महाराष्ट्र की सत्ता से महाविकास अघाड़ी गठबंधन का बाहर होना, कांग्रेस की सबसे बड़ी हार है…

कांग्रेस पार्टी की एक और राज्य से हो गई विदाई !

soniya

Source- TFIPOST.in

कई दिनों तक चले महाराष्ट्र में सियासी ड्रामे के बाद सत्ता परिवर्तन हो ही गया। शिवसेना से बगावत करने वाले एकनाथ शिंदे की मुख्यमंत्री के रूप में ताजपोशी हो गई। महाराष्ट्र की सत्ता से महाविकास अघाड़ी गठबंधन बाहर होने के बाद इसे शिवसेना के अंत के तौर पर देखा जा रहा है। शिंदे गुट की बगावत के बाद पार्टी दो खेमों में बंट चुकी है, जिसमें उद्धव गुट काफी कमजोर पड़ गया है। MVA गठबंधन की सरकार गिरने से शिवसेना को तो घाटा हुआ ही। बड़े स्तर पर देखा जाए तो यह गठबंधन में मौजूद तीनों ही पार्टियों शिवसेना, NCP और कांग्रेस के लिए अंत की शुरुआत है। हालांकि इस दौरान सबसे तगड़ा झटका जिसे महसूस हो रहा होगा, वो है कांग्रेस।

दुनिया की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस की हालत आज पूरे देश में कैसी है, इससे हर कोई अच्छे से वाकिफ है। पार्टी का ग्राफ 2014 के बाद से लगातार नीचे ही चला जा रहा है। एक के बाद एक कई राज्य कांग्रेस के हाथों से छिटकते ही चले जा रहे है। अब इसमें नया नाम महाराष्ट्र का भी जुड़ गया। महाराष्ट्र ही एक ऐसा बड़ा राज्य था जहां कांग्रेस सत्ता में शामिल थी। इसके बाद अब केवल छत्तीसगढ़ और राजस्थान में ही कांग्रेस की सरकार बची है। इसके अलावा झारखंड सरकार में तो वो सहयोगी के रूप में है। महाविकास अघाड़ी सरकार गिरने से कांग्रेस के हाथों से एक और राज्य चला जाएगा।

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कांग्रेस बद से बदतर हालात में

महाराष्ट्र में एक वक्त ऐसा था जब कांग्रेस का एकछत्र राज हुआ करता था। यहां कई सालों तक पार्टी लगातार सत्ता में रही। परंतु फिर कांग्रेस का प्रभाव लगातार महाराष्ट्र में कम होता चला गया। 2019 में कांग्रेस ने सत्ता में आने के लिए शिवसेना और NCP के साथ भागेदारी तो कर ली, परंतु इससे भी पार्टी को नुकसान ही उठाना पड़ा। महाराष्ट्र की सत्ता पर जो कांग्रेस हमेशा बड़े भाई की भूमिका में रहती थीं वो महाविकास अघाड़ी गठबंधन में तीसरे नंबर की पार्टी बनकर रह गई। उसने न तो एनसीपी की तरह उपमुख्यमंत्री पद मिला और न ही कोई बड़ा विभाग।

शिवसेना के साथ गठबंधन करने के लिए शिवसेना को वैचारिक रूप से तो समझौता करना ही पड़ा। परंतु उसे इससे खास हासिल नहीं हुआ। इसके विपरीत पार्टी के अंदर शिवसेना के विरुद्ध के स्वर बीच-बीच में उठते रहे। कांग्रेस के कई विधायक शिवसेना के साथ असहज थे। महाराष्ट्र में हुए विधान परिषद चुनाव के दौरान भी कांग्रेस के तीन विधायकों ने क्रॉस वोटिंग किया और पार्टी को इसके बारे में पता ही नहीं कि वो कौन हैं। अब महाराष्ट्र की सत्ता से महाविकास अघाड़ी गठबंधन के बाहर होने के बाद कमजोर केंद्रीय नेतृत्व के कारण कांग्रेस की हालत और खराब हो सकती है।

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सत्ता हाथ से जाते ही पार्टियों का हुआ नुकसान

सत्ता हाथ से जाने के बाद शिवसेना और NCP को भी तगड़ा नुकसान हुआ है। शिवसेना विधायकों की इतनी बड़ी बगावत के बाद अब उद्धव के साथ कम ही नेताओं का साथ रह गया। जाहिर तौर पर यह उद्धव ठाकरे के नेतृत्व की कमी के चलते हुआ। इसके बाद अब शिवसेना का भविष्य भगवान भरोसे रह गया। वहीं NCP की बात करें तो महाराष्ट्र सरकार में भले ही मुख्यमंत्री के पद पर उद्धव ठाकरे थे लेकिन फिर भी इस सरकार का रिमोट शरद पवार के हाथों में ही होता था। शरद पवार को महाराष्ट्र की राजनीति के चाणक्य रहे हैं। महाविकास अघाड़ी का पतन शरद पवार के लिए एक बड़ी क्षति माना जा रहा है। BJP आईटी सेल के प्रभारी अमित मालवीय ने इसको लेकर एक ट्वीट करते हुए कहा- उद्धव ठाकरे ने न केवल अपना सीएम पद खो दिया है, बल्कि राकांपा और कांग्रेस के साथ एक गैर-सैद्धांतिक गठबंधन में प्रवेश करके बालासाहेब की विरासत को भी धूमिल किया है। लेकिन एमवीए का पतन शरद पवार के लिए एक बड़ा नुकसान है, जिन्होंने खुद को इस गठबंधन के वास्तुकार के रूप में माना है।“

यानी इससे यह स्पष्ट हो जाता है कि महज सत्ता की लालसा में तीनों पार्टियों ने मिलकर एक बेमेल गठबंधन बना तो लिया था। परंतु लाभ इससे किसी को भी नहीं हुआ। इसके विपरीत तीनों पार्टियों ने मिलकर अपना ही बेड़ा गर्क कर लिया।

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