जैसे जैसे महाराष्ट्र के राजनीतिक संकट से लोग परिचित हो रहे हैं, वैसे वैसे लोग ठाकरे परिवार के खोखले दावों और उनके घमंडी स्वभाव से भी परिचित हो रहे हैं। इस लेख में हम जानेंगे कि कैसे एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में बागी शिवसेना विधायकों ने उद्धव ठाकरे और उसके परिवार की पोल खोलने में कोई प्रयास बाकी नहीं छोड़ा है।
आपत्तियों से परिपूर्ण पत्र किया गया सार्वजनिक
हाल ही में गुवाहाटी से बागी विधायकों ने ठाकरे परिवार और उनके घमंड को लेकर अपनी आपत्तियों से परिपूर्ण पत्र सार्वजनिक किया है। उसमें उन्होंने स्पष्ट किया कि जो चीज कभी कांग्रेस में व्याप्त थी वो आज उद्धव के राज में शिवसेना में दिखने लगी थी। उदाहरण के लिए शिवसेना विधायकों को सीएम के आवास ‘वर्षा’ में घुसने नहीं दिया जाता था। शिवसेना के विधायकों के ऊपर एनसीपी और कांग्रेस के विधायकों को प्राथमिकता दी जाती थी जबकि शिवसेना के कार्यकर्ताओं तक को मुख्यमंत्री से मिलने का सौभाग्य नहीं होता था।
MLAs' letter to Uddhav:
1. MLAs weren't allowed entry in Varsha Bungalow.
2. MLAs were stopped from going to Ayodhya so that Aditya could hog all limelight.
3. Works of only NCP & Congress were happening while Shivsena Karyakarta didn't have access to CM. https://t.co/9uJ1FwfH3J
— Rahul Kaushik (Modi Ka Parivar) (@kaushkrahul) June 23, 2022
परंतु ये तो कुछ भी नहीं है, जब आदित्य ठाकरे अयोध्या यात्रा पर निकले तो बाकी सारे विधायकों को अंतिम समय पर जाने से रोक दिया गया ताकि केवल आदित्य को ही सारी लाइमलाइट मिल सके। ये शिवसेना के कर्तव्यनिष्ठ कार्यकर्ताओं, विशेषकर एकनाथ शिंदे जैसे नेताओं के लिए असहनीय था। इतना ही नहीं राज्यसभा एवं विधान परिषद चुनाव के परिणामों ने तो आग में घी नहीं बल्कि पेट्रोल का काम किया।
इसी बीच अभी सूचना आयी कि 37 शिवसेना विधायकों के हस्ताक्षर वाला पत्र महाराष्ट्र विधानसभा के उपाध्यक्ष नरहरि झिरवाल को भेजा जा चुका है। इसमें बताया गया है कि इन विधायकों ने आम सहमति से एकनाथ शिंदे को अपना नेता और भारत गोगावले को व्हिप चुना है।
Rebel Shiv Sena leader Eknath Shinde wrote to the Deputy Speaker of Maharashtra Assembly regarding the reaffirmation of his appointment as the leader of the Shiv Sena Legislature Party & further appointment of Bharatshet Gogawale as the Chief Whip of the party. pic.twitter.com/M0yIYI7sia
— ANI (@ANI) June 23, 2022
बागी विधायकों के निष्कासन की धमकी
ऐसे में ठाकरे के चाटुकार चुप कैसे रहते? जब मान मनौती से बात नहीं बनी तो संजय राऊत के नेतृत्व वाले गुट ने बागी विधायकों के निष्कासन की धमकी दे डाली। परंतु वे भूल गए कि वे किससे भिड़ रहे थे।
जैसे ही शिवसेना सांसद अरविंद सावंत ने एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) समेत 12 बागी विधायकों को अयोग्य ठहराने की अर्जी दी, याचिका पर एकनाथ शिंदे ने पलटवार करते हुए एकनाथ मराठी में ट्वीट करते हुए कहा, “कोणाला घाबरवण्याचा प्रयत्न करताय? तुमची बनवाबनवी आणि कायदा आम्हालाही कळतो! घटनेच्या 10 व्या परिशिष्टाप्रमाणे (शेड्युल) व्हीप हा विधानसभा कामकाजासाठी लागतो, बैठकीसाठी नाही. यासंदर्भात सुप्रीम कोर्टाचे असंख्य निकाल आहेत”
आप धमकी देकर किसे डराने की कोशिश कर रहे हैं? हम आपकी चाल के साथ-साथ कानून भी जानते हैं। संविधान की दसवीं अनुसूची के अनुसार विधायी कार्यों के लिए व्हिप की आवश्यकता होती है न कि विधायक दल की बैठकों के लिए। इस पर सुप्रीम कोर्ट के कई फैसले हैं।”
कोणाला घाबरवण्याचा प्रयत्न करताय?
तुमची बनवाबनवी आणि कायदा आम्हालाही कळतो!
घटनेच्या 10 व्या परिशिष्टाप्रमाणे (शेड्युल) व्हीप हा विधानसभा कामकाजासाठी लागतो, बैठकीसाठी नाही.
यासंदर्भात सुप्रीम कोर्टाचे असंख्य निकाल आहेत.#RealShivsainik— Eknath Shinde – एकनाथ शिंदे (@mieknathshinde) June 23, 2022
वैसे भी, जब एकनाथ शिंदे ने विद्रोह किया था उन्होंने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि वे अब केवल अपने दिवंगत आराध्य बालासाहेब ठाकरे और आनंद दीघे की ही सुनेंगे। ऐसे में जिस प्रकार से उद्धव ठाकरे द्वारा शिवसेना का कांग्रेसीकरण सामने आ रहा है उससे इस परिवार का राजनीतिक विनाश न केवल निश्चित है अपितु ये भी देखना होगा कि आने वाले समय में उद्धव ठाकरे का हाल अखिलेश यादव जैसा होता है या फिर उससे भी बुरा।
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