उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए NDA के संभावित उम्मीदवारों पर एक नजर

इन 5 में से कोई एक बन सकता है NDA का उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार

Vice President Election

Source- TFIPOST HINDI

भारत की लोकतांत्रिक शक्ति का कोई सानी नहीं है, भारत का लोकतंत्र स्वयं में ही अन्य देशों के लिए सबसे बड़ी प्रेरणा है. इसी क्रम में लोकतांत्रिक शक्तियों के सबसे बड़े पर्व के रूप में राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव का बिगुल बज चुका है. एक ओर जहां सबसे बड़े चुनाव के लिए नामांकन अर्थात् राष्ट्रपति चुनाव हेतु नामांकन से लेकर नाम वापस लेने तक की सारी प्रक्रियाएं पूर्ण हो गई हैं तो वही अब नज़र उपराष्ट्रपति चुनाव की ओर बढ़ चुकी है. ऐसे में सत्ताधारी गठबंधन एनडीए के संभावित उपराष्ट्रपति प्रत्याशियों की बात करें तो इस बार किसी अल्पसंख्यक समाज से आने वाले व्यक्ति को यह अवसर मिल सकता है और एनडीए यह करने  में कदाचित संकोच नहीं करेगी.

यूं तो वर्तमान उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू भी पुनः इस पद पर आ जाएं तो कोई अचंभा नहीं होगा लेकिन 2 वर्ष बाद वो 75 वर्ष के हो जाएंगे, इसलिए भाजपा की 75+ वाली नीति के अनुसार वो राजनीतिक रूप से रिटायर होने के पड़ाव पर आ जाएंगे. ऐसे में उनके उत्तराधिकारी और संभावित उपराष्ट्रपति का चयन होना आश्चर्य की बात नहीं है. ज्ञात हो कि उपराष्ट्रपति चुनाव 6 अगस्त को होंगे जिसके लिए नामांकन प्रक्रिया 5 जुलाई से शुरू हो गई है. उम्मीदवार 19 जुलाई तक नामांकन दाखिल कर सकेंगे जिसमें अब चंद दिन शेष है और संभावित प्रत्याशियों की झड़ी लगी हुई है पर वास्तव में जो नाम सबसे ज़्यादा संभावित हैं वो TFI आपको बताएगा.

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NDA के उपराष्ट्रपति प्रत्याशी के रूप में सबसे पहला नाम आरिफ मोहम्मद खान का है. वर्तमान में केरल के राज्यपाल और प्रभावी वक्ता आरिफ मोहम्मद खान मुस्लिम समुदाय के प्रबुद्ध वर्ग का प्रतिनिधित्व करते आए हैं चूंकि भाजपा और संघ को कट्टरपंथी, मुस्लिम विरोधी तमगे से नवाज़ते आए हैं. ऐसे में बुद्धिजीवी वर्ग का प्रतिनिधित्व करने वाले आरिफ मोहम्मद खान एक बड़ा मास्टरस्ट्रोक साबित हो सकते हैं जो उपराष्ट्रपति पद की दौड़ में एनडीए प्रत्याशी के तौर पर अपनी स्थिति भुना सकते हैं.

दूसरा नाम है भारतीय जनता पार्टी के मुस्लिम नेताओं में सबसे बड़ा कद रखने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी का. पार्टी के प्रवक्ता से लेकर अटल बिहार वाजपेयी की कैबिनेट में मंत्री तक और बाद में पीएम मोदी के दोनों कार्यकाल में केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्री का पदभार संभालने तक, मुख्तार अब्बास नकवी पार्टी के बड़े मुस्लिम चेहरे के रूप में उभरे. इसी क्रम में उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि यह रही कि अबतक उनके राजनीतिक करियर में उनपर कोई आरोप नहीं लगा. इसलिए एक साफ़ चरित्र का होने के साथ ही पार्टी का विश्वासपात्र रहे नकवी अब उपराष्ट्रपति की रेस में अग्रणी रूप से दिखाई पड़ रहे हैं.

तीसरा नाम है, हरदीप सिंह पुरी का. वर्तमान में पुरी पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री और आवास और शहरी मामलों के मंत्री के रूप में कार्यरत हैं. पूर्व भारतीय राजनयिक हरदीप पुरी पीएम मोदी के उन मंत्रालयों की बागडोर संभाल रहे हैं जिनका काम प्रत्येक दिन अखबारों में सुर्खियों में होता है. यही नहीं, पीएम मोदी का जितना विश्वास पुरी पर है वो सामान्यतः किसी अन्य राजनयिक से नेता बने व्यक्ति पर कभी ही देखने को नहीं मिल पाता है. इस एक कदम से भाजपा पंजाब को भी साधने का काम भी कर सकती है.

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चौथा नाम है कैप्टन अमरिंदर सिंह का, जो अपनी पार्टी पंजाब लोक कांग्रेस के भाजपा में विलय के बाद एनडीए के उपराष्ट्रपति पद के प्रत्याशी हो सकते हैं. पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह का कांग्रेस से टूटकर अलग पार्टी का निर्माण करना और विधानसभा चुनाव में भाजपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ना, भाजपा के लिए एक अहम योगदान के रूप में देखा गया क्योंकि एक क्षेत्रीय दल के रूप में अकाली दल भाजपा से पहले ही छिटक चुका था.

इसी बीच अमरिंदर सिंह द्वारा पार्टी का निर्माण कर भाजपा के साथ चुनाव लड़ना एक रणनीतिक साझेदारी थी जो उन्होंने अंत तक निभाई. चुनाव परिणाम भले ही उनके अनुकूल नहीं रहे पर अमरिंदर ने भाजपा को अपने रूप में एक नया मित्र दिया. किसान आंदोलन के समय से ही भाजपा खुद को सिख समुदाय का करीबी बताने की कोशिश करती रही है. इसके लिए कभी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुद्वारा जाते हुए देखे गए तो कभी पंजाब में पगडी पहने देखे गए. ऐसे में अब एक सिख समुदाय के व्यक्ति को उपराष्ट्रपति पद का प्रत्याशी बनाना निस्संदेह भाजपा की ओर से मास्टरस्ट्रोक ही होगा.

पांचवा नाम है आनंदीबेन पटेल का, जिन्हें पहले राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार देखा जा रहा था पर द्रौपदी मुर्मू के नाम के बाद संभावना अब उपराष्ट्रपति पद पर शिफ्ट हो गई है. ज्ञात हो कि यह वही आनंदीबेन पटेल हैं, जिन्हें नरेंद्र मोदी ने गुजरात के मुख्यमंत्री का पद छोड़ने के बाद उनका उत्तराधिकारी बनाया गया था. आनंदीबेन पटेल गुजरात कि पहली महिला मुख्यमंत्री थी. इसके बाद उन्हें छत्तीसगढ़ का राज्यपाल, फिर मध्यप्रदेश के राज्यपाल का अतिरिक्त प्रभार और फिर वर्तमान में उत्तर प्रदेश के राज्यापाल के रूप में कार्यभार सौंपा गया. ज्ञात हो कि पटेल पर पीएम मोदी का विश्वास गुजरात से ही रहा है. यह वो नाम हैं जो संभवतः एनडीए गठबंधन के संभावित उपराष्ट्रपति पद के प्रत्याशी हो सकते हैं और शेष 19 जुलाई तक पता चल ही जाएगा कि कौन नामांकन भरता है और कौन मात्र दावेदारी तक सिमट जाता है.

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