दक्षिण अफ्रीका में भ्रष्टाचार का पर्यायवाची बन चुके गुप्ता बंधु अंत तक संयुक्त अरब अमीरात में गिरफ्तार कर लिए गए। दक्षिण अफ्रीका से फरार होने के बाद दोनों भाइयों को सोमवार को संयुक्त अरब अमीरात में गिरफ्तार किया गया है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार राजेश गुप्ता और अतुल गुप्ता पर अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति के शासन काल में करोड़ों रुपये हड़पने का आरोप है। अब उनको इंटरपोल की मदद से पकड़ा गया है। साउथ अफ्रीका ने खुद इसकी जानकारी दी है।
गुप्ता बंधुओं पर आरोप है कि साउथ अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति जैकब जुमा (Jacob Zuma) से उनके अच्छे संबंध थे। इसका उन्होंने आर्थिक फायदा उठाया और सीनियर लेवल पर जो अपाइंटमेंट होती थीं, उनमें भी रोल निभाया। अथॉरिटीज का कहना है कि साल 2018 में गुप्ता बंधु अपनी मर्जी से साउथ अफ्रीका छोड़कर (self-exile) दुबई चला गया था क्योंकि उन्होंने अरबों रैंड (अफ्रीकी करेंसी) सरकारी अथॉरिटीज के जरिये लूटे थे। उनपर 15 बिलियन रैंड के गमन का आरोप है।
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उत्तर प्रदेश से दक्षिण अफ्रीका तक का सफर तय
यह परिवार 1993 में उत्तर प्रदेश के सहारनपुर से दक्षिण अफ्रीका चला गया था जहां पर इन लोगों ने सहारा कंप्यूटर नामक कंपनी की शुरुआत की थी। दक्षिण अफ्रीका के एक समाचार पत्र टाइम्स लाइव के अनुसार, परिवार के संरक्षक शिव कुमार गुप्ता ने अतुल को यह विश्वास करते हुए दक्षिण अफ्रीका भेजा था कि “अफ्रीका दुनिया का अमेरिका बन जाएगा”। इस समय रंगभेद वाली सरकार के शासन का अंतिम दौर था और जल्द ही मंडेला के नेतृत्व में सरकार बनने वाली थी। टाइम्स लाइव की रिपोर्ट के अनुसार एक साल बाद, अतुल ने कंप्यूटर और घटकों की बिक्री करने वाला एक आयात और वितरण व्यवसाय, करेक्ट मार्केटिंग खोला।
2003 में अजय गुप्ता भी दक्षिण अफ्रीका आ गया। इस समय दक्षिण अफ्रीका में विदेशी निवेश के लिए बाजार खोल दिया। गुप्ता परिवार के व्यापार में भी निवेश हुआ और उसका लाभ मिला। अब गुप्ता के व्यापारिक साम्राज्य का विस्तार कंप्यूटर, खनन, इंजीनियरिंग, मीडिया और यात्री एयरलाइन जेट एयरवेज तक हो गया। 2003 में गुप्ता बंधुओ की जैकब जुमा से पहली मुलाकात हुई। तब जुमा उपराष्ट्रपति थे। जुमा के अध्यक्ष बनते ही, जुमा के पुत्रों में से एक, दुदुज़ाने जुमा, कई गुप्ता-स्वामित्व वाली फर्मों में निदेशक बन गया, जबकि जुमा की एक बेटी, दुदुज़ाइल जुमा, को गुप्ता-स्वामित्व वाले सहारा कंप्यूटरों का निदेशक बना दिया गया।
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विवादों से पुराना नाता रहा है गुप्ता ब्रदर्स का
हालांकि जुमा परिवार से नजदीकी ने मीडिया का ध्यान आकर्षित किया। इससे दक्षिण अफ्रीकी संसद और आम लोगों में नाराजगी बढ़ने लगी। इसी बीच एक बड़ा विवाद हुआ। सनसिटी में गुप्ता परिवार के एक शादी समारोह के लिए मेहमानों को ले जाने वाला एक विमान, वाटरक्लोफ एयर बेस पर उतरा। यह एक सैन्य हवाई अड्डा था, जिसका उपयोग सेना के अतिरिक्त सरकार के प्रमुखों के लिए ही होना चाहिए था। इस विवाद ने तूल पकड़ लिया।
इस विवाद के बाद गुप्ता परिवार सभी के निशाने पर आ गया। 3 वर्षों की अवधि में ही कई सरकारी एजेंसियों द्वारा गुप्ता परिवार के विरुद्ध अलग-अलग मामले दर्ज करवाए गए। आरोप लगे कि सरकारी टेंडर लेने के लिए गुप्ता बंधु ने अपने प्रभाव का प्रयोग किया है। दक्षिण अफ्रीका की एन्टी करप्शन ब्यूरो, द पब्लिक प्रोटेक्टर ने गुप्ता परिवार पर अपनी रिपोर्ट में यह भी आरोप लगाया कि उन्होंने मंत्रियों की नियुक्ति में अपने प्रभाव का प्रयोग किया है। इसके अगले वर्ष Vytjie Mentor नाम की एक महिला सांसद ने आरोप लगाया कि अपने व्यापारिक समझौतों के लिए गुप्ता परिवार ने उन्हें मंत्री बनाने का प्रस्ताव दिया है। 2017 में गुप्ता परिवार के कुछ मेल लीक हो गए जिसके बाद उनके राष्ट्रपति जैकब जुमा से नजदीकी संबंध और दक्षिण अफ्रीका की सत्ता और राजनीतिमें गुप्ता परिवार की पकड़ और प्रभाव, सबके सामने आ गया। इस मेल लीक ने पूर्व के सभी आरोपों को मजबूत आधार दे दिया। 2018 में जैकब की पराजय सुनिश्चित हो गई और उसके हारते ही गुप्ता बंधु देश छोड़कर भाग निकले।
गुप्ता बन्धुओं की कहानी एक शानदार क्राइम सीरीज की पटकथा बन सकती है। एक परिवार भारत के एक छोटे से शहर से निकलकर दक्षिण अफ्रीका के सबसे धनी परिवार में एक बन जाता है। 10 वर्षों में यह परिवार दक्षिण अफ्रीका की राजनीति में अपनी जगह बनाने लगता है। अगले 10 वर्षों में यह परिवार दक्षिण अफ्रीका की राजनीति सबसे प्रभावी शक्ति बन जाता है। और उसके अगले 10 वर्ष एक ऐसे पतन की कहानी है जहां पछतावे के अतिरिक्त अब कुछ शेष नहीं है।