं जिन्होंने बड़े-बड़े माफियाओं के घर गिरवा दिए, 2 साल पहले दंगाइयों के बड़े बड़े पोस्टर हर शहर में लगवा दिए, उनसे किए गए नुकसान की वसूली भी कर ली और सजा देने में भी पीछे नहीं रहे।तो जब उस समय उन्होंने किसी को माफ नहीं किया तो इस बार कैसे किसी को छोड़ देंगे।