आप तो जानते ही होंगे की जब कोई इंसान किसी भी मामलों में फ़सता है तो अपने अपको बचाने के लिए फड़फड़ाता है और कुछ न मिले तो अब्बा-डब्बा-जब्बा कर लेते है, चाहे याददाश्त ही खो जाने का दावा क्यों न करना पड़े। जब धरती लगे फटने तब खैरात लगी बंटने कुछ यही हाल अभी दिल्ली सरकार के मंत्री विदाउट पोर्टफोलियो सत्येंद्र जैन का हुआ पड़ा है जो इन दिनों ईडी की हिरासत में हैं। 30 मई को हुई गिरफ़्तारी के बाद से ही सत्येंद्र जैन की हालत खस्ता होने लगी थी पर इस बार कोर्ट में पेशी के दौरान बच्चों वाले कारण देने से भी नहीं चूके ताकि कैसे भी करकर बेल तो मिल सके। अब दिल्ली की एक अदालत ने मंगलवार (14 जून, 2022) को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा गिरफ्तार आम आदमी पार्टी (आप) नेता सत्येंद्र जैन की जमानत याचिका के खिलाफ अपना आदेश सुरक्षित रख लिया। ज्ञान बाहदुर बनने के चक्कर में बचने के भरसक प्रयासों में पहले सत्येंद्र जैन की गिरफ्तारी को उनके समाज से जोड़कर दिखा दिया तो इस बार याददाश्त ही पलटा दी।
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कार्रवाई से बचने के लिए नया बहाना
दरअसल, राउस एवेन्यू कोर्ट में सुनवाई के दौरान ईडी ने हैरान कर देने वाली जानकारी दी है। सुनवाई के दौरान ईडी ने बताया कि एक सवाल पूछे जाने के दौरान सत्येन्द्र जैन ने कहा कि उन्हें कोरोना हुआ था और इसके कारण सत्येंद्र जैन की याददाश्त चली गई। हवाला से जुड़े कुछ कागजातों के सम्बन्ध में सत्येन्द्र जैन से ईडी सवाल कर रही थी। एजेंसी ने धन शोधन निवारण अधिनियम की आपराधिक धाराओं के तहत सत्येंद्र जैन को हिरासत में लिया था जिसके बाद उन्हीं के पार्टी के नेता यह कहते दिखे थे कि चूंकि सत्येंद्र जैन ‘जैन’ समाज से एक ‘अल्पसंख्यक’ समाज से आते हैं इसलिए उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है। पहले ये अनर्गल ढकोसले काम नहीं आए, बात नहीं बनी तो अबकी बार तो सत्येंद्र जैन को ही अपनी याददाश्त खो देने का नया नाटक करना पड़ा।
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कोर्ट ने अपना निर्णय रखा सुरक्षित
विशेष न्यायाधीश गीतांजलि गोयल ने जैन की दलीलें सुनने के बाद आदेश सुरक्षित रख लिया, जो वर्तमान में न्यायिक हिरासत में हैं। अदालत अब 18 जून को फैसला सुना सकती है। ईडी ने जैन को 30 मई को गिरफ्तार किया था और उन्हें सोमवार को 27 जून तक के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था। इस बीच, अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) एसवी राजू ने जमानत का विरोध करते हुए कहा कि एक लोक सेवक के रूप में सत्येंद्र जैन का आचरण, जो मनी लॉन्ड्रिंग हवाला मामले में संलिप्त है, ने उन्हें जमानत देने का मामला नहीं बनता है। “वह प्रभावशाली है, वह गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं क्योंकि जांच अभी भी चल रही है।”
यह निस्संदेह बहुत आवश्यक बिंदु है क्योंकि एक मंत्री के रूप में किसी को भी जमानत पर बाहर आकर प्रभावित करना कोई बड़ा मुश्किल खेल नहीं है। यही कारण है कि जब तक जाँच एक निष्कर्ष तक नहीं पहुँच जाती, तब तक सत्येंद्र जैन को हिरासत में रखा जाए ऐसी मांग न्यायलय के समक्ष रखी गई। वहीं जैन की ओर से अपने बहाने जो छोटा बच्चा भी न देता हो, वो वास्तव में अपेक्षित था क्योंकि जब गलत काम बाहर आने लगते हैं तो भागना सबसे सुलभ निर्णय लगता है पर कोर्ट की कार्रवाई से कैसे ही बच पाते, कोर्ट ने तथाकथित याददाश्त जाने वाले बहाने को संज्ञान में न लेते हुए अपने निर्णय को सुरक्षित रखा और आगे की सुनवाई के लिए 18 जून तारीख तय कर दी। इससे पता चलता है कि, कभी जांच से बचने के लिए जैन समुदाय और अल्संख्यक कार्ड खेलने वाले सत्येंद्र जैन की हालत ऐसी हो गई है कि उन्हें अपनी याददाश्त को बीच में लाना पड़ा वो भी कोरोना की वजह से गई याददाश्त का बहाना देकर।
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