पीएम नरेंद्र मोदी पर कटाक्ष और व्यंग्य कसने वालों को उनके अप्रत्याशित कदम ही जवाब दे देते हैं। अपनी माता हीरा बा के 100वें जन्मदिन पर पुराने दिनों को उल्लेखित करते हुए पीएम मोदी ने ब्लॉग में अपने बचपन के मित्र अब्बास के बारे में बताया। इसके बाद हमेशा की तरह एजेंडाधारी इस बात को तूल देते हुए कि यह “अब्बास” नाम का दोस्त अचानक कहां से आ गया, इस पर सबका ध्यान आकर्षित करने में लग गए और वास्तविक बात से ध्यान भटका दिया।
ये अब्बास-अब्बास क्या है?
दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात दौरे के दौरान वडोदरा में विभिन्न विकास परियोजनाओं का उद्घाटन किया और उसमें भी सबसे बड़ा संदेश पावागढ़ में पुनर्विकास कालिका माता मंदिर का उद्घाटन था जिसे मीडिया ने अब्बास-अब्बास करके दबा दिया।
दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को उस पावागढ़ में पुनर्विकास कालिका माता मंदिर का उद्घाटन किया जिस पर दरगाह का निर्माण कर दिया गया था। उसे स्थानांतरित कर सांस्कृतिक धरोहर के पुनर्विकास के लिए पावागढ़ में पुनर्विकास कालिका माता मंदिर के उद्घाटन ने बड़ा संदेश दिया। साथ ही पंचमहल जिले में स्थित इस प्रसिद्ध महाकाली मंदिर के ऊपर बनी दरगाह को उसकी देखरेख करने वालों की सहमति से स्थानांतरित किए जाने के बाद शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करीब 500 साल बाद मंदिर के शिखर पर पताका फहराया गया। दौरे के दौरान ऐसे मंदिरों पर ध्यान केंद्रीत करते हुए पंचमहल जिले के पावागढ़ में एक पहाड़ी की चोटी पर स्थित मंदिर तक पहुंचते हुए पीएम मोदी ने आसपास के क्षेत्र में जैन मंदिरों की मौजूदगी के कारण पुनर्निर्मित मंदिर को “धार्मिक एकता का प्रतीक” बताते हुए कहा कि गुजरात ने इसके लिए “भारत के आध्यात्मिक इतिहास का संरक्षण” के मार्ग का नेतृत्व किया है।
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ऐसे में यह तो तय है कि इतने बड़े मुद्दे को कमतर करने का एजेंडा लिए मीडिया संस्थानों ने पीएम मोदी के अपने मित्र अब्बास की कहानी का ज़िक्र करने पर उसे राजनीति से प्रेरित करार करना शुरू कर दिया और पूरा वर्ग एकमुश्त होकर कौन है अब्बास, यह खंगालने में जुट गया। 100 वर्षीय माता के जन्मदिन के उपलक्ष्य में पीएम मोदी के उनके पास होने के बाद कालिका माता मंदिर के पुनर्विकास की खबर सबसे बड़ी थी पर नहीं, मूल उद्देश्य से ध्यान भटकाने के लिए मीडिया ने पूरा मामला ही पलट दिया और खबर के नाम पर “पीएम मोदी का यह कहां से कौन सा नया मित्र आया” जैसे प्रश्न को अस्तित्व में ले आया।
“देश के मंदिरों का जीर्णोद्धार किया जा रहा है”
पीएम मोदी ने पुनर्विकास के उद्घाटन पर कहा कि देश के मंदिरों का जीर्णोद्धार किया जा रहा है क्योंकि “नया भारत अपने खोए हुए सांस्कृतिक इतिहास को फिर से स्थापित कर रहा है।” ज्ञात हो कि, पावागढ़ गुजरात का एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है। पावागढ़ पर्वत पर स्थित शक्तिपीठ 52 शक्तिपीठों में से एक है। मां काली का प्राचीन मंदिर पावागढ़ की पहाड़ी पर स्थित है। यहां ऋषि विश्वामित्र ने मां काली की घोर तपस्या की थी। पावागढ़ की समुद्र तल से ऊंचाई करीब 762 मीटर है। इस शक्तिपीठ तक पहुंचने के लिए रोपवे और सीढ़ी दोनों की सुविधा उपलब्ध है। पावागढ़ जैन संप्रदाय के लिए भी बहुत महत्व रखता है। इस साइट को विश्व संगठन यूनेस्को द्वारा 2004 में विश्व धरोहर की सूची में शामिल किया गया था। मंदिर का जीर्णोद्धार पावागढ़ को तीर्थ और पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करने की एक बड़ी परियोजना का एक हिस्सा है।
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मंदिर का शिखर टूट जाने के कारण वर्षों से ‘ध्वज’ नहीं फहराया गया है। अब, इसे पूरी तरह से पुनर्निर्मित किया गया है। इस भव्य महाकाली मंदिर का गर्भगृह सोने का बना है। मंदिर के गर्भगृह के ठीक ऊपर एक दरगाह बनाई गई थी और इसे लेकर कई सालों तक विवाद होता रहा। मामला गुजरात हाई कोर्ट तक भी गया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। लंबी बातचीत के बाद करीब 4 साल पहले एक समझौते के तहत दरगाह को गर्भगृह से हटाकर मंदिर के प्रांगण में एक कोने में बना दिया गया और मंदिर का पुनर्निर्माण शुरू हो गया।
इतने बड़े ऐतिहासिक महत्व और मान्यता से जुड़े मंदिर को मात्र इसलिए मीडिया में अटेंशन नहीं मिली क्योंकि पीएम मोदी ने अपने ब्लॉग में अब्बास का ज़िक्र कर दिया था। ऐसे में एक ओर जब विरोधियों को पीएम मोदी के दोस्त अब्बास की तलाश थी, तब दूसरी ओर पीएम मोदी ने पावागढ़ शक्तिपीठ का जीर्णोद्धार कर दिया।
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