किसी देश के दो दुश्मन जब एक साथ हो जाएं तो उस देश को अधिक सावधान रहने की आवश्यकता है। कहते हैं न कि दुश्मन का दुश्मन दोस्त होता है तो इसका प्रत्यक्ष उदाहरण भारत के दो दुश्मन चीन और पाकिस्तान हैं। पाकिस्तान की हालत ऐसी है कि वो कब अपना अस्तित्व खो दे कह नहीं सकते हैं लेकिन चीन की भारत के विरूद्ध धूर्तता अनवरत चलती ही रहती है। ऐसी ही धूर्तता का चीन की तरफ से फिर प्रदर्शन किया गया है। आइए, संबंधित जानकारी को हम विस्तार से इस लेख में जानते हैं और समझने का भी प्रयास करते हैं।
ED ने किया है चीन की धूर्तता का पर्दाफाश
कुछ इस्लामिक संगठन न केवल भारत में ही अलग अलग रूप से फिंडिग करते हैं बल्कि उन देशों से भी धन जुटाते हैं जो भारत में गृहयुद्ध जैसी स्थिति पैदा करने के प्रयास में होते हैं और भारत के प्रति शत्रुतापूर्ण व्यवहार रखते हैं। ऐसा करने के पीछ जिस देश के नाम का खुलासा हुआ है वो और कोई नहीं धूर्त चीन ही है। दरअसल, प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने एक संस्थागत विदेशी फंडिंग संगठनात्मक ढांचे का भंडाफोड़ किया है।
यहां बात हो रही है कट्टरपंथी इस्लामी संगठन PFI यानी पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया की जिसकी संपत्ति को पहले तो कुर्क किया गया और फिर इस कुर्की के बाद पीएमएलए (धन शोधन निवारण अधिनियम) के तहत न्यायालय में ED ने PFI के विरुद्ध दायर एक आरोप पत्र में चीन का नाम लेते हुए कहा है कि चीन और खाड़ी देशों के माध्यम से धन निकासी की गयी ताकि इसी धन के माध्यम से देश में अशांति फैलायी जा सके। इन्हीं पैसों से सीएए और एनआरसी विरोधी जैसे अलग-अलग हिंसक विरोध प्रदर्शनों का आयोजन किया गया, जिसका एक परिणाम उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों को देखा जा सकता है।
ED के तरफ से ये भी कहा गया कि चीन का कनेक्शन PFI सदस्य केए रऊफ शरीफ के साथ पाया गया। रऊफ हाथरस केस से भी जुड़ा है। सामूहिक दुष्कर्म के बाद हाथरस में एक दलित महिला की जान चली गयी थी। ED के अनुसार रऊफ को चीन से एक करोड़ रुपये मिले और मास्क ट्रेडिंग के बहाने ये रुपये उसको मुहैया कराये गये थे। साल 2019 और 2020 में रऊफ चीन गया था और उसके भारतीय बैंक खाते में धन भेजे गए। एक और केस प्रकाश में आया जब एसडीपीआई जो कि PFI से ही संबंधित है जिससे जुड़े कलीम पाशा को एक चीनी कंपनी जम्पमंकी प्रमोशन इंडिया प्रा.लिमिटेड द्वारा 5 लाख रुपये दिए गए। अब आप सोचेंगे पाशा कौन है तो बता दें कि यही पाशा बेंगलूरु दंगों में शामिल था।
और पढ़ें- राज ठाकरे और PFI के बीच छिड़ चुका है महायुद्ध
केए रऊफ शरीफ का सामने आया है नाम
ED की तरफ से ये भी कहा गया कि दिल्ली में केरल के पत्रकार सिद्दीक कप्पन इसके अलावा तीन और लोगों को उत्तर प्रदेश के हाथरस यात्रा के लिए केए रऊफ शरीफ ने फंडिंग की थी। ED की पेश की गयी रिपोर्ट में ये भी है कि फंड जुटाने के लिए PFI ने यूएई, ओमान, कतर, कुवैत, बहरीन, सऊदी अरब जैसे कई और देशों में जिला कार्यकारी समिति तक का गठन किया है। इन लोगों को कैश जमा करने के साथ ही हवाला से पैसे का स्थानांतरण करने का लक्ष्य सौंपा गया है जो ऐसा लगे जैसे वास्तव में व्यावसायिक लेनदेन ही किया जा रहा हो।
यहां ध्यान देने वाली बात है कि लगभग सभी खाड़ी देशों के साथ भारत के व्यापारिक संबंध उच्च हैं। लेकिन व्यापार भेष में मजबूत आतंकी वित्तपोषण संस्थान विकसित होती दिखायी देती हैं इसे कतई अनदेखा नहीं किया जा सकता है।
और पढ़ें- चरमपंथी इस्लामिक संगठन PFI की केरल में रैली, हिंदू-ईसाइयों के ‘नरसंहार’ के लगे नारे
ED ने जांच के दौरान कई जानकारियों से पर्दा उठाया। 600 से अधिक घरेलू दाताओं और उनके बैंक खातों के बारे में विस्तार से ED ने बताया साथ ही 2600 से अधिक लाभार्थियों के खातों को खंगाला। ED ने जांच में क्या पाया? निदेशालय ने पाया कि इनमें से कई खातों से जुड़े लोगों के बारे में कोई अतापता ही नहीं है ये सभी खाते बोगस थे। जानकारी के अनुसार भारत में आतंकी गतिविधियों को चलाने के लिए PFI के द्वारा एक “हिट स्क्वाड” भी बनाया गया है।
ED की जांच में और भी कई बातें खुलकर सामने आयी हैं, पता चला है कि PFI और आरआईएफ यानी रेहाब इंडिया फाउंडेशन को संदिग्ध स्रोतों से धन मिले। 2009 से PFI के खातों में 60 करोड़ रुपये से अधिक जमा कराए गए जिसमें 30 करोड़ कैश डिपोडिट हुए। इसी तरह से आरआईएफ के खातों में 2010 से अब तक 58 करोड़ जमा हो चुके हैं।
और पढ़ें- चरमपंथी इस्लामिक संगठन PFI पर चला ED का चाबुक
केरल उच्च न्यायालय ने क्या कहा था?
केरल उच्च न्यायालय ने हाल ही में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया यानी PFI और सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया यानी एसडीपीआई पर टिप्पणी की थी। न्यायमूर्ति के हरिपाल के द्वारा एक आदेश में कहा गया कि ‘एसडीपीआई और PFI चरमपंथी संगठन हैं इसमें कोई संदेह नहीं है। ये संगठन हिंसा के गंभीर कृत्यों में संलिप्त हैं इसके बाद भी ये प्रतिबंधित संगठन नहीं हैं।’
ध्यान देना होगा कि ऐसे संगठन सक्रिय रूप से युवाओं के दिमाग के साथ खेलते हैं और विदेशी फंडिंग के माध्यम से जिहाद का धंधा चलाते हैं। सोशल मीडिया के माध्यम से हिंसा फैलाने का प्रयास करना और अशांति फैलाना इन जिहादियों के लिए आसान है। यदि इन संगठनों को नियंत्रित और प्रतिबंधित नहीं किया गया तो ऐसी प्रबल संभावना है कि ये और सशक्त होने का प्रयास करेंगे और भारत के विरुद्ध अपनी शक्तियों का उपयोग करने लगेंगे। ‘सांप फन फैलाए उससे पहले ही उसे कुचल देना चाहिए’ वाले सिद्धांत पर काम करते हुए सरकार को PFI जैसे संगठनों को तुरंत गैरकानूनी घोषित कर देना चाहिए और कड़ी से कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।