साधु के वेष में शैतान जैसे काम… ये रवैया हमने समाज के कई लोगों का देखा है। राजनेताओं से लेकर अधिकारियों तक, लोग समाज का भला करने का ढोंग तो करते हैं लेकिन उनकी मंशा निश्चित रूप से समाज में अस्थिरता पैदा करने की ही होती है। वहीं इस ढोंग में एक बिजनेस काफी तेजी से फलफूल रहा है जो एनजीओ की शक्ल में है और इससे जुड़े लोग समाजिक कार्यकर्ता होने का ढोंग कर समाज की आंखों में धूल झोंकने का काम करते हैं।
हाल में गुजरात दंगों को लेकर तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि खराब करने वाली तीस्ता सीतलवाड़ इस समय मुसीबत में हैं और कुछ ऐसा ही हाल एनजीओ की नौटंकी फैलाने वाली मेधा पाटकर का भी हो सकता है क्योंकि उनके बुरे दिन भी अब शुरू हो गये हैं।
दरअसल, नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता और कथित सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर के विरुद्ध बड़वानी थाने में धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया गया है। यह केस प्रीतम राज बड़ोले नाम के युवक ने दर्ज कराया है। संबंधित एफआईआर में मेधा पाटकर समेत 12 लोगों के नाम हैं। दर्ज प्राथमिकी के अनुसार आदिवासी बच्चों की शिक्षा के नाम पर कथित रूप से 13 करोड़ रुपये हड़प लेने का आरोप जड़ा गया है। शिकायतकर्ता के अनुसार आरोप है कि उनके पास आदिवासी गरीबों और उनकी शिक्षा को लेकर 2007 से 2022 तक इकट्ठा किए गए धन का लेखा-जोखा नहीं है।आरोप है कि मेधा पाटकर ने स्वयं को सामाजिक कार्यकर्ता बताकर अलग-अलग जगहों से दान लिया। उन्होंने दिखाया कि वो इस दान का उपयोग नर्मदा घाटी के लोगों के कल्याण के लिए, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के आदिवासी बच्चों को प्राथमिक स्तर की शिक्षा देने के लिए करेंगी लेकिन उन पर आरोप है कि यह दान की राशि मेधा पाटकर ने अन्य लोगों के साथ मिलकर राजनीतिक और राष्ट्र विरोधी एजेंडे के लिए इस्तेमाल की थी और यहां से मेधा की मुश्किलों की शुरुआत होती है।
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अप्रैल में पाटकर के एनजीओ में एक कंपनी से रहस्यमयी फंडिंग मिली थी। मेधा पाटकर के एनजीओ (एनबीए) को मझगांव डॉक शिपयार्ड से धन प्राप्त हुआ है, जो एक दिन में 1.2 करोड़ रुपये तक का है। ऐसे आरोप हैं। हालांकि ईडी, डीआरआई और आई-टी ने संदिग्ध प्रविष्टियों पर ध्यान दिया है, जिन्हें 17 साल तक अनदेखा किया गया था लेकिन मांग यह है कि मझगांव की भूमिका को स्कैन किया जाना चाहिए क्योंकि मेधा पाटकर की किसान आन्दोलन से लेकर सीएए के विरोध में अहम भूमिका रही है।
Medha Patkar & KHEJRIWAL are backed by "FRAUD FORD" GROUP along with other notorious elite. pic.twitter.com/xPd7JbzwZ4
— Paladugu Krishna Rao (@avakava) April 9, 2022
मेधा पाटकर लगातार ऐसी परियोजना या सुधार का जिक्र करती रही हैं जिसमें उन्होंने गरीब और विशेषकर आदिवासियों के “हित” की बात कही हैं लेकिन पैसा कहा से आया और कहा गया इसका कोई अता पता नहीं है। नर्मदा बचाओ आंदोलन (एनबीए) में उनकी भूमिका के चलते सुप्रीम कोर्ट ने उन पर गुमराह करने के आरोप लगाए थे और फिर परियोजना को खारिज कर दिया था। मेधा पाटकर उस गुजरात सरकार की योजनाओं का विरोध कर रहीं थीं जिस परियोजना का उद्देश्य गुज़रात के सूखे इलाकों तक पीने का पानी पहुंचाने का था। यह दिखाता है कि असल में मेधा पाटकर किस तरह से जनता और सरकारों को गुमराह करती रही हैं।
In April a mysterious fundings were found into Patkar’s NGO from a company which happens to be one of defence ministry partner.
Here are few details, and more of her nefarious efforts for halting every development project in India.
2/ https://t.co/f705fzeSu5— The Hawk Eye (@thehawkeyex) July 10, 2022
गौरतलब है कि वह एक समय था जब पाटकर ऐसे सभी राष्ट्र विरोधी प्रदर्शनों की धुरी बन गयी थीं। प्रस्तावित बांध स्थल पर सरकारी अधिकारियों को ‘परिणाम भुगतने’ की खुली चेतावनी वाले बैनर उनकी और उनके संगठन की असहिष्णुता का प्रमाण हैं। ऐसे में गुजरात से लेकर मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ झारखंड और बिहार समेत दिल्ली तक अपने पकड़ जमाए रखने वाली मेधा पाटकर का काला चिट्ठा अब खुलने लगा है जिसके चलते अब यह माना जा रहा है तीस्ता सीतलवाड़ तो एक ट्रेलर है, अब अगला नंबर मेधा पाटकर के ढोंग वाले ढोल को फोड़ने का है।
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