जब 2019 में रवीश कुमार को पत्रकारिता हेतु मैग्सेसे पुरस्कार मिला था, तो हमने मजे मजे में सोचा था कि टुकड़े टुकड़े गैंग के प्रत्येक सदस्य को परिणामस्वरूप बाटली अवॉर्ड या ऐसा ही कोई पुरस्कार भारत के विरुद्ध विष उगलने हेतु दिया जाएगा। परंतु इंडियन अमेरिका मुस्लिम काउंसिल ने इस बात को दिल पर ही ले लिया। इन लोगों ने तो वास्तव में एक विशिष्ट प्रकार के पुरस्कार बांटने का निर्णय किया है, जिन्हें अगर हम प्रथम ‘एंटी हिन्दू अवार्ड्स’ कहें तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी।
ये कैसे संभव है? इसी पर प्रकाश डालते हुए प्रसिद्ध ट्विटर हैंडल द हॉक आई (The Hawk Eye) ने ट्वीट किया, “आज तो लॉटरी लगी है बंधु। जमात-ए-इस्लाम की सहायक संस्था ‘मानवाधिकार एवं धार्मिक स्वतंत्रता पत्रकारिता पुरस्कार’ पत्रकारों को नगद पुरस्कार दे रहे हैं, वो भी 50000 से लेकर 1 लाख तक के। मजे की बात, मनफ की बहन को भी पुरस्कार मिला है” –
Its a payout day🥳. Jamat-e-Islam arm, fake news propaganda wing IAMC’s project “HRRF Journo Award” is distributing cash award 50K to 1L.
Guess what! IQ no bar. Manaf’s sister also got one😇.
— The Hawk Eye (@thehawkeyex) June 20, 2022
मनफ की बहन? ये नाम कुछ सुना सुना सा नहीं लग रहा है? होगा क्यों नहीं, असल में यह वहीं इस्मत आरा हैं, जिसके ‘जस्ट मोहब्बत’ सिंड्रोम को लेकर हमने अपने एक पूर्व लेख में प्रकाश डाला था।
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‘जस्ट मोहब्बत सिंड्रोम’ से ग्रसित हैं इस्मत आरा
TFIPost के उस लेख के अनुसार, “वामपंथी और जस्ट मोहब्बत सिंड्रोम? कन्फ्यूज हो गए? ठहरिए, आपकी हर शंका का समाधान है हमारे पास। यदि आप मेरी तरह 90s के किड हैं, तो आप भलि-भांति जानते होंगे कि सोनी टीवी पर 1990 के दशक के अंत में जस्ट मोहब्बत नामक एक शो आता था, जो काफी चर्चित था, और काफी समय तक चला। इस धारावाहिक में दिखाया जाता है कि कैसे हॉस्टल में रहने वाला जय नाम का लड़का एक काल्पनिक पात्र गौतम को अपना मित्र बना लेता है। जबकि गौतम वास्तविक दुनिया में कहीं था ही नहीं। इसके बाद भी जय प्रत्येक स्थिति में अपने उस काल्पनिक मित्र के साथ ही रहता और उससे बातचीत करता। उससे अपनी समस्याओं का हल पूछता। यानी की वास्तव में कोई है नहीं लेकिन जय को यह लगता है कि गौतम उसके साथ है। इस स्थिति को ही कहते हैं ‘जस्ट मोहब्बत सिंड्रोम’।
इसी जस्ट मोहब्बत सिंड्रोम को हाल ही में एक स्वयंभू पत्रकार इस्मत आरा ने सत्य साबित किया है। एजेंडाधारी वामपंथी मीडिया के लिए लिखने वाली इस्मत आरा ने हाल ही में एक ट्वीट किया, जिसमें उन्होंने लिखा, “मैं एक चाय के दुकान पर रुकी और उसी समय मुझे स्मरण हुआ कि मेरे मासिक धर्म (पीरियड) की प्रक्रिया प्रारंभ होने वाली है। मैंने दुकानदार से पूछा कि क्या उसके पास सैनिटरी पैड है। वह अपने बाइक पर बैठा, मुझे बैठने को कहा और निकट की दुकान से पैड ले आया। उसने कहा कि आप मेरी बहन जैसी हैं। मैं मनफ जैसे पुरुषों की आभारी रहूँगी। बहुत बहुत धन्यवाद!” –
Stopped at a tea stall and realised I had got my period. I asked the shopkeeper if he had any sanitary pads. So he sat on his bike, told me to sit down, and brought me pads from a nearby shop. You're like my sister, he said. I feel so grateful for men like Manaf. Thank you.
— Ismat Ara (@IsmatAraa) June 19, 2022
परंतु ये तो कुछ भी नहीं है। द हॉक आई ने इन अवार्ड्स की आगे पोल खोलते हुए बताया, “ये सभी पत्रकार, द वायर, न्यूजलॉन्ड्री, स्क्रॉल, मूकनायक इत्यादि जैसे विशुद्ध वामपंथी पोर्टल्स से जुड़े हैं। इन्हें विशेष तौर पर भारत की छवि वैश्विक स्तर पर बदनाम करने के लिए और हिन्दू विरोधी लेख छापने के लिए ही इंडियन अमेरिकन मुस्लिम काउंसिल द्वारा सम्मानित किया गया है। ध्यान रहे कि IAMC वही संस्था है जिसने त्रिपुरा में 2021 में हिंसा भड़काने का असफल प्रयास किया था” –
HRRF is IAMC project. And IAMC is Jamat’s project.
Check latest thread by @OSINTWa_com .
Check IAMC exposed by @DisinfoLab here. https://t.co/Q4MOylDmTi
— The Hawk Eye (@thehawkeyex) June 20, 2022
ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि IAMC द्वारा आयोजित प्रथम ‘एंटी हिन्दू अवार्ड्स’ अपने उद्देश्य में पूर्णतया सफल रहे हैं। जिस प्रकार से वे सार्वजनिक तौर पर भारत विरोधियों को सम्मानित कर रहे हैं, उससे अब वे भारत की अखंडता को सार्वजनिक तौर पर चुनौती दे रहे हैं और ये शुभ संकेत नहीं हैं।
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