भटक चुके विज्ञापन उद्योग के लिए बढ़िया उपचार हैं ASCI के नये दिशा-निर्देश

नैतिकता को लील रहे विज्ञापन उद्योग को रास्ते पर लाना अति आवश्यक है

विज्ञापन ASCI

Source Google

विज्ञापन की दुनिया भी विचित्र है, थोड़ी सी रचनात्मकता दिखाकर उपभोक्ता को उत्पाद की ओर चतुराई से खींच लाते हैं ये विज्ञापन। जितना आकर्षक विज्ञापन उतना ही उत्पाद के बिकने की संभावना। लेकिन आकर्षण और रचनात्मकता की सीमाएं कहां तक हैं। किस सूरत पर विज्ञापन को आकर्षित, बहुत अधिक आकर्षित बनाया जाए। क्या इन विज्ञापनों को इतना अधिकार है कि ये महिलाओं का या कहें कि लिंगनात्मक रूप से ऑब्जेक्टिफिकेशन कर सकें, भद्देपन को परोस सके केवल और केवल इसलिए कि इनसे संबंधित उत्पादों को अधिक से अधिक क्रय किया जा सके चाहे ऐसे विज्ञापनों से समाज की नौतिकता ही क्यों न लील जाए।

हाल ही में आए Layer Shot के विज्ञापन आपत्तिजनक 

हाल ही में आए Layer Shot के विज्ञापन को लेकर काफी बवाल मचा। उसके विज्ञापन को देख कर ऐसा प्रतीत होता है कि बलात्कार को बढ़ावा दिया जा रहा है और तो और पुरुषों को बलात्कारी के रूप में भी दिखाया गया है। संक्षेप में समझे तो विज्ञापन डरावना, आपत्तिजनक और विचित्र था जिस पर खासा बवाल मचा था। Layer Shot को लेकर tfipost.in पर विस्तार से लेख लिखा गया है। इस विज्ञापन को लेकर सोशल मीडिया पर भी बहुत अधिक रोष देखने को मिला था।

Layer Shot के दो विज्ञापन आए जिसमें से पहले विज्ञापन में एक स्टोर में चार आदमी बातचीत कर रहे हैं। जब वे बॉडी स्प्रे Layer Shot की आखिरी बची हुई स्प्रे बोतल को देखते हैं, उन चार में से एक व्यक्ति कहता है कि “शॉट” कौन लेगा क्योंकि वे चार हैं और ‘शॉट’ एक। यहां शॉट को द्विअर्थीय रूप में प्रस्तुत किया गया है। वहीं, दूसरे विज्ञापन में बेडरूम में एक जोड़ा है, पुरुष के चार दोस्त कमरे में प्रवेश करते हैं। उनमें से एक कहता है, “शॉट मारा लगता है” जिस पर वह आदमी जवाब देता है “हां ना, मारा ना।” यहां फिर से ‘शॉट’ शब्द को द्विअर्थीय रूप में बोला गया है।

हालांकि, इस विज्ञापन को लेकर केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्रालय की तरफ से आदेश दिया गया कि विवादित विज्ञापन को तुरंत रोका जाए। मंत्रालय ने अपने आदेश में कहा था कि Twitter और YouTube अपने प्लेटफॉर्म से तुरंत इस तरह के विज्ञापनों को हटाए साथ ही मंत्रालय ने जांच के आदेश भी दे दिए थे।

और पढ़ें- डरावना, आपत्तिजनक, विचित्र- कुछ ऐसा है Layer Shot का नवीनतम विज्ञापन

इस तरह के आपत्तिजनक विज्ञापन को दिखाने के विरुद्ध ब्रांड पर सख्त कार्रवाई की मांग सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर उठायी जाने लगी है। इसके बाद ASCI ने मामले को अपने हाथ में लिया और इस विज्ञापन को ‘ASCI कोड का गंभीर उल्लंघन’ बताया, जो ‘जनहित के विरुद्ध है।’

ऐसे विज्ञापन जब आ जाते हैं तो ऐसा लगता है कि अब विज्ञापन उद्योग ने नैतिकता की सारी सीमाओं को ही पार कर दिया है। हालांकि, अब इस उद्योग में हो रहे ऐसे कृत्यों पर लगाम लगाने की तरफ काम करने का समय आ गया है। भविष्य में इस तरह की गलतियों को दोहराने से किसी भी ब्रांड को रोकने के लिए कुछ दिन पहले ही विज्ञापनों में लैंगिक रूढ़िवाद के संबंध में विज्ञापन क्षेत्र के नियामक ASCI ने दिशा-निर्देश जारी किए हैं।

आइए इन दिशा निर्देशों पर ध्यान केंद्रित करते हैं। विज्ञापनों में हानिकारिक लैंगिक रूढ़िवाद को लेकर ASCI द्वारा जारी किए गए दिशा-निर्देश में अस्वीकार्य चित्रण के लिए सीमाएं तय की गयी और विज्ञापनदाताओं को  इस बात के लिए प्रोत्साहित किया गया कि वे प्रगतिशील लैंगिक चित्रण वाली सामग्री का निर्माण करें।

और पढ़ें- बच्चों के शो के दौरान जंक फूड के विज्ञापनों पर रोक लगाएगी सरकार

 क्या हैं नए दिशा-निर्देश ?

नए दिशा-निर्देश के अनुसार अब ये भी अनिवार्य होगा कि विज्ञापनों में किसी भी लिंग के पात्रों का चित्रण यौन उद्देश्य से या फिर दर्शकों को प्रसन्न करने के लक्ष्य से कामुक रूप से चीजों को चित्रित नहीं करना चाहिए। भारतीय विज्ञापन मानक परिषद यानी ASCI के दिए गए बयान में ये स्पष्ट कहा गया कि ‘‘लैंगिक रूढ़िवादिता, उनकी यौन अभिविन्यास या फिर लिंग पहचान के अनुरूप नहीं होने के कारण विज्ञापनों में लोगों का उपहास नहीं उड़ाया जाना चाहिए।’’ आगे कहा गया कि ये दिशा-निर्देश महिलाओं पर मुख्य रूप से केंद्रित हैं, वैसे यह अन्य लिंग वालों को भी गलत रूप में चित्रण से बचाव करता है। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी द्वारा ASCI ने नए दिशा-निर्देश को जारी किया गया था। हालांकि, ASCI ने यह भी स्पष्ट किया कि नये दिशानिर्देश “विज्ञापनों को ग्लैमरस, आकर्षक या फिर सफल और आकांक्षी या स्वस्थ लोगों या जीवन शैली को दिखाने से रोकने की कोई मंशा नहीं रखते हैं।”

प्रश्न उठता है कि क्या इन दिशा-निर्देशों की पहले आवश्यकता नहीं थी? क्या इन्हें पहले जारी नहीं किया जाना चाहिए? क्या संस्थाएं किसी बड़े विवाद या घटना के हो जाने की प्रतीक्षा में होती हैं? अगर Layer Shot से संबंधित विवाद प्रकाश में नहीं आता तो क्या इन दिशा निर्देशों को लाने की सुध किसी को होती? लेकिन जिस तरह से विज्ञापन उद्योग कॉन्टेंट के नाम पर अपने निचले स्तर को छूता जा रहा है उससे तो यही लगता है कि ये दिशा निर्देश ‘देर से आए, कम से कम आए तो।’

TFI का समर्थन करें:

सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की ‘राइट’ विचारधारा को मजबूती देने के लिए TFI-STORE.COM से बेहतरीन गुणवत्ता के वस्त्र क्रय कर हमारा समर्थन करें।

Exit mobile version