‘सिगरेट पीती काली’ का पोस्टर वापस, फिल्म रद्द, कार्यक्रम बंद, सब माफी मांग रहे हैं

'बहरों को सुनाने के लिए बोलना आवश्यक है'

Kaali

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अगर आवाज़ बुलंद होती है तो बड़े से बड़े तुर्रम-खां भी सुनने को विवश हो जाते हैं। अब भारत के नेतृत्वकर्ता की ही बात कर लीजिए, आज उसी नेतृत्वकर्ता के कारण कोई भी बड़े से बड़ा देश भारत को हल्का नहीं आंक सकता है और न ही भारत की मांग को अनदेखा कर सकता है। जो भारत कोरोनाकाल में विश्व का बड़ा भाई तक बन गया था और छोटी से छोटी दवाई और कोरोना की वैक्सीन देता चला गया, जब उसी भारत और उसके जनमानस की भावनाओं की बात आयी तो कनाडा को सुनना ही पड़ा।

इस लेख में जानेंगे कि कैसे ‘काली मां’ के भद्दे चित्रण पर भारत की ओर से प्रकट किए गए विरोध ने अंततः संबंधित अधिकारीयों को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया। यहां तक की माफ़ी भी मांगनी पड़ गयी।

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डॉक्यूमेंट्री ‘काली’ विवादों में घिरी हुई है

दरअसल, भारतीय मूल की फिल्ममेकर “लीना मणिमेकलाई” की आगामी डॉक्यूमेंट्री ‘काली’ विवादों में घिरी हुई है। डॉक्यूमेंट्री का पोस्टर फिल्ममेकर ने बीते शनिवार को ट्विटर पर शेयर किया था। हालांकि, पोस्टर डालते ही इस पर विवाद बढ़ता चला गया क्योंकि पोस्टर ने ही फिल्म के सार को प्रदर्शित कर दिया था।

जारी किए गए पोस्टर में देखा जा सकता है कि एक अभिनेत्री काली मां की भूमिका में हैं और सिगरेट पीती दिखायी दे रही है। फिल्ममेकर लीना ने 2 जून 2022 को ट्विटर पर अपनी डॉक्यूमेंट्री ‘काली’ का पोस्टर शेयर किया था। इस पोस्टर के साथ लीना ने जानकारी साझा करते हुए बताया था कि वह काफी उत्साहित हैं क्योंकि उनकी डॉक्यूमेंट्री काली का कनाडा फिल्म फेस्टिव (Rhythms of Canada) में लॉन्च हुआ। ज्ञात हो कि जारी किए गए इस पोस्टर में मां काली को सिगरेट पीते दिखाया गया है और इससे ही सोशल मीडिया पर यूजर्स भड़क गए। मां काली की वेशभूषा में दिखने वाली आर्टिस्ट के एक हाथ में त्रिशूल तो एक हाथ में एलजीबीटीक्यू समुदाय के प्राइड फ्लैग को देखा जा सकता है। इसके बाद सोशल मीडिया से सड़कों तक और FIR दर्ज़ करने की श्रृंखला तक, इस बार हिन्दू हितों को लेकर हिन्दू सजग दिखायी दिए।

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इसका परिणाम ये रहा कि भारतीय उच्चायोग ने सोमवार को कनाडा के अधिकारियों से टोरंटो के आगा खान संग्रहालय में ‘अंडर द टेंट‘ परियोजना के हिस्से के रूप में प्रदर्शित हिंदू देवताओं के अपमानजनक चित्रण को वापस लेने का आग्रह किया। अब हालिया घटनाक्रम यह हैं कि, कनाडा में भारतीय उच्चायोग की प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि, “हम कनाडा के अधिकारियों और कार्यक्रम के आयोजकों से ऐसी सभी भड़काऊ सामग्री को वापस लेने का आग्रह करते हैं।” इसके बाद भी यदि संग्राहलय के आलाधिकारी चुप्पी साधे बैठे रह जाते तो निश्चित रूप से विवाद और बढ़ता और शायद भारत से निकले विरोध का प्रभाव कनाडा तक पहुंचता चूंकि कनाडा में भारतीयों का कितना बोलबाला है उससे कोई अनभिज्ञ नहीं है।

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संग्रहालय ने अपने आधिकारिक बयान में क्या कहा

ऐसे में टोरंटो स्थित आगा खान संग्रहालय ने अपने आधिकारिक बयान में कहा कि, “म्यूजियम को गहरा खेद है कि ‘अंडर द टेंट’ के 18 लघु वीडियो में से एक और इसके साथ जुड़ी सोशल मीडिया पोस्ट ने अनजाने में हिंदू और अन्य धार्मिक समुदायों के सदस्यों को अपमानित किया है।” इससे पहले ओटावा स्थित भारतीय उच्चायोग (Indian High Commission) ने कनाडाई प्राधिकारियों से लघु फिल्म ‘काली’ से जुड़ी सभी आपत्तिजनक सामग्री हटाने की अपील की थी। उच्चायोग ने कनाडा में मौजूद हिंदू समुदाय के नेताओं से वहां प्रदर्शित लघु फिल्म के पोस्टर में हिंदू देवी के ‘अपमानजनक चित्रण’ को लेकर शिकायतें मिलने के बाद यह कदम उठाया है।

सारगर्भित बात यही है कि, बात की संवेदनशीलता को समय रहते नहीं समझा जाता तो निश्चित रूप से विरोध और उग्र रूप ले लेता। इसके साथ ही यह भी सिद्ध हो जाता है कि लीना मणिमेकलाई भले ही ऐसे कृत्य को अपनी शान समझें और इतने विवाद के बाद भी क्षमा न मांगे लेकिन एक देश की बात तब सुनी ही जाएगी जब वो मजबूती से अपना पक्ष रखते हुए विरोध दर्ज़ करें।

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