‘गांधी’ सरनेम होने के कारण ‘महात्मा गांधी’ बनने चले थे राहुल गांधी, खेला हो गया!

राहुल गांधी को एक ‘बनराकस’ की सख्त जरूरत है।

राहुल गांधी पूछताछ

Source: TFI

कांग्रेस के चिरयुवा सांसद राहुल गांधी को आज प्रवर्तन निदेशालय ने नेशनल हेराल्ड से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में पूछताछ के लिए बुलाया तो हंगामा खड़ा हो गया। ऐसा हंगामा मानो कांग्रेसियों ने अपने कमरों में डायनासोर देख लिया हो। जिन-जिन राज्यों में कांग्रेस की सरकारें हैं- वहां-वहां से सभी बड़े नेता दिल्ली दौड़े चले आ रहे थे। और जिन-जिन राज्यों में सरकार नही है वहां से छोटे-बड़े सभी नेता दिल्ली दौड़े चले आ रहे थे। कांग्रेस नेता दिल्ली की ओर इस तरह दौड़ रहे थे, मानो उन्हें किसी की बारात में शामिल होना हो। प्रवर्तन निदेशालय ने पूछताछ के लिए ही बुलाया था ना- इसमें इतना हंगामा करने की- इतना बवाल मचाने की- इतना चीख-पुकार करने की क्या आवश्यकता थी?

सरनेम ‘गांधी’ है तो क्या पूछताछ नहीं होगी?

सुबह से राजधानी दिल्ली में कांग्रेसियों ने हंगामा मचा रखा है। लोगों को इतनी परेशानी हो रही है, वो भी एक सांसद के लिए। क्या सिर्फ इसलिए राहुल गांधी से पूछताछ नहीं होनी चाहिए कि उनके नाम के पीछे ‘गांधी’ सरनेम लगा है? ‘गांधी’ सरनेम लगा लेने से कोई महात्मा गांधी तो नहीं बन जाता- लेकिन राहुल गांधी इसी तरह से व्यवहार कर रहे थे मानो वो महात्मा गांधी हो- और व्यवहार क्या स्वयं कांग्रेस के बड़े नेता रणदीप सुरजेवाला ने भी यही कहा। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी भी नहीं झुके थे, राहुल गांधी भी नहीं झुकेंगे। अरे, सुरजेवाला जी, महात्मा गांधी- महात्मा गांधी थे, लेकिन राहुल गांधी-राहुल गांधी हैं। यह बात आप और दूसरे कांग्रेसी कब समझेंगे?

कांग्रेस पार्टी ने अपने सभी नेताओं को इसके लिए बोला था कि जब राहुल गांधी ईडी के ऑफिस जाएं- तो सभी नेता दिल्ली में उनके आस-पास मौजूद रहें। सभी नेता और कार्यकर्ता दौड़े चले आए। ‘राहुल गांधी जिंदाबाद- राहुल गांधी जिंदाबाद’ की नारेबाजी इस तरह से हो रही थी मानो कोई बहुत बड़ा योद्धा, युद्ध विजय करके लौटा हो।

ऐसे में वहां मौजूद दिल्ली पुलिस ने भी इसकी ढंग से ख़बर ली। ज्यादा हुड़दंग और हंगामा मचाने वाले कांग्रेसियों को दिल्ली पुलिस ने हिरासत में ले लिया। कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल, अधीर रंजन चौधरी, दीपेंद्र हुड्डा और अशोक गहलोत को पुलिस ने हिरासत में लिया। इन लोगों को पुलिस तुगलक रोड थाने लेकर गई। जहां बाद में प्रियंका गांधी भी इन नेताओं से मिलने पहुंची थी। इसके साथ ही और भी कांग्रेसी नेता अपने पॉइंट बनाने के लिए राहुल गांधी के पीछे-पीछे चल रही थे- और कई नेता ट्वीटर पर ही राहुल गांधी के समर्थन में माहौल बना रहे थे।

बिना अनुमति के इकठ्ठा हुई भीड़

हर कोई किसी ना किसी तरह से राहुल गांधी की चापलूसी में लगा दिख रहा था लेकिन पीछे-पीछे वो सब भी कह रहे थे कि राहुल गांधी तो एक आम सांसद हैं। एक आम सांसद से ईडी पूछताछ कर रही है तो इसमें कांग्रेस पार्टी को क्यों आना चाहिए?

दिल्ली पुलिस ने कांग्रेस नेताओं को हिरासत में डाला और इस मामले पर बयान देते हुए कहा कि 100 लोगों की अनुमति पुलिस ने दी थी लेकिन बड़ी भीड़ जमा हो गई इसलिए हिरासत में लिया गया।

क्या है मामला ?

1938 में कांग्रेस पार्टी ने एसोसिएट जर्नल्स लिमिटेड (AJL) बनाई। इसके तहत नेशनल हेराल्ड अख़बार निकाला गया। उस वक्त AJL पर 90 करोड़ से ज्यादा का कर्ज था। इसको ख़त्म करने के लिए कांग्रेस पार्टी ने अपने फंड से AJL को ब्याज मुक्त 90 करोड़ रुपये दिए। नवंबर, 2010 में एक और कंपनी बनाई गई। जिसका नाम था यंग इंडियन लिमिटेड (YIL)। इसमें सोनिया और राहुल की 38-38 फीसदी की हिस्सेदारी थी।

जबकि पार्टी के नेता मोतीलाल बोहरा और ऑस्कर फर्नांडिस की बची हुई 24 फीसदी हिस्सेदारी थी। इस कंपनी ने AJL का कर्ज अपने ऊपर ले लिया। इसके साथ ही 50 लाख रुपये में AJL की पूरी हिस्सेदारी भी YIL को ट्रांसफर कर दी गई, जिसके मालिक सोनिया और राहुल गांधी थे। यही से यह मामला विवादों में पड़ गया।

2013 में बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने एक केस दर्ज कराया। इसमें कहा गया कि करीब 1000 शेयरहोल्डर्स और 2000 करोड़ की कीमत वाली कंपनी AJL को कांग्रेस पार्टी ने सिर्फ 50 लाख में कैसे खरीद लिया?

2013 में कोर्ट में गया मामला

तो आपने समझा कि किस तरह से गांधी परिवार ने 50 लाख रुपये में पूरी AJL अपने नाम करवा ली। इसी मामले में जब राहुल गांधी और सोनिया गांधी से पूछताछ होती है तो कांग्रेसियों को तो मिर्ची लगती ही है इसके साथ ही कथित उदारवादी,वामपंथी समेत कांग्रेस के पूरे इकोसिस्टम को भी मिर्ची लगती है।

ईडी जब भी इस मामले में गांधी परिवार को पूछताछ के लिए बुलाती है तो यह पूरा गैंग मिमियाने लगता है। हर कोई चीखने लगता है कि गांधी परिवार के विरुद्ध राजनीतिक कार्रवाई की जा रही है- अरे, मेरे देश के कांग्रेसियों-वामपंथियों और कांग्रेसी इको-सिस्टम के सभी नागरिको यह राजनीतिक कार्रवाई नहीं बल्कि एक कानूनी कार्रवाई है- जोकि तब हो रही है जब आपने कुछ ग़लत किया है। यह मामला भी 2013 में कोर्ट में गया था- उस वक्त देश में मोदी सरकार नहीं थी।

ऐसे में बात-बात पर रोने वाले और हर बात को राजनीति से प्रेरित बताने वाले और ईडी की पूछताछ के लिए अपनी सेना को इकठ्ठी करने वाले कांग्रेसियों को अगर असली राजनीति कार्रवाई को याद करना है तो इमरजेंसी को याद कर लें- औ अगर आपातकाल उनकी स्मृति से मिट गया हो तो वो वक्त याद कर लें- जब नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे- उनसे 10-10 घंटे पूछताछ की गई। जब अमित शाह गुजरात में थे- उनसे घंटों-घंटों पूछताछ की जाती थी- वो थी राजनीतिक कार्रवाई। दिल्ली में हुए आज के तमाशे को देखकर एक बात तो साफ तौर पर कही जा सकती है कि राहुल गांधी को अभी और परिपक्व होने की आवश्यकता है, और इसके लिए उन्हें एक ‘बनराकस’ की बहुत आवश्यकता है।

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