चले थे मोहम्मद ज़ुबैर ‘हिंदुओं’ को डराने, अब मुंह छिपाते फिर रहे हैं

जुबैर की उल्टी गिनती का आरंभ है काफी प्रचंड!

मोहम्मद ज़ुबैर

Source- TFI

कहते हैं, जो दूसरों के लिए गड्ढा खोदते हैं, कभी-कभी वे स्वयं उसी गड्ढे में गिर जाते हैं और मोहम्मद ज़ुबैर से प्रत्यक्ष उदाहरण कोई नहीं हो सकता। फेक न्यूज का पर्दाफाश करने के नाम पर हिन्दू देवी देवताओं को निरंतर अपमानित करने वाले Alt News के सह संस्थापक मोहम्मद ज़ुबैर पर कानूनी एजेंसियों का शिकंजा जिस प्रकार से कसता जा रहा है, उसके पश्चात अब बंधु अपने मुगलिया पूर्वजों की भांति पतली गली से खिसकते हुए प्रतीत हो रहे हैं।

हाल ही में इलाहाबाद हाईकोर्ट से FIR के विरुद्ध याचिका रद्द होने के पश्चात मोहम्मद ज़ुबैर ने आश्चर्यजनक रूप से अपना फ़ेसबुक अकाउंट डिलीट कर दिया। जी हाँ, यहीं सच्चाई है! दूसरों के तथ्यों पर प्रश्न चिन्ह लगाने वाला मोहम्मद ज़ुबैर अपने ऊपर प्रश्न उठते ही अपना फ़ेसबुक अकाउंट डिलीट कर बैठा –

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परंतु जिसके एक इशारे पर विश्व के सबसे बड़े लोकतान्त्रिक पार्टियों में से एक को अपनी प्रवक्ता को निलंबित होने पर विवश होना पड़ा, जिस ‘फ़ैक्ट चेकर’ के एक इशारे पर सम्पूर्ण इस्लामिक जगत भारत के विरुद्ध ‘एकजुट और एकमत’ हो गया, वह अचानक से इतना दुर्बल और निरीह कैसे हो गया? उसे अपना फ़ेसबुक अकाउंट डिलीट करने पर क्यों विवश होना पड़ा?

असल में मोहम्मद ज़ुबैर के फ़ेसबुक से संबंधित पेज से जुड़े कई हिन्दू विरोधी पोस्ट्स एक के बाद एक वायरल होने लगे हैं, जिसके पश्चात मोहम्मद ज़ुबैर ने या तो अपने पेज को प्राइवेट कर दिया या फिर इसे डिलीट कर दिया।

इन विवादित पोस्ट्स के कुछ स्क्रीनशॉट शेयर करते हुए The Hawk Eye नामक ट्विटर यूजर ने ट्वीट किया, “दूसरों के भगवान, धर्म, संस्कृति और शास्त्रों का मजाक बनाना आसान है, क्योंकि इसका कोई अंजाम देखने को नहीं मिलता है। विडंबना यह है कि यह ट्वीट उसी शख्स ने किया, जिसने एक ऐसी घटना को अंजाम दिया जिसने पूरे देश को अशांत कर दिया और हिंसक तबाही अभी भी जारी है। क्या अपने पंथ के लिए ऐसा ये कर सकता है?” –

परंतु ये तो कुछ भी नहीं है। अभी कुछ ही दिन पूर्व मोहम्मद जुबैर ने 3 हिंदू संतों को नफरत फैलाने वाला कहकर संबोधित किया था, जिसके बाद उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी। ‘हिंदू विरोध’ के नशे में धुत ये महाशय इस प्राथमिकी को चुनौती देने इलाहाबाद हाईकोर्ट पहुंच गए, लेकिन कोर्ट ने इन्हें धोबी पछाड़ देते हुए जांच में सहयोग करने के निर्देश दिए हैं। दरअसल, जून माह की शुरुआत में एक ट्वीट के माध्यम से ऑल्ट न्यूज़ के सह-संस्थापक मोहम्मद ज़ुबैर ने तीन हिंदू संतों यति नरसिंहानंद सरस्वती, बजरंग मुनि और आनंद स्वरूप को ‘हेट मांगर’ यानी घृणा फैलाने वाला कहा था। इसके विरुद्ध ज़ुबैर के खिलाफ दर्ज एफआईआर को मोहम्मद ज़ुबैर द्वारा चुनौती दी गई थी ताकि FIR और कार्रवाई से बचा जा सके। पर यह सपना, एक सपना ही रह गया जिससे ज़ुबैर की सिट्टी-पिट्टी गुल हो गई है, और अभी तो हमने इनके यौन शोषण संबंधी मामलों पर प्रकाश भी नहीं डाला है।

इससे पूर्व में भी गाज़ियाबाद में सांप्रदायिकता फैलाने के आरोप में कोर्ट से महोदय को फटकार पड़ चुकी है। गाजियाबाद के लोनी में एक आपसी झड़प को इसी व्यक्ति समेत कुछ वामपंथियों ने ये दिखाने की कोशिश की कि एक बुजुर्ग को ‘जय श्री राम’ न बोलने के कारण मारा गया और उनकी दाढ़ी काटी गई। लेकिन जब उत्तर प्रदेश प्रशासन ने साक्ष्य सहित इनकी पोल पट्टी खोली और ट्विटर को इन्हें बढ़ावा देने के लिए हड़काया, तो फेक न्यूज फैलाने वाले इसी मोहम्मद जुबैर को माफी मांगने पर विवश होना पड़ा, और ऐसे में एक बात तो स्पष्ट है कि बुराई चाहे जितना भी पर फैला ले, परंतु सत्य के सूर्य को ढंकना उसके लिए असंभव है!

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