इन 5 साम्राज्यों की शौर्य गाथा सिल्वर स्क्रीन पर लाना आवश्यक है और बॉलीवुड के हाथों तो बिल्कुल नहीं

अगर इसे भव्यता के साथ प्रदर्शित किया गया तो इसके सामने कुछ नहीं टिकेगा!

Indian Empire

Source- TFI

अगर हमारे भी भव्य इतिहास और संस्कृति को भव्यता से और पूरी वास्तविकता के साथ चित्रित किया गया होता तो हमारे पास भी ‘वाइकिंग्स’, ‘लॉर्ड ऑफ द रिंग्स’ जैसे भव्य हॉलीवुड कलाकृतियों का उत्तर होता। परंतु निराश मत होइए- उत्तर है और इसके लिए बॉलीवुड के बैसाखियों की आवश्यकता भी नहीं है। इस आर्टिकल में हम भारत के उन गौरवशाली साम्राज्यों के बारे में विस्तार से जानेंगे जिनकी गौरवगाथाओं को हम भव्यता से सिल्वर स्क्रीन पर चित्रित कर सकते हैं और उसके लिए हमें बॉलीवुड की ओर ताकने की भी आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

अभी हाल ही में मणि रत्नम ने अपनी बहुप्रतीक्षित फिल्म ‘पोन्नियन सेल्वन’ की घोषणा की है। कार्ति सिवाकुमार, जयाम रवि, चियान विक्रम, तृषा कृष्णन, ऐश्वर्या राय बच्चन जैसे सितारों से सुसज्जित इस फिल्म में भारत के गौरवशाली चोल साम्राज्य को चित्रित किया जाएगा एवं शीघ्र ही अनेक भाषाओं में देश के समक्ष 30 सितंबर को यह फिल्म सिनेमाघरों में होगी।

परंतु ये तो मात्र प्रारंभ है। भारत में ऐसे अनेक कथाओं और साम्राज्यों का भंडार है जिनको अगर हम ध्यान से ढूंढें, समझें और देखें तो हमें किसी भी ‘Marvel’ या ‘DCVerse’ जैसे काल्पनिक लोक की आवश्यकता नहीं है क्योंकि हमारे वास्तविक नायक अपने आप में ही इतने वीर, शक्तिशाली और पराक्रमी हैं कि इनके समक्ष ये काल्पनिक हीरो नगण्य हैं। ये सूची यूं तो नगण्य है परंतु अगर इन 5 साम्राज्यों और इनके गौरवशाली योद्धाओं का चित्रण करने निकले तो भारत का गौरव भी बढ़ेगा और धनलक्ष्मी मिलेगी वो अलग।

और पढ़ें: गोंडया आला रे! चापेकर बंधु के शौर्य का कोई जवाब नहीं

मगध

सर्वप्रथम इस सूची में आता है हमारा विश्वप्रसिद्ध मगध। आज बिहार की अवस्था चाहे जो हो पर एक दिन वो भी था जब मगध के नाम से अलकशेन्द्र यानी सिकंदर जिन्हें हम अलेक्जेंडर दी ग्रेट भी कहते हैं, उसकी सेना थर्रा उठती थी। गंगा के तटों के निकट बसे महाजनपदों में इस महाजनपद का अपना प्रभुत्व था और यह  इतना था कि इस पर आक्रमण करने से पूर्व कोई भी शासक कई बार सोचता था। यहीं पर धनानंद ने सत्ता के नशे में चूर होकर एक आचार्य का अपमान किया जिसने प्रण किया कि वह उसका और उसके शासन का विनाश करके दम लेगा और यही से प्रादुर्भाव हुआ आचार्य चाणक्य और उनके अखंड भारत के स्वप्न का। क्या यह एक भव्य महाकाव्य एक भव्य फिल्म सीरीज़ के लिए आवश्यक स्त्रोत नहीं है?

अवन्ति

कहते हैं कि हमारा देश न कभी किसी विषय पर एक था न कभी एक हुआ है और न कभी एक होगा। यदि ऐसा है तो उन्होंने अवन्ति का भ्रमण नहीं किया है और न ही इसका इतिहास पढ़ा है। मगध के समय महत्वपूर्ण यह महाजनपद अवन्ति 8वीं शताब्दी आते आते उसकी छायामात्र बन चुका था। परंतु विपत्ति में ही असली नायक की पहचान होती है और जब अरबी आक्रान्ताओं का आक्रमण हुआ तो इसी अवन्ति से उत्पन्न हुए एक महावीर- सम्राट नागभट्ट। वो सिंध पर आक्रमण और तत्पश्चात हिंदुओं पर हुए अत्याचारों से अनभिज्ञ नहीं थे और उन्होंने तय कर लिया था कि कुछ भी हो जाए परंतु इन अरब आक्रान्ताओं को विजयी नहीं होने देंगे।

सिंध और पंजाब की विजय के पश्चात अरब आक्रान्ताओं ने सेनापति अल जुनैद के नेतृत्व में अब सम्पूर्ण भारत पर विजय के दृष्टिकोण से विजय प्राप्ति हेतु आक्रमण की नीति बनाई। परंतु जब उन्होंने अवन्ति से युद्ध किया तो जितनी भयानक पराजय उन्होंने प्राप्त की उसके बारे में आज भी लिखने से वामपंथी कतराते हैं। यहां से उदय हुआ भारत के चार महावीर योद्धाओं का जिन्हें आप एवेंजर्स भी कह सकते हैं और उनका पराक्रम ऐसा था कि अगले तीन शताब्दी तक एक भी विदेशी आक्रांता भारत में पैर जमाने का साहस नहीं जुटा पाया।

मेवाड़

भारत में विधवा पुनर्विवाह किसने पुनः प्रारंभ कराई? अरब आक्रान्ताओं पर सबसे भीषण प्रहार किसने किया? इसका उत्तर है- मेवाड़। जी हां, मेवाड़ भारत के शौर्य और संस्कृति का जीता जागता प्रमाण है। मेवाड़ की कथाएं अपने आप में इतनी रोचक हैं कि इसके समक्ष विदेश की GOT, लॉर्ड ऑफ द रिंग्स सब नगण्य पड़ जाएंगे। चाहे सम्राट कालभोज यानी बप्पा रावल द्वारा सम्राट नागभट्ट एवं सम्राट ललितादित्य के साथ मिलकर अरबों को मार भगाना हो, महाराणा हम्मीर द्वारा बालपन में विधवा हुई जालौर कुमारी सोनगिरी को सहृदय अपनी पत्नी के रूप में स्वीकारना हो, महाराणा प्रताप का अद्भुत पराक्रम हो या फिर महाराणा राज सिंह का एक राजकुमारी के सतीत्व की रक्षा के लिए औरंगज़ेब से दो दो हाथ करना हो, मेवाड़ ने इनकी छठी की दूध याद दिला दी थी और यही से मुगल साम्राज्य से विद्रोह राष्ट्रीय स्तर पर भी प्रारंभ हुआ था। कुछ भी कहिए परंतु मेवाड़ को अनदेखा करना अपने आप में पाप समान है। इसके कण-कण में अद्भुत कथाएं समाई हुई हैं।

विजयनगर

अब एक कथाओं की नगरी से आते हैं दूजे कथाओं की नगरी विजयनगर की ओर। मेवाड़ का कुछ तो प्रभाव इस पावन नगरी पर भी पड़ा ही था। माटी को स्वतंत्र कराने निकल पड़े दो भ्राता हरिहर एवं बुक्का राय अपनी मंशा में न केवल सफल रहें अपितु उन्होंने विजयनगर को एक ऐसा राज्य बनाया जिसकी कीर्ति और यश एक समय पर चोल साम्राज्य के समान पहुंच गई। इसी साम्राज्य के सबसे गौरवशाली राजा थे सम्राट कृष्णदेव राय और उन्हीं के सबसे प्रिय कवि थे तेनाली रामकृष्ण, जिनके चर्चे आज भी किस्से कहानियों में खूब होते हैं।

मराठा

अब बात गौरवशाली साम्राज्यों की हो रही हो तब हम अपने वीर मराठा मावलों को कैसे पीछे छोड़ सकते हैं? यूं तो ये शृंखला मराठी उद्योग में बहुत पूर्व ही प्रारंभ हो चुकी है परंतु अब समय आ चुका है कि मराठा साम्राज्य के भव्य युगों को भव्यता से चित्रित किया जाए और इनके वीर नायकों को श्रद्धापूर्वक नमन किया जाए जैसे ‘पावनखिंड’ में बाजीप्रभु देशपांडे जी के साथ किया गया था।

बाजीप्रभु देशपांडे तो मात्र प्रारंभ है फिर चाहे बहिर्जी नायक हो, नेताजी पालकर हो, पेशवा माधवराव हो, सारखेल कानहोजी आंग्रे, चिमाजी राओ अप्पा हो, महादजी शिंदे हो, अहिल्याबाई होल्कर हो, ऐसे कई उदाहरण हैं और कथाओं का ऐसा भंडार है कि आप बस बोलते जाइए और आपको डिमांड के अनुसार स्क्रिप्ट तैयार मिलेगी। समय बदल रहा है और हमारा सिनेमा भी बदल रहा है और जिस प्रकार से हमारा इतिहास चित्रित किया जा रहा है, हमें आशा है कि हमारा वास्तविक इतिहास भी भव्यता से चित्रित किया जाएगा जिसे देख न केवल लोग अपनी संस्कृति पर गौरवान्वित होंगे अपितु गर्व से कहेंगे, ‘हाँ, हम भारतीय हैं!”

और पढ़ें: आखिरकार अल्लूरी सीताराम राजू को अब वो सम्मान मिलेगा जिसके वे योग्य हैं

TFI का समर्थन करें:

सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की ‘राइट’ विचारधारा को मजबूती देने के लिए TFI-STORE.COM से बेहतरीन गुणवत्ता के वस्त्र क्रय कर हमारा समर्थन करें।

Exit mobile version