ऑब्जेक्शन मी लॉर्ड! सुप्रीम कोर्ट को एक भारतीय नागरिक की खुली चिठ्ठी

अवमानना मत मानिए मी लॉर्ड!

An Open Letter to Supreme Court

Source: TFI

प्रिय सुप्रीम कोर्ट

मैं आज पत्रकार के तौर पर नहीं बल्कि भारत के एक आम नागरिक के तौर पर आपके लिए एक चिठ्ठी लिख रहा हूं। हो सकता है आप तक यह चिठ्ठी कभी ना पहुंचे लेकिन मैं अपनी आत्मा को यह तसल्ली ज़रूर दे पाऊंगा कि जब पूरा राष्ट्र आपकी टिप्पणियों पर चुप था, तब मैंने आपको एक चिठ्ठी लिखी थी।

मेरे देश के सर्वोच्च कोर्ट! कल नूपुर शर्मा के मामले में सुनवाई करते हुए आपने जो टिप्पणियां की- उनकी उम्मीद मैंने आपसे कभी नहीं की थी। मैंने कभी नहीं सोचा था कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक राष्ट्र की सबसे बड़ी अदालत मज़हबी कट्टरता पर मूक रह जाएगी। मैंने कभी नहीं सोचा था कि एक महिला जोकि कट्टरपंथियों से जान बचाने के लिए ‘अंडरग्राउंड’ है- आप उस पर इतनी कठोर टिप्पणियां करेंगे? मैंने कभी नहीं सोचा था कि उदयपुर के आतंकियों पर कठोर टिप्पणी करने के बजाय आप उन्हें एक ‘शील्ड’ दे देंगे।

मी लॉर्ड! मुझे उम्मीद थी कि आप तो नूपुर शर्मा का पूरा मामला जानते ही होंगे। मुझे उम्मीद थी कि आप तो जानते ही होगे कि नूपुर शर्मा के विरुद्ध क्या-क्या हो रहा है? लेकिन आपकी टिप्पणियों को सुनने के बाद मेरी उम्मीद मर गई। इसके बाद मुझे अहसास हुआ कि आपको पूरी जानकारी नहीं है या फिर आपको ग़लत जानकारी है। मी लॉर्ड, मैं अवमानना नहीं करना चाहता- आम आदमी हूं अदालतों के चक्कर लगाए तो जीवन कहां बचेगा। इसलिए मैं आपकी टिप्पणियों पर टिप्पणी नहीं करना चाहता लेकिन कुछ जानकारी अवश्य देना चाहता हूं।

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हो सकता है मी लॉर्ड, आप ज्यादा व्यस्त रहते हो- आपने उन धमकियों की ओर- उन घटनाओं की ओर- उन टिप्पणियों की ओर ध्यान नहीं दिया हो जो नूपुर शर्मा को लेकर की गईं।

आपने बोला है कि नुपूर शर्मा ने टेलीविज़न पर बयान दिया था- वहीं आकर उन्हें देश से माफी मांगनी चाहिए। बिल्कुल मी लॉर्ड! नूपुर शर्मा ने टेलीविज़न पर बयान दिया था, लेकिन क्या आप जानते हैं कि उनके मुंह से वो शब्द निकलवाने के लिए मज़बूर किसने किया? उसका नाम था तस्लीम अहमद रहमानी। वाद-विवाद के दौरान पहले इन्हीं मौलाना जी ने हिंदुओं के पवित्र शिवलिंग को लेकर कई तरह की विवादित टिप्पणियां की। मौलाना जी शिवलिंग को फव्वारा बता रहे थे। आपने उन पर कोई टिप्पणी नहीं की? आपने मौलाना जी से माफी मांगने के लिए नहीं बोला?

अब आगे बढ़ते हैं मी लॉर्ड, उम्मीद है आप क्रोधित नहीं होंगे। नूपुर शर्मा ने बयान देने के बाद माफी मांग ली। वो जिस भी राजनीतिक दल में थी- उस दल ने भी उन पर कार्रवाई कर दी। इसके बाद जो हुआ वो आपको ज़रूर जानना चाहिए। पूरे देश में नूपुर के विरुद्ध प्रदर्शन के नाम पर हिंसा हुई। गाड़ियां जलाईं गईं। आग लगाई गई। तोड़फोड़ की गई। आम हिंदुस्तानी को बहुत परेशानी हुई मी लॉर्ड। हम लोग बाहर तक नहीं निकल पा रहे थे।

हम उम्मीद कर रहे थे कि आप संज्ञान लेंगे- लेकिन आपने नहीं लिया। हो सकता है आप व्यस्त हो- कोई नहीं हमें तो आदत-सी हो गई इसी तरह रहने की। हर बार हिंसा होती है। आग लगती है। हर बार हम आपकी ओर देखते हैं- गेरुआ रंग से पुती हुई तिलक मार्ग पर खड़ी उस इमारत की ओर देखते हैं- जिस पर हमारे देश का ध्वज लगा है और जिसे सुप्रीम कोर्ट कहा जाता है। लेकिन हर बार आप व्यस्त होते हैं। नागरिकता संशोधन अधिनियम पर भी आपने निराश किया। किसान आंदोलन के दौरान भी आपने उदास किया। अग्निपथ पर भी आपने उम्मीद तोड़ी। ख़ैर, आगे बढ़ते हैं। नूपुर शर्मा के विरुद्ध सिर्फ प्रदर्शन नहीं हुआ बल्कि उन्हें जान से मारने की धमकी दी गई। बलात्कार करने की धमकी दी गई। उनके परिजनों को मारने की धमकी दी गई। लेकिन आपने कुछ नहीं किया मी लॉर्ड। आप व्यस्त रहे होंगे!

मेरे देश के महान कोर्ट! बात यहां रुक जाती तब भी सही था- लेकिन नहीं रुकी। देश के कई हिस्सों में उनके विरुद्ध FIR दर्ज कराई गईं। ‘सर तन से जुदा’ करने की नारेबाजी की गई। ठीक है एक लोकतांत्रिक देश में प्रदर्शन होते हैं- लेकिन जान से मारने का हक़ किसी को भी किसने दिया? उदयपुर में जो हुआ- क्या वो सही था? मी लॉर्ड! शायद उदयपुर की आतंकी घटना भी आपको पता ना हो- मैं बता देता हूं। अवमानना मत मानना- मैं बस आपको जानकारी दे रहा हूं।

मी-लॉर्ड! उदयपुर राजस्थान में है। वहीं रहते थे कन्हैया लाल तेली। दर्जी थे। कपड़े सिलकर अपना गुजारा करते थे। कहते हैं कि एक दिन उनके लड़के ने ग़लती से फेसबुक पर नूपुर शर्मा के समर्थन में कोई पोस्ट डाल दी। दो इस्लामिस्टों ने उनका गला काट दिया। उन्हें मार दिया। मी लॉर्ड सिर्फ यही नहीं उन्होंने उसका वीडियो बनाया और सोशल मीडिया पर वायरल भी किया। इसके बाद उन्होंने देश के प्रधानमंत्री को भी जान से मारने की धमकी दी।

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मी लॉर्ड! नूपुर शर्मा ने जो भी बयान दिया- सही या ग़लत- वो विषय चर्चा का हो सकता, उस पर कानून अपना काम कर रहा है- लेकिन उनका समर्थन करने वाले का गला काट दिया जाए- ये कहां से सही है? कल 7 मिनट की सुनवाई में आपने तमाम टिप्पणियां की और नूपुर शर्मा की याचिका खारिज कर दी। उन्होंने आपसे विनती की थी कि उनके ऊपर दर्ज सभी FIR दिल्ली ट्रांसफर कर दी जाएं। आपने कहा कि हाईकोर्ट जाइए।

मी लॉर्ड! बंगाल में नूपुर शर्मा के विरुद्ध FIR हुई है तो क्या वो वहां जाएं? जहां हजारों की भीड़ उन्हें जान से मारने की धमकी दे चुकी है। नूपुर शर्मा के विरुद्ध कश्मीर में FIR हुई है, तो क्या वो कश्मीर जाएं जहां की मस्जिदों से ‘सर तन से जुदा’ करने की धमकियां दी जा रही हैं? कैसे मी लॉर्ड आप ऐसा कैसे कह सकते हैं?

अवमानना मत मानिए मी लॉर्ड, मैं आपसे बस एक अंतिम बात कहना चाहता हूं। आपने उदयपुर की घटना के लिए भी नूपुर शर्मा को जिम्मेदार ठहरा दिया- क्या आप जानते हैं कि इससे इस्लामिस्टों के हौंसले और ज्यादा बढ़ेंगे। क्या आप जानते हैं कि वो हत्यारे और उनके जैसे दूसरे मज़हबी कट्टरपंथी अपने बर्बर कृत्य को छिपाने के लिए अब आपके बयान का सहारा लेंगे। क्या आप जानते हैं कि कन्हैया लाल से पहले किशन भरवाड़ को भी एक सोशल मीडिया पोस्ट के लिए अपनी जान गंवानी पड़ी थी?

अंतर बस इतना है कि यहां चाकू थे, वहां गोली। क्या आप जानते हैं इन्हीं इस्लामिस्टों ने लखनऊ में कमलेश तिवारी की भी बर्बर हत्या कर दी थी- अगर आप जानते हैं, तो फिर आपने यह टिप्पणियां क्यों की? और अगर आप नहीं जानते तो फिर आप वहां क्यों हैं? अवमानना मत मानिए मी लॉर्ड, मैं जानता हूं कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता आपके यहां ख़त्म हो जाती है लेकिन फिर भी हिम्मत करके एक सवाल पूछा है- अवमानना मत मानिए।

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मी- लॉर्ड! मैं जानता हूं कि आप यह चिठ्ठी नहीं पढ़ेंगे लेकिन फिर भी मैं आपको यह चिठ्ठी लिख रहा हूं। मैं बस, इस उम्मीद के साथ लिख रहा हूं कि मैं स्वयं को जवाब दे सकूं कि जब पूरा राष्ट्र आपके विरुद्ध एक शब्द नहीं बोल रहा था- जब 130 करोड़ लोगों का यह देश आपकी गैर-ज़रूरी टिप्पणियों को चुपचाप सुन रहा था- उस वक्त मैंने एक चिठ्ठी आपको लिखी थी।

 

सादर

भारतीय नागरिक

पुनश्च: अवमानना मत मानिए मी लॉर्ड!

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