राजनीति में कुछ भी असंभव नहीं है, कब कौन और किससे मिल जाए यह कहा नहीं जा सकता और जब बात शिवसेना की हो, तो विचारधारा की तो बात ही छोड़ दो भैया! यह पार्टी अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए कुछ भी कर सकती है। मौजूदा समय में महाराष्ट्र में कुछ ऐसा ही देखने को मिल रहा है। हिंदुत्व की विचारधारा पर चलने का दावा करने वाली शिवसेना का असली चेहरा अब सबके सामने आने लगा है। राजनीति और सत्ता लोभ के लिए शिवसेना कैसे अपनों को ही धोखा दे सकती है, यह तो 2019 विधानसभा चुनावों के दौरान ही स्पष्ट हो गया था। जब कुर्सी के लालच में उद्धव ठाकरे ने अपनी मूल विचारधारा को दरकिनार कर हिंदू विरोधी पार्टियों के साथ मिलकर सरकार बना ली। जिसके बाद से ही शिवेसना हिंदुवादी छवि को पीछे छोड़ सेक्युलर बनने की दिशा में आगे बढ़ चली है। इसी बीच शिवसेना के एक और कदम ने उसके हिंदुत्व वाले दिखावे की पूरी की पूरी पोल पट्टी खोलकर रख दी है।
दरअसल, अपनी राजनीति चमकाने हेतु उद्धव ठाकरे अब असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM के साथ हाथ मिलाने तक से भी नहीं हिचकिचा रहे। भाजपा को हराने भर के उद्देश्य के लिए AIMIM ने राज्यसभा चुनाव में शिवसेना के नेतृत्व वाले महाविकास अघाड़ी गठबंधन के समर्थन में वोट करने का ऐलान कर दिया है। चार राज्यों की 16 राज्यसभा के लिए वोटिंग हो रही है, जिसमें महाराष्ट्र भी शामिल है। महाराष्ट्र की 6 राज्यसभा सीटों के लिए 7 उम्मीदवार मैदान में हैं। जिसमें से एक सीट पर पेंच फंसा हुआ हैं। अब AIMIM ने महाविकास अघाड़ी को समर्थन देने का ऐलान किया है, ऐसे में पार्टी के दोनों विधायक MVA उम्मीदवार के समर्थन में वोट देंगे।
AIMIM सांसद इम्तियाज जलील ने ट्वीट करते हुए कहा, BJP को हराने के उद्देश्य से हमारी पार्टी AIMIM ने राज्यसभा में महाविकास अघाड़ी के समर्थन में वोट करने का फैसला किया। उन्होंने कहा कि शिवसेना के साथ हमारे राजनीतिक और वैचारिक मतभेद जारी रहेंगे, जो MVA में कांग्रेस और NCP के साथ गठबंधन में है।
हालांकि, AIMIM ने MVA के समर्थन में वोट देने के लिए सरकार के आगे कुछ शर्तें भी रखी हैं। AIMIM ने मांग की है कि सरकार महाराष्ट्र लोक सेवा आयोग (MPSC) में अल्पसंख्यक सदस्य नियुक्त करने और महाराष्ट्र वक्फ बोर्ड की आय बढ़ाने की दिशा में कदम उठाए। अब जब ओवैसी की पार्टी शिवसेना समर्थित महा विकास अघाड़ी के गठबंधन को समर्थन देने लगे तो उन पार्टी की विचारधारा को आसानी से समझा जा सकता है। और ऐसा होने पर जब शिवसेना की ओर से किसी भी तरह की प्रतिक्रिया नहीं दी है तो यह काफी हद तक स्पष्ट हो जाता है कि वो अपनी हिंदुत्व वाली अपनी मूल विचारधारा को किनारे लगा चुकी है एवं कांग्रेस-NCP के नक्शे-कदम पर चलते हुए हिंदू विरोधी एजेंडे पर आगे बढ़ने लगी है। ध्यान देने वाली बात है कि यह वही शिवसेना है, जो स्वयं यह कहती है कि वह औरंगजेब की कब्र पर सिर झुकाने वालों के साथ कभी नहीं आएगी लेकिन अब स्थिति आपके सामने है।
कुछ समय पहले शिवसेना प्रमुख और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने AIMIM के साथ गठबंधन की अटकलों पर एक बड़ा बयान देते हुए कहा था कि “औरंगजेब की कब्र पर सिर झुकाने वालों से शिवसेना न कभी जुड़ी हुई थी और न कभी जुड़ेगी। हम AIMIM के साथ कभी गठजोड़ नहीं करेंगे, यहां तक कि सपने में भी नहीं।“ आज राज्यसभा की महज एक सीट के लिए शिवसेना ने समझौता कर लिया है। AIMIM जैसी पार्टी को अपना चौथा साथी बनाकर शिवसेना को जिस दिशा में आगे बढ़ रही है, उसकी बाला साहेब ठाकरे ने कभी कल्पना भी नहीं की होगी।
TFI का समर्थन करें:
सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की ‘राइट’ विचारधारा को मजबूती देने के लिए TFI-STORE.COM से बेहतरीन गुणवत्ता के वस्त्र क्रय कर हमारा समर्थन करें।