आरबी श्रीकुमार: देश को दशकों पीछे ले जाने वाला अंतत: जेल में पहुंच ही गया

बहुत वर्षों तक इन लोगों ने मलाई खाई है!

RB Sreekumar – The scourge of India is now finally behind bars

Source: Jansatta

हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने गुलबर्ग सोसाइटी की ‘पीड़िता’ जाकिया जाफरी की याचिका रद्द कर दी और पीएम मोदी को SIT द्वारा दी गई क्लीन चिट पर मुहर लगा दी। इसी फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने तीस्ता सीतलवाड़ और उसके जैसे दूसरे लोगों के खोखले एजेंडे पर प्रश्न जिन्ह लगा दिया। इस पूरे इकोसिस्टम ने वर्षों तक नरेंद्र मोदी और उनके गुजरात प्रशासन को 2002 के दंगों के लिए दोषी ठहराया।

अब फलस्वरूप गुजरात सरकार ने इस रैकेट के प्रमुख आरोपियों – तीस्ता सीतलवाड़, निलंबित पुलिस अफसर संजीव भट्ट और आरबी श्रीकुमार के विरुद्ध FIR दर्ज कराई, जिसके अंतर्गत गुजरात ATS ने पहले तीस्ता को हिरासत में लिया और फिर आरबी श्रीकुमार को हिरासत में लिया।

परंतु ये आरबी श्रीकुमार है कौन और इसने ऐसा क्या किया जिसके कारण आज देशभर में ये अब घृणा का पात्र बन चुका है? कभी कॉलेज में प्रोफेसर के रूप में कार्य करने वाले इस व्यक्ति ने 1971 में आईपीएस की सेवा जॉइन करते हुए अपना कद बढ़ाना प्रारंभ किया। यह 1972 में ही गुजरात पुलिस से जुड़े, और सेवानिवृत्त होने तक गुजरात पुलिस के साथ रहे।

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आरबी श्रीकुमार 2002 में गुजरात पुलिस के एडीजी थे, जब गुजरात के दंगे भड़के थे। उस वक्त उन्होंने दावा किया कि ये सब कुछ मुख्यमंत्री मोदी की देखरेख में हुआ और उन्होंने जानबूझकर ‘हिन्दू दंगाइयों’ को उपद्रव करने की पूरी छूट दी। उन्होंने ये सारे दावे नानावटी मेहता आयोग के समक्ष भी किये, परंतु अपने समर्थन में वे एक भी साक्ष्य नहीं पेश कर पाए।  फलस्वरूप इन्हे पदच्युत तो नहीं किया गया, परंतु इनका प्रोमोशन रोक दिया गया, जिसके लिए उन्हे CAT के समक्ष भीख माँगनी पड़ी, और 8 वर्ष की कार्रवाई के बाद भी परिणाम निल बट्टे सन्नाटा रहा –

परंतु क्या आपको पता है कि इस शख्स के कारण जो मंगलयान 1994 में प्रक्षेपित हो सकता था, उसके लिए भारत को 2 दशक तक प्रतीक्षा करनी पड़ी? जी हाँ, इसी व्यक्ति के कारण हमारे देश के स्पेस प्रोग्राम को भी काफी नुकसान हुआ था क्योंकि इसकी देखरेख में केरल पुलिस ने इसरो वैज्ञानिक शंकरलिगम नम्बी नारायणन के विरुद्ध न केवल झूठे आरोप तय किये, अपितु कई दिनों उन्हे शारीरिक एवं मानसिक रूप से यातना भी दी।

नम्बी नारायणन ने हाल ही में अपने बयान में बताया, “मुझे पता चला कि वो (आरबी श्रीकुमार) फर्जी कहानियाँ गढ़ने और सनसनी फैलाने के आरोप में गिरफ्तार हो चुका है। ठीक यही उसने मेरे केस में भी किया था। हमारा सिस्टम ऐसा है, जहाँ कोई भी किसी के भी बारे में कुछ भी कह कर निकल सकता है। मुझे उसकी गिरफ्तारी से ख़ुशी है क्योंकि उसने तमाम सीमाओं को तोड़ दिया था। जो इसने मेरे साथ किया, उस पर मैं खुश था क्योंकि मुझे पता था कि ये अपनी हरकतें जारी रखेगा और एक दिन यही हरकतें उसे सजा दिलाएँगी” –

नम्बी नारायणन ने अपने साथ हुई यातना की शिकायत जब मानवाधिकार आयोग से की थी,  तो निरंतर कार्रवाई के पश्चात NHRC ने इस मामले में केरल पुलिस और IB को मानवाधिकार उल्लंघन का दोषी पाया था। वैज्ञानिक नम्बी नारायणन को 10 लाख रुपए मुआवजा देने के भी आदेश दिए गए, और शीघ्र ही आरबी श्रीकुमार के नेतृत्व वाले इंटेलिजेंस ग्रुप के खोखले दावों पर भी विराम लग गया, जब सुप्रीम कोर्ट ने नम्बी को 1998 में निर्दोष सिद्ध किया।

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इस आदेश के खिलाफ केरल की सरकार हाईकोर्ट गई लेकिन साल 2012 में हाईकोर्ट ने भी केरल सरकार के खिलाफ ही फैसला दिया। बाद में इस केस की जाँच CBI को सौंप दी गई। CBI ने भी अपनी जाँच में केरल पुलिस स्टाफ को दोषी पाया था। केंद्रीय एजेंसी ने केरल पुलिस के उन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए केरल के तत्कालीन मुख्यमंत्री को पत्र लिखा लेकिन आरोपित पुलिस वालों पर कोई एक्शन नहीं लिया गया।

अधिकारियों के खिलाफ हाईकोर्ट से कार्रवाई की अपील की गई तो केरल हाईकोर्ट ने इसे राज्य सरकार के विवेक पर छोड़ दिया। CBI ने अपनी जाँच में पाया था कि यह साजिश भारत के स्पेश प्रोग्राम को बेपटरी करने के लिए रची गई थी। इसी के साथ इस पूरे मामले में भारत का अंतरिक्ष अभियान काफी पीछे चला गया था। IPS आरबी श्रीकुमार उस समय पुलिस में एडिशनल डॉयरेक्टर ऑफ़ इंटेलिजेंस के पद पर थे और जब राजनाथ सिंह एवं मीनाक्षी लेखी ने बाद में इस मामले को प्रकाश में लाया, तो उन पर मानहानि का मुकदमा भी किया। परंतु सुप्रीम कोर्ट ने नम्बी नारायणन के दावों को सत्य सिद्ध करते हुए केरल पुलिस पर मुकदमा करने को स्वीकृति दी, और नम्बी नारायणन को 50 लाख रुपये का मुआवजा तत्काल प्रभाव से देने का आदेश भी दिया।

परंतु ये कथा यहीं पर खत्म नहीं होती। इतनी भदद पिटने के बाद भी इस धूर्त आदमी का न केवल आदर सत्कार हुआ, अपितु राजनीतिक मंच भी मिला, और सोचिए किस राजनीतिक पार्टी ने इन्हे आश्रय दिया? सोचिए, सोचिए, ईमानदार शिरोमणि आम आदमी पार्टी, जो राजनीति बदलने आए थे– जिनके लिए भ्रष्टाचारी और पापियों से संबंध रखना भी पाप समान था।

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आज जब आरबी श्रीकुमार जैसे लोग जेल में हैं, चाहे कुछ दिनों के लिए ही सही, तो न केवल इस बात में विश्वास है कि ईश्वर के घर देर है, अंधेर नहीं है, अपितु यह बात भी सिद्ध होती है सभी के कर्मों का हिसाब इसी लोक में होना है और शीघ्र होना है, और जो भी हो, लिबरलों का हाल तो अब कुछ ऐसा ही होगा।

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