देश में इस समय दो सर्वोच्च पदों के चुनावों को लेकर सियासत गर्म है। एक तरफ जहां राष्ट्रपति चुनाव की सरगर्मी है तो वहीं दूसरी ओर उपराष्ट्रपति चुनाव को लेकर भी चर्चाएं शुरू हो गई हैं। राष्ट्रपति चुनाव को देखें तो स्थिति स्पष्ट है कि NDA की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू आसानी से महामहिम बनने की ओर बढ़ रही है वहीं उपराष्ट्रपति चुनाव भी NDA के पाले में ही जाता दिख रहा है लेकिन महत्वपूर्ण बात यह है कि उपराष्ट्रपति चुनाव में उम्मीदवारों को लेकर NDA की तरफ से जो नाम चर्चा में है उसमें से एक नाम पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री और पटियाला राजघराने के कैप्टन अमरिंदर सिंह का भी है जिन्हें इस पद के लिए योग्य माना जा रहा है।
कैप्टन अमरिंदर सिंह के दफ्तर से ही यह खबरें निकलकर आ रही है कि वो उपराष्ट्रपति पद की रेस में हैं। उन्हें लेकर यह दावा भी किया जा रहा है कि वो जल्द ही अपने राजनीतिक दल पंजाब लोक कांग्रेस का विलय भाजपा में कर सकते हैं जो कि निश्चित तौर पर भाजपा के लिए एक अच्छी खबर है। माना जा रहा है कि लंदन में अपना इलाज़ करा रहे कैप्टन अमरिंदर सिंह स्वदेश लौटते ही इस संबंध में कोई बड़ा ऐलान कर देंगे। वहीं कैप्टन अमरिंदर सिंह के स्वास्थ्य को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उनसे फोन पर बातचीत की है।
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कैप्टन का इतिहास संदेहास्पद रहा है
कैप्टन अमरिंदर सिंह के राजनीतिक करियर को देखें तो उनका करियर उतार चढ़ावों से भरा रहा है। हालांकि उन्हें अंत समय में गांधी परिवार परिवार ने भी बेइज्जत किया। लेकिन इस बात को नकारा नहीं जा सकता है कि उन्होंने गांधी परिवार की चाटुकारिता में कभी कोई कोर कसर नहीं छोड़ी थी। वहीं जब चाटुकारिता की पराकाष्ठा पार करने के बावजूद गांधी परिवार की कृपा सिद्धू पर ही बरसने लगी तो कैप्टन का सब्र जवाब दे गया और वो भाजपा के ध्वज तले NDA का ही हिस्सा बन गए लेकिन अब उन्हें उपराष्ट्रपति पद के लिए नामित करना एक अजीबो गरीब फैसला हो सकता है।
देश में फिलहाल जो उपराष्ट्रपति हैं वो पूर्णतः एक्टिव है और विधायी कार्यों में शामिल रहते हैं लेकिन कैप्टन अमरिंदर सिंह की उम्र शायद इस पद के लिए बहुत ज्यादा हो चुकी है और इस पद पर फिट न बैठ पाने की एक बड़ी वजह उनकी उम्र को ही माना जा रहा है क्योंकि वो कई तरह की बीमारियों का भी सामना कर रहे हैं जिसके चलते यह संभव है कि वो अपने उपराष्ट्रपति पद के कार्यकाल के दौरान एक्टिव न हों। ऐसे में यह माना जा रहा है मोदी सरकार किसी ऐसे शख्स को उपराष्ट्रपति नहीं बनाएगी जो कि सामाजिक तौर पर एक्टिव ही न हो।
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कैप्टन का हमेशा विवादों से नाता रहा है
कैप्टन अमरिंदर सिंह को लेकर एक चर्चा यह भी रहती है कि वो एक सुबह से लेकर शाम तक के ही सीएम हैं और शाम को 5 या 6 बजे के बाद वो अपनी निजी जिंदगी में व्यस्त हो जाते हैं। यह आरोप किसी विपक्षी दल ने नहीं बल्कि कैप्टन के ही कई अपने खेमे के सहयोगियों ने भी लगाए हैं जब कि विधायी कार्यों के लिए सक्रिय माने जाने वाले उपराष्ट्रपति पद के लिए कैप्टन का यह व्यवहार उचित न होगा।
कैप्टन अमरिंदर सिंह देश की सेना के लिए काम कर चुके हैं जिसके चलते निश्चित तौर पर कांग्रेस में होने के बावजूद उन्हें एक राष्ट्रवादी नेता माना जाता है, संभवतः उन्हें उपराष्ट्रपति पद ऑफर करने के पीछे भाजपा का गणित भी यही हो लेकिन अहम बात यह भी है कि कैप्टन का इतिहास काफी संदेहास्पद रहा है। उनके पाकिस्तान से कई निजी संबंध सामने आते रहे हैं। इसमें उनकी पाकिस्तानी दोस्त और पत्रकार अरूसा आलम के साथ उनके कनेक्शन हमेशा ही उन्हें विवादों में लाते रहे हैं और यदि वो उपराष्ट्रपति पद पहुंचते हैं तो यह मामला और गर्म भी हो सकता है।
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मोदी सरकार ने अपने पिछड़ों और वंचितों को सर्वश्रेष्ठ पदों पर बिठाकर अंत्योदय के अपने सपने को जनता के बीच रखा है। राष्ट्रपति उम्मीदवार के ही विषय पर नजर डालें तो बीजेपी और NDA ने द्रौपदी मुर्मू के तौर पर एक आदिवासी महिला को चुना। ऐसे में यदि उपराष्ट्रपति पद के लिए कैप्टन अमरिंदर सिंह का नाम आगे बढ़ता है तो यह बीजेपी की सोच से विपरीत होगा क्योंकि उनकी छवि एक राजा की है जो कि पटियाला राजघराने से ताल्लुक रखते हैं और जिनकी पहुंच पहले ही सर्वोच्च सत्ताओं तक रही है। ऐसे में बीजेपी कभी ऐसे किसी भी शख्स को उपराष्ट्रपति बनाकर अपनी अंत्योदय के अभियान को कमजोर नहीं करना चाहेगी।
ऐसे में यह माना जा रहा है कि भले ही कांग्रेस से निकलने के बाद कैप्टन अमरिंदर सिंह के संबंध बीजेपी से अच्छे हो गए हों और भले ही उनका इतिहास राष्ट्रवादी का रहा हो फिर भी उपराष्ट्रपति पद को लेकर कैप्टन अमरिंदर सिंह की सीवी बीजेपी के लिहाज से अनफिट ही बैठता है।
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